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भारत का दुनियां में आगाज़

भारत का दुनियां में आगाज़ आज का भारत जो कहता है उसे दुनियां कल की आवाज़ मानती है युवा भारत …


भारत का दुनियां में आगाज़

भारत का दुनियां में आगाज़
आज का भारत जो कहता है उसे दुनियां कल की आवाज़ मानती है

युवा भारत ने ज़ज्बे और जांबाज़ी से संकल्प लिया है, आत्मनिर्भर भारत से कर सकता हूं –एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत की प्रतिष्ठा, रुतबा, वज़न, पूर्ण विकसित देशों का भारत के प्रति नज़रिया,जी-20 आसियान, ब्रिक्स, जी-10,शंघाई सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र, सहित सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों से भारत का कद बड़ा है उसे देख कर, आज आस पड़ोस के देशों सहित वैश्विक स्तर पर बड़े-बड़े प्रौद्योगिक विकसित देश हैरान हैं। जिससे हम महसूस करते हैं कि आज का भारत जो कहता है उसे दुनिया कल की आवाज़ मानती है।
साथियों बात अगर हम पिछले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय सम्मिट, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, वैश्विक सम्मेलन में पूर्ण विकसित देशों के नेताओं की भारतीय लीडरों से बॉडी लैंग्वेज हमने टीवी चैनलों पर देखी तो मन खुशी से झूम उठा कि भारत का कितना बड़ा रुतबा है।
साथियों बात अगर हम भारत में अतितीव्र गति से प्रौद्योगिकी शिक्षा, रक्षा, परिवहन, स्वास्थ्य, खेल, कौशलता विकास सहित अनेक क्षेत्रों में विकास की करें तो, हालांकि वर्ष 2020 से ही आई घातक कोरोना महामारी ने उपरोक्त क्षेत्रों के विकास में बाधा उत्पन्न की तथा वर्तमान में भी ओमिक्रान वेरिएंट का घातक प्रहार चल रहा है परंतु, भारतीय स्वास्थ्य सेवा,विज्ञान कुछल नेतृत्व को सैल्यूट है।कि सशक्त जांबाज़ी और ज़ज़बे के साथ विपरीत स्थितियों, परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए भी अपनी विकास की गति को बनाए रखने की कोशिश शुरू है जो काबिले तारीफ है।
 
साथियों बात अगर हम दुनिया में 142 करोड़ जनसंख्यकीय तंत्र वाले दुनियां के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की उपलब्धियों की करें तो हमने अपने जनसंख्यकीय तंत्र को ही अपनी ढाल बनाकर अपना रणनीतिक रोडमैप बनाना शुरू किया है जिसमें हम काफ़ी हद तक सफल होते जा रहे हैं। क्योंकि हम आज बौद्धिक शारीरिक कौशलता विकल्प के आधार पर अब ऐसी पीढ़ी बना रहे हैं जो नौकरी ढूंढने वाली नहीं, बल्कि नौकरी देने वाली बनने जा रही है,जो भविष्य कालीन स्वर्णमय पल लाने का पहिया डाला जा चुका है।
साथियों बात अगर हम भारत के गुणों की करें तो विशाल उपभोक्ता बाजार, विशाल अन्तर्राष्ट्रीय समझौते, उदारीकरण व निजीकरण नीति, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के भावी स्थाई सदस्य होने की चांस, परमाणु परीक्षण, वैश्विक स्तरपर परमाणु शक्ति, उभरती हुई नहीं बल्कि उभर चुकी वैश्विक शक्ति, क्रय शक्ति क्षमता में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, विकसित प्रौद्योगिकी, भारत आज विश्व की महाशक्तियों के सामने याचक की भूमिका में नहीं बल्कि बराबरी के स्तरपर खड़ा हो गया है। यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है!!! अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी कहा था एशिया के नेतृत्व में भारत की अत्यधिक विशिष्ट भूमिका है।
 
साथियों बात अगर हम भारत की विशेषता की करें तो, भारत ने समयानुकूल अपनी नीतियों में परिवर्तन करके निरन्तर उच्च आर्थिक विकास दर को बनाए रखा और अधिकांश सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की । वास्तव में, इस समय भारत एक ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिससे विश्व के सभी देश किसी-न-किसी रूप में प्रभावित हो रहे हैं वर्तमान समय में हम दावे के साथ कह सकते है कि भारत विश्व की एक महत्वपूर्ण शक्ति बन चुका है । भारतवर्ष के लिए आर्थिक रूप से विकसित देशों से आगे निकलना इतना आसान न था, क्योंकि यह देश सैकड़ों वर्षों तक गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा रहा था ।
 
साथियों बात अगर हम एक कार्यक्रम में पीएम के संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार, पीएम ने सराहना करते हुए कहा कि आज भारत के युवा वैश्विक समृद्धि की गाथा लिख ​​रहे हैं। पूरी दुनिया के यूनिकॉर्न इकोसिस्टम में भारतीय युवाओं का जलवा है। उन्होंने कहा कि आज के युवा कर सकता हूं भावना से ओतप्रोत है, जो हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। इस प्राचीन देश की युवा पहचान के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को एक आशा और विश्वास की दृष्टि से देखती है। क्योंकि भारत का जन भी युवा है और भारत का मन भी युवा है। भारत अपने सामर्थ्य से भी युवा है और अपने सपनों से भी युवा है। भारत अपने चिंतन से भी युवा है और अपनी चेतना से भी युवा है। उन्होंने कहा कि भारत की सोच एवं दर्शन ने हमेशा बदलाव को स्वीकार किया है और इसकी प्राचीनता में आधुनिकता है। उन्होंने कहा कि देश के युवा हमेशा जरूरत के समय आगे आए हैं। जब भी राष्ट्रीय चेतना में विभाजन होता है, शंकर जैसे युवा सामने आते हैं और आदि शंकराचार्य के रूप में देश को एकता के सूत्र में पिरोते हैं। अत्याचार के काल में गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादे जैसे युवाओं के बलिदान आज भी हमारा मार्गदर्शन करते हैं। जब भारत को अपनी आजादी के लिए बलिदान की जरूरत थी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और नेताजी सुभाष जैसे युवा क्रांतिकारी देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने के लिए आगे आए। उन्होंने आगे कहा कि जब कभी देश को आध्यात्मिक उत्थान की जरूरत होती है, अरबिंदो और सुब्रमण्यम भारती जैसे मनीषी सामने आते हैं। भारत की विविधता हमारी ताकत है। एक भारत, श्रेष्ठ भारत विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने और हमारे लोगों को करीब लाने का प्रयास करता है। जब एक छोटा बच्चा हरिद्वार में तिरुवल्लुवर की मूर्ति को देखता है और उसकी महानता के बारे में जानता है, तो एक भारत, श्रेष्ठ भारत का बीज एक युवा दिमाग में डल जाता है। इसी किस्म की भावना उस समय देखने को मिलती है जब हरियाणा का एक बच्चा कन्याकुमारी का शिला स्मारक देखने जाता है। जब तमिलनाडु या केरल के बच्चे वीर बाल दिवस के बारे में जानते हैं, तो वे साहिबजादों के जीवन और संदेश से जुड़ जाते हैं। इस धरती के महान सपूत जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया, लेकिन अपने आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया। आइए हम अन्य संस्कृतियों के बारे में खोज करने का प्रयास करें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि इसमें आपको आनंद आएगा।
 
साथियों बात अगर हम केंद्रीय खेल मंत्री की करें तो उस कार्यक्रम में उन्होंने कहा, उन्होंने कहा कि जहां हमारा देश हमारे पीएम के कुशल नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है, वहीं देश के युवा भी पीएम के मार्गदर्शन में देश को एक नई दिशा देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वर्तमान समय में हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, ऐसे समय में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश की आजादी के लिए लाखों युवाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। ऐसे में देश के युवाओं को स्वतंत्रता के 100 वें वर्ष के अवसर तक देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
 
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि,भारत का दुनियां में आगाज़ आज का भारत जो कहता है उसे दुनिया कल की आवाज़ मानती है। युवा भारत ने ज़ज्बे और जांबाज़ी से संकल्प लिया है सकता हूं।

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kishan bhavnani

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 

किशन सनमुख़दास भावनानी 

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