Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

बयानों, तकरारों में मधुर वाणी का उपयोग करें

आओ बयानों, तकरारों में मधुर वाणी का उपयोग करें कमान से निकला तीर और मुख़ से बोले शब्द कभी वापस …


आओ बयानों, तकरारों में मधुर वाणी का उपयोग करें

बयानों, तकरारों में मधुर वाणी का उपयोग करें

कमान से निकला तीर और मुख़ से बोले शब्द कभी वापस नहीं होते इसलिए शब्दों के चयन में विवेकपूर्ण मंथन ज़रूरी

किसी भी विषय वस्तु पर अपनी राय बनाते, शब्दों का चयन करते समय विवेकपूर्ण मंथन ज़रूरी – एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया – विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत पूरी दुनिया में बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए जाना जाता है, क्योंकि यह आवाज 135 करोड़ जनसांख्यिकीयतंत्र की आवाज होती है इसलिए पूरी दुनिया के प्रमुख व्यक्तित्व गंभीरता से भारत के बयानों पर ध्यान देकर उसका उचित विवेकपूर्ण मंथन कर सकारात्मक समझ निकालते हैं।हालांकि अपवाद स्वरूप कुछ देश ऐसे भी हैं जो भारत की बातों को विवादों में भी ले जाने की कोशिश करते हैं। हम भारत माता के वंशज हैं। संस्कृति, सभ्यता हमारे लहू में समाई हुई है। हम दैनिक जीवन में भी अपनी राय बेबाकी से रखने में विश्वास रखते हैं क्योंकि हम लोकतंत्र की छत्रछाया में रहने के आदी हैं, परंतु हम में से कई लोग ऐसे भी हैं जो अपनी राय बनाने में गंभीर नहीं हैं बिना सोचे समझे बयान बाजी, राय देना सलाह देना, किसी भी बात का नकारात्मक मतलबनिकालना बिना बात के झगड़ा बढ़ाना सहनशीलता संवेदनशीलता और सहिष्णुता की कमी के कारण जीवन में छोटी-छोटी बातों का परिणाम विभित्सक रूप धारण कर लेता है जिससे हमारी जान के लाले भी पड़ जाते हैं इसलिए हमें चाहिए कि किसी भी विषय वस्तु, बात,स्थिति पर अपनी राय बनाते,शब्दों का चयन करते l समय विवेकपूर्ण हाजर मंथन कर उस बात को रखना अपेक्षाकृत सटीक होगा, उस राय की सटीकता का विचार भी कुछ पलों में कर नपी तुली समझ का परिचय देना जरूरी है। अभी हमने 6 अप्रैल 2023 को समाप्त हुए बजट सत्र में एक युवा नेता के विदेशों में बयानबाजी पर माफी को लेकर पक्ष ने तो विपक्ष में भी जेपीसी के मुद्दे पर कीमती सत्र हंगामे की भेंट चढ़ाया था जो बयानबाजी के विपरीत असर का बहुत बड़ा उदाहरण है। चूंकि हम वैश्विक स्तरपर भारत की राय और भारत माता के सपूतों की राय प्रकट करने की बात कर रहे हैं, इसीलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे आओ सोच समझकर अपनी राय बनाए, वाणी बोले।
साथियों बात अगर हम अनेक मुद्दों पर मनीषियों की राय की करें तो दरअसल, हर मुद्दे को लेकर सबकी राय अलग अलग होती है, ऐसे में कई लोग सही तरह से राय व्यक्त न कर पाने के कारण भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं, तो कुछ लोग दिलचस्प तरीके से अपनी बात रखकर भीड़ से अलग पहचान बनाने में कामयाब हो जाते हैं,आमतौर पर हर चीज को लेकर सभी लोगों कि अपनी अपनी राय होती हैं, ऐसे में ज्यादातर लोग नुक्कड़ पर राजनीतिक चर्चा से लेकर सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और घरेलू मामलों में अपनी राय देने से पीछे नहीं हटते हैं। हालांकि, इस दौरान कुछ लोगों की राय भीड़ से बिल्कुल अलग होती है. वहीं अगर हम चाहें तो कुछ इंप्रेसिव तरीकों से अपनी राय को सबसे अलग बना सकते हैं।
साथियों कई बार जल्दी जल्दी में राय देने के चक्कर में हम अपनी बात को सही तरीके से पेश नहीं कर पाते हैं, ऐसे में न सिर्फ हम सामने वाले को अपनी बात समझाने में असफल हो जाते हैं बल्कि सामने बैठे लोग हमारी बात का गलत मतलब भी निकाल सकते हैं, इसलिए हमें अपनी राय रखने से पहले शब्दों का चुनाव काफी सोच-समझ कर ही करना है। वैसे तो हर मुद्दे पर सभी का अलग राय होती है, वहीं राय सही या गलत भी हो सकती है, मगर राय रखते समय कई लोग अपनी बात को इतने खास अंदाज में बयां करते हैं कि हम चाहकर भी उनकी बात का विरोध नहीं कर पाते हैं। हालांकि, अगर हम चाहें तो राय देने के इस दिलचस्प तरीके को अपनी व्यक्त्तित्व में भी शामिल कर सकते हैं।
साथियों बात अगर हम राय देने में शब्दों के चयन की करें तो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी हमें शब्दों का चयन सोच समझ कर करना चाहिए, चाहे किसी से बात करने के क्रम में हो या किसी समारोह में या किसी वाद विवाद में। ऐसा माना जाता है कि हथियार या चोट के घाव तो भर जाते हैं पर शब्दों के घाव हमेशा ताजा रहते हैं। किसी मित्र की टांग खिंचाई में बड़ा मजा आता है पर ऐसा करने में हम इतने मशगूल हो जाते हैं कि कुछ अनचाहा कह जाते हैं। कुछ ऐसा ही क्रोध के समय भी होता है। इसीलिए क्रोध के समय अप्रिय बातें करने से बचना चाहिए। इसके अलावा यदि किसी को सलाह दी जाए तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि हमारे शब्दों से उसके आत्मसम्मान को ठेस ना पहुंचे। यदि सही शब्दों का चयन किया जाए तो आदेश भी निवेदन लगेगा और बिना किसी के अहम को ठेस पहुंचे सब का काम हो जाएगा।
साथियों इसके साथ ही हमें अपने कहे गए शब्दों की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। चाहे अनचाहे यदि आपकी बातों से किसी की भावनाएं आहत हो तो हमें उन बातों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, ना कि तरह-तरह के बहाने बनाकर अपनी बातों को सिद्ध करना चाहिए। ऐसा करके हम अनावश्यक बहस से निजात पा सकेंगे और सामने वाले के मन में भी सम्मान के पात्र बनेंगे। वास्तव में हमारे शब्द हमारे हृदय की प्रेम की अभिव्यक्ति हैं। अब यह हमारे ऊपर है कि हम इस प्रेम को संसार में लुटाएं या प्रेम की जगह घृणा फैलाएं। प्रेम पूर्वक की गई आलोचना किसी को सही मार्ग पर ला सकती है या अप्रिय शब्दों से युक्त अच्छी सलाह उसे गलत रास्ते को चुनने की ओर प्रेरित कर सकती है। इसलिए हमें शब्दों के खजाने को निरंतर बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि इनका प्रयोग संसार में खुशियां बांटने में किया जा सके।अतएव सोच समझकर शब्दों का चयन करें।
साथियों बात अगर हम अपनी राय शाब्दिक अभिव्यक्ति के बाद तीसरे सबसे कीमती सोने पर सुहागा वाणी की करें तो, कबीर दास जी का यह दोहा और उसका अर्थ सबने सुना होगा, ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय,औरन को शीतल करे आपहुं शीतल होय,हम सब इसका अर्थ भी जानते हैं पर हम में से ऐसे कितने हैं जो इन पर अपनी मौजूदा जिंदगी में अमल करते हैं। यह सिर्फ एक दोहा नहीं है,एक फिलॉसफी है कि हम अपने शब्द का चुनाव सोच समझकर करें। आखिर शब्द ही हैं जो दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त बनाने की काबिलियत रखते हैं। द्रौपदी के कहे तीखे शब्द, जो उसने दुर्योधन को कहे, महाभारत के युद्ध का एक कारण बने। दूसरी तरफ दुर्योधन के शब्दों ने कर्ण को अपना मित्र बना लिया। यह दिखाता है कि किस प्रकार शब्द अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हम बिना सोचे-समझे किसी की बात को गलत कह देते हैं, क्या यह कहना इतना आसान होता है, बिना यह जाने कि पूरी बात क्या है?
साथियों एक प्रख्यात कहावत के कुछ इस तरह बोल हैं,शब्द तीर की तरह होते हैं, एक बार ज़ुबान की कमान से निकल गए तो आप उन्हें दोबारा वापिस नहीं ले सकतें।हम बिना सोचे समझे किसी की बात को गलत कह देते हैं- आखिर क्यों?क्योंकि हम समझने के लिए नहीं बल्कि प्रतिक्रिया देने के लिए सुनते हैं। हम मन ही मन धारणाएं बना लेते हैं और हमारी प्रतिक्रियाओं के साथ तैयार होते हैं। हम सामने वाले की बातों को समझकर नहीं सुनते। और इसकी कई वजहें हैं जिनके बारे में मैं इस उत्तर में नहीं समझा सकतीं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि,आओ बयानों, तकरारों में मधुर वाणी का उपयोग करें।कमान से निकला तीर और मुख़ से बोले शब्द कभी वापस नहीं होते इसलिए शब्दों के चयन में विवेकपूर्ण मंथन ज़रूरी।किसी भी विषय वस्तु पर अपनी राय बनाते, शब्दों का चयन करते समय विवेकपूर्ण मंथन ज़रूरी है

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Related Posts

janmdin jeevanyatra by Maynuddin Kohri

July 25, 2021

जन्मदिन —- जीवनयात्रा  आजादी के बाद के काले बादल छट जाने के बाद देश मे अमन चैन,गणतन्त्र भारत की सुखद

Guru govind dono khade kako lagu paye by jayshri birmi

July 23, 2021

गुरु गोविंद दोनो खड़े काको लागू पाए अपने देश में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊंचा कहा गया है।

Naari gulami ka ek prateek ghunghat pratha by arvind kalma

July 23, 2021

नारी गुलामी का एक प्रतीक घूंघट प्रथा भारत में मुगलों के जमाने से घूँघट प्रथा का प्रदर्शन ज्यादा बढ़ा क्योंकि

OTT OVER THE TOP Entertainment ka naya platform

July 23, 2021

 ओटीटी (ओवर-द-टॉप):- एंटरटेनमेंट का नया प्लेटफॉर्म ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मीडिया सेवा ऑनलाइन सामग्री प्रदाता है जो स्ट्रीमिंग मीडिया को एक स्टैंडअलोन

Lekh jeena jaruri ya jinda rahna by sudhir Srivastava

July 23, 2021

 लेखजीना जरूरी या जिंदा रहना        शीर्षक देखकर चौंक गये न आप भी, थोड़ा स्वाभाविक भी है और

Ram mandir Ayodhya | Ram mandir news

July 21, 2021

 Ram mandir Ayodhya | Ram mandir news  इस आर्टिकल मे हम जानेंगे विश्व प्रसिद्ध राम मंदिर से जुड़ी खबरों के

Leave a Comment