देर ना हो जाये आने में
सुनो दिकु……
अब सांसे रुक रुक कर चलती है
यह आँखें हरपल तुम्हारी याद में बहती है
ना कोई स्वाद है अब खाने में
बहुत सी दरारे आ चुकी है
तुम बिन मेरे आशियाने में
खुद को तसल्ली देने के लिये
रोज़ वही रास्ते से चलता हूँ
में तुम से बात करने के लिये
खुद को ही वीडियो कॉल करता हूँ
मर चुके है सारे अंग मेरे
सब की बस एक ही पुकार है
कब आओगी मेरी ज़िंदगी
मुजे ज़िंदा करने के लिए सिर्फ तुम्हारा इंतज़ार है
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए
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प्रेम ठक्कर
सूरत ,गुजरात
ऐमेज़ॉन में मैनेजर के पद पर कार्यरत