Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Ankur_Singh, poem

द्वारिका में बस जाओ

 द्वारिका में बस जाओ वृंदावन में मत भटको राधा, बंसी सुनने तुम आ जाओ । कान्हा पर ना इल्जाम लगे, …


 द्वारिका में बस जाओ

द्वारिका में बस जाओ

वृंदावन में मत भटको राधा,

बंसी सुनने तुम आ जाओ ।
कान्हा पर ना इल्जाम लगे,
फिर तुम उसकी हो जाओ ।।
रुकमणी,सत्या, जामवंती संग
तुम द्वारिका में बस जाओ।
छोड़ आया तुझे तेरा कान्हा,
ऐसा इल्जाम ना लगाओ ।।
पूछो हाल जरा कान्हा का,
जो सुन राधा तड़प उठे।।
वो धुन कहां अब बंसी में,
जो राधा प्रेम में बज उठे।।
राधा राधा कान्हा पुकारे,
तुम हो कान्हा की प्यारी ।
तुम वृंदावन में, 
रुक्मणी महल में,
फिर भी तुम राधा रानी।।
वृंदावन में राधा मत भटको,
अधर प्रेम पूर्ण कर जाओ।
जग की चिंता छोड़ तुम राधा,
अब मेरी द्वारिका में बस जाओ।।

About author 

अंकुर सिंह
अंकुर सिंह
हरदासीपुर, चंदवक
जौनपुर, उ. प्र.

Related Posts

Kavita : चीन का हर माल ख़तरनाक

October 19, 2023

चीन का हर माल ख़तरनाक मैंने निजात पाया हैहर उस चीज़ पर शिवाय उसकेजो कमबख़्त चीन की डायनामाइट छछूंदर हैकितनी

शैलपुत्री

October 16, 2023

शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय के, घर बेटी एक आई। दाएं हाथ में त्रिशूल,बाएं हाथ में कमल लाई। वृषभ है वाहन इसका,इसलिए

आया है नवरात्रि का त्योहार

October 16, 2023

आया है नवरात्रि का त्योहार आया है नवरात्रि का त्योहार।नवरात्रि में माँ का सजेगा दरबार।गली-गली गूँजेंगे भजन कीर्तन,माँ अंबे की

कविता – अश्रु | kavita – Ashru

October 14, 2023

कविता – अश्रु ये आसू नही मेरा क्रोध है,क्यू तुम्हे नही ये बोध है,कमजोर मत समझो तुम मुझे,यह तुम पर

कविता -अभिव्यक्ति का अंतस्

October 14, 2023

अभिव्यक्ति का अंतस् आहूत हो रही हैभाव की अंगडा़ईमन की खामोश और गुमसुम परछाई मेंकि कहीं कोई चेहरा… चेहरे की

मां है घर आई

October 14, 2023

मां है घर आई मां है घर आई चहुं दिग खुशियां छाईं झूम उठा है कण-कण माटी का हर चेहरे

PreviousNext

Leave a Comment