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poem, Rakesh madhur

नव वर्ष और मधुकवि का भारत

नव वर्ष और मधुकवि का भारत आ गया नवबर्ष फिर भी तू सो रहा||झूठे ख्वाबों ख्यालों क्यों खो रहा|| राष्ट्र …


नव वर्ष और मधुकवि का भारत

आ गया नवबर्ष फिर भी तू सो रहा||
झूठे ख्वाबों ख्यालों क्यों खो रहा||

राष्ट्र सीमा बुलाती है कब से तुझे||
जाग जा भारतीय यह जगाती तुझे||
दुष्ट तेरे लहू से कफन धो रहा||१||
आ गया नव बर्ष फिर भी तू सो रहा||

वक्त आवाज देता है कर गौर सुन||
कांटे रह जायेंगे फूल जायेंगे चुन||
देख तुझको शहीदों का दिल रो रहा||२||
आ गया नव बर्ष फिर भी तू सो रहा||

मात्र भूमि पे दुश्मन नजर हैं किये||
जख्म इतिहास पढ़ कितने तीखे दिये||
चुन के गुरु पुत्र दीवार में दो- रहा||३||
आ गया नव वर्ष फिर भी तू सो रहा||

काट आंचर बहन और मां के लिए||
अब सम्भल जा-सम्भल जा-सम्भल जा प्रिये||
आज तक घोर अन्याय ही हो रहा||
आ गया नव बर्ष फिर भी तू सो रहा||४||

About author 

Madhukavi Rakesh madhur

मधुकवि राकेश मधुर

गांव-चाबरखास
तहसील–तिलहर
जनपद-शाहजहांपुर यू पी


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