Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, Priyanka_saurabh

नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य।

नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य। नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है, …


नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य।

नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य।

नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है, हमें यह भी समझने की ज़रूरत है कि आशाओं के साथ निराशाएँ भी आती हैं। जीवन द्वंद्व का खेल है और नया साल भी इसका अपवाद नहीं है। यदि हम ‘बीते वर्ष’ पर ईमानदारी से विचार करें, तो हमें एहसास होगा कि हालांकि यह आवश्यक नहीं है कि वर्ष ने वह प्रदान किया हो जो हमने उससे चाहा था, लेकिन इसने हमें कुछ बहुमूल्य सीख और अनुभव अवश्य दिए। ये अलग से बहुत महत्वपूर्ण नहीं लग सकते हैं, लेकिन संभवतः ये प्रकृति का हमें उस उपहार के लिए तैयार करने का तरीका है जो उसने हमारे लिए रखा है जिसे वह अपनी समय सीमा में वितरित करेगी। साथ ही, अगर साल ने हमसे कुछ बहुत कीमती चीज़ छीन ली है, तो निश्चित रूप से उसने उसकी समान मात्रा में भरपाई भी कर दी है। वर्ष के अंत में, हमें एहसास होता है कि हमारी बैलेंस शीट काफी उचित है। तो, आइए हम आने वाले वर्ष में इस विश्वास के साथ प्रवेश करें कि नए साल का जादू यह जानने में निहित है कि चाहे कुछ भी हो, हर निराशा के लिए मुआवजा होगा, हर इच्छा की पूर्ति के लिए एक सीख होगी।

-प्रियंका सौरभ

 

बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत।
क्या पता? क्या है बुना ? नई भोर ने गीत।।
जो खोया वो सोचकर, होना नहीं उदास।
जब तक साँसे ये चले, रख खुशियों की आस।।

हर साल, साल-दर-साल, हम अपने दिल में एक गीत और कदमों में वसंत के साथ नए साल में प्रवेश करते हैं। हमें विश्वास है कि जादुई वर्ष अपने साथ हमारी सभी समस्याओं का समाधान लाएगा और हमारी सभी इच्छाएँ पूरी करेगा। चाहे वह सपनों का घर हो, सपनों का प्रस्ताव हो, सपनों की नौकरी हो, सपनों का साथी हो, सपनों का अवसर हो… और भी बहुत कुछ बेहतर हो। लेकिन जैसे-जैसे साल शुरू होता है और हम जो कुछ भी सामने आता है उससे निपटते हैं, नए साल की नवीनता, नए संकल्प, नई शुरुआत पहली तिमाही तक लुप्त होने लगती है। वर्ष के मध्य तक हम बहुत अधिक सामान्यता और कई फीकी आशाओं की चपेट में होते हैं, जो उस वादे से बहुत दूर है जिसके साथ हमने शुरुआत की थी। और आखिरी तिमाही तक हम अपनी वास्तविकता से इतने अभिभूत हो जाते हैं कि हम साल खत्म होने का इंतजार नहीं कर सकते। हम वर्तमान वर्ष को छोड़ते हुए और एक और ‘नया साल’ मनाने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाते हैं और शुभकामनाएं बांटते है-

बाँट रहे शुभकामना, मंगल हो नववर्ष।
आनंद उत्कर्ष बढ़े, हर चेहरे हो हर्ष।।
गर्वित होकर जिंदगी, लिखे अमर अभिलेख।
सौरभ ऐसी खींचिए, सुंदर जीवन रेख।।

नववर्ष वह समय है जब हमें अचानक लगता है कि, ओह, एक साल बीत गया। हम कुछ पलों के लिए स्तब्ध हो जाते हैं कि समय कितनी जल्दी बीत जाता है, और फिर हम वापिस अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं। मजेे की बात यह है कि ऐसा साल में लगभग एक बार तो होता ही है। यदि हम आश्चर्य के इन क्षणों की गहराई में जाएं, तब हम पाएंगे कि हमारे भीतर कुछ ऐसा है जो सभी घटनाओं को साक्षी भाव से देख रहा है। हमारे भीतर का यह साक्षी भाव अपरिवर्तित रहता है और इसीलिए हम समय के साथ बदलती घटनाओं को देख पाते हैं। जीवन की वे सभी घटनाएं जो बीत चुकी हैं, एक स्वप्न बन गई हैं। जीवन के इस स्वप्न-जैसे स्वभाव को समझना ही ज्ञान है। यह स्वप्न अभी इस क्षण भी चल रहा है। जब हम यह बात समझते हैं तब हमारे भीतर से एक प्रबल शक्ति का उदय होता है और फिर घटनाएं व परिस्थितियां हमें हिलाती नहीं हैं। हालांकि, घटनाओं का भी जीवन में अपना महत्व है। हमें घटनाओं से सीखना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए। नया साल नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य और नए आइडिया की उम्मीद देता है, इसलिए सभी लोग खुशी से बिना किसी मलाल के इसका स्वागत करते हैं-

आते जाते साल है, करना नहीं मलाल।
सौरभ एक दुआ करे, रहे सभी खुशहाल।।
छोटी सी है जिंदगी, बैर भुलाये मीत।
नई भोर का स्वागतम, प्रेम बढ़ाये प्रीत।।

हालाँकि नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है, हमें यह समझने की ज़रूरत है कि आशाओं के साथ निराशाएँ भी आती हैं। जीवन द्वंद्व का खेल है और नया साल भी इसका अपवाद नहीं है। यदि हम ‘बीते वर्ष’ पर ईमानदारी से विचार करें, तो हमें एहसास होगा कि यह आवश्यक नहीं है कि वर्ष ने वह प्रदान किया हो जो हमने उससे चाहा था, लेकिन इसने हमें कुछ बहुमूल्य सीख और अनुभव अवश्य दिए। ये अलग से बहुत महत्वपूर्ण नहीं लग सकते हैं, लेकिन ये संभवतः प्रकृति का हमें उस उपहार के लिए तैयार करने का तरीका है जो उसने हमारे लिए रखा है जिसे वह अपनी समय सीमा में वितरित करेगी। साथ ही, अगर साल ने हमसे कुछ बहुत कीमती चीज़ छीन ली है, तो निश्चित रूप से उसने उसकी समान मात्रा में भरपाई भी कर दी है। वर्ष के अंत में, हमें एहसास होता है कि हमारी बैलेंस शीट काफी उचित है। तो, आइए हम आने वाले वर्ष में इस विश्वास के साथ प्रवेश करें कि नए साल का जादू यह जानने में निहित है कि चाहे कुछ भी हो, हर निराशा के लिए मुआवजा होगा, हर इच्छा की पूर्ति के लिए एक सीख होगी, दर्द-दुखों का अंत होगा, अपनेपन की धूप होगी-

छँटे कुहासा मौन का, निखरे मन का रूप।
सब रिश्तों में खिल उठे, अपनेपन की धूप।।
दर्द- दुखों का अंत हो, विपदाएं हो दूर।
कोई भी न हो कहीं, रोने को मजबूर।।

नए साल पर अपने लिए लक्ष्य निर्धारित कर लें। छात्र हों या नौकरीपेशा, सभी के लिए कोई न कोई लक्ष्य होना जरूरी होता है। भविष्य को बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकते हैं और किस दिशा में प्रयास करना है, इन सब का निर्धारण करने के बाद उसे पूरा करने का संकल्प ले लें। आपका संकल्प हमेशा लक्ष्य को पूरा करने की याद दिलाता रहेगा। सभी ‘नए साल’ को जीवनकाल से जोड़ते हैं और हमारा जीवनकाल आशाओं और निराशाओं, सफलताओं और असफलताओं, खुशियों और दुखों के बारे में है और यह वर्ष भी कम जादुई नहीं होगा। तो इस वर्ष आप अपने संकल्पों को कैसे पूरा कर सकते हैं? इस बारे सोच समझकर आगे बढिये, दूसरों से समर्थन मांगें, अपने मित्रों और परिवार से आपका उत्साह बढ़ाने के लिए कहें। उन्हें अपने लक्ष्य बताएं और आप क्या हासिल करना चाहते हैं। अपने लिए एक इनाम प्रणाली बनाएं, अल्पकालिक लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें पूरा करने के लिए स्वयं को पुरस्कृत करें। अपने ऊपर दया कीजिये, कोई भी एकदम सही नहीं होता। अपने आप को कोसने की बजाय गहरी सांस लें और नव उत्कर्ष के प्रयास करते रहें-

खोल दीजिये राज सब, करिये नव उत्कर्ष।
चेतन अवचेतन खिले, सौरभ इस नववर्ष।।
हँसी-खुशी, सुख-शांति हो, खुशियां हो जीवंत।
मन की सूखी डाल पर, खिले सौरभ बसंत।।

ऐसा माना जाता है कि साल का पहला दिन अगर उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाए, तो पूरा साल इसी उत्साह और खुशियों के साथ बीतेगा। हालांकि भारतीय परम्परा के अनुसार नया साल एक नई शुरुआत को दर्शाता है और हमेशा आगे बढऩे की सीख देता है। पुराने साल में हमने जो भी किया, सीखा, सफल या असफल हुए उससे सीख लेकर, एक नई उम्मीद के साथ आगे बढऩा चाहिए। ताकि इस वर्ष की एक सुखद पहचान बने-

खिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान।
आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान।।
छेड़ रही है प्यार की, मीठी-मीठी तान।
नए साल के पँख पर, खुशबू भरे उड़ान।।

About author 

Priyanka saurabh

प्रियंका सौरभ

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार
facebook – https://www.facebook.com/PriyankaSaurabh20/

twitter- https://twitter.com/pari_saurabh 


Related Posts

umra aur zindagi ka fark by bhavnani gondiya

July 18, 2021

उम्र और जिंदगी का फर्क – जो अपनों के साथ बीती वो जिंदगी, जो अपनों के बिना बीती वो उम्र

mata pita aur bujurgo ki seva by bhavnani gondiya

July 18, 2021

माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा के तुल्य ब्रह्मांड में कोई सेवा नहीं – एड किशन भावनानी गोंदिया  वैश्विक रूप से

Hindi kavita me aam aadmi

July 18, 2021

हिंदी कविता में आम आदमी हिंदी कविता ने बहुधर्मिता की विसात पर हमेशा ही अपनी ज़मीन इख्तियार की है। इस

Aakhir bahan bhi ma hoti hai by Ashvini kumar

July 11, 2021

आखिर बहन भी माँ होती है ।  बात तब की है जब पिता जी का अंटिफिसर का आपरेशन हुआ था।बी.एच.यू.के

Lekh ek pal by shudhir Shrivastava

July 11, 2021

 लेख *एक पल*         समय का महत्व हर किसी के लिए अलग अलग हो सकता है।इसी समय का सबसे

zindagi aur samay duniya ke sarvshresth shikshak

July 11, 2021

 जिंदगी और समय ,दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक जिंदगी, समय का सदा सदुपयोग और समय, जिंदगी की कीमत सिखाता है  जिंदगी

Leave a Comment