Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, Priyanka_saurabh

जान के दुश्मन बनते आवारा कुत्ते

जान के दुश्मन बनते आवारा कुत्ते भारत के मीडिया में लगातार ‘आवारा कुत्तों का खतरा’ सुर्खियों में रहता है। पिछले …


जान के दुश्मन बनते आवारा कुत्ते

जान के दुश्मन बनते आवारा कुत्ते

भारत के मीडिया में लगातार ‘आवारा कुत्तों का खतरा’ सुर्खियों में रहता है। पिछले पांच वर्षों से, 300 से अधिक लोग – ज्यादातर गरीब और ग्रामीण परिवारों के बच्चे – कुत्तों द्वारा मारे गए हैं। 2017 के एक अध्ययन से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेघर कुत्ते भी वन्यजीवों के लिए विनाशकारी हो सकते हैं। इसके बावजूद इन खबरों के प्रति समाज बेसुध बना रहता है। कभी-कभार यह जड़ता कुछ भयावह घटनाओं के साथ टूट जाती है। राज्यों, केंद्र, न्यायपालिका, नगर पालिका और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा इस संकट की स्वीकृति के बावजूद यह समस्या बढ़ती ही जा रही है।

-प्रियंका सौरभ

कुत्तों का मानव के विकास क्रम के साथ साहचर्य का एक अनूठा संबंध रहा है। यह उनके कल्याण के लिए जिम्मेदार होने की नैतिक दुविधा इंसान के सामने पैदा करता है, लेकिन इसके अपने खतरे भी हैं क्योंकि कुत्तों का विकास भेड़िये और उसकी प्रवृत्ति से जुड़ा है। भारत के लिए भले ही यह एक अबूझ पहेली हो, लेकिन बाकी दुनिया के अधिकांश हिस्सों ने आवारा जानवरों के अधिकारों को मान्यता नहीं दी है। यदि ऐसे पशुओं को पट्टे से बांध कर रखा जाता है और पंजीकृत किया जाता है, तो उसे पालने वाले उसकी देखभाल करने के लिए बाध्य माने जाते हैं। यदि ऐसा नहीं है, तब अंतिम उपाय के रूप में राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में उन्हें मार देने के लिए बाध्य है। आवारा कुत्तों को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और अधिनियम की धारा 38 के तहत अधिनियमित नियमों, विशेष रूप से पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के तहत संरक्षित किया जाता है। यह किसी व्यक्ति, आरडब्ल्यूए, या संपत्ति प्रबंधन के लिए अवैध बनाता है कुत्तों को हटाना या स्थानांतरित करना। सभी आवारा कुत्तों में से केवल 15% को ही टीका लगाया गया है। भारत की आवारा आबादी बहुत बड़ी है, गोद लेने की गति बहुत धीमी और सीमित है क्योंकि बहुत से लोग केवल विदेशी नस्ल के कुत्ते ही चाहते हैं।

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 (अद्यतन किया जा रहा है) का उद्देश्य आवारा पशुओं की आबादी को सीमित करना है लेकिन सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार में इनका कोई लाभ नहीं होता। प्रस्तावित मसौदा नियम, या पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2022, नसबंदी और टीकाकरण में केवल प्रक्रियात्मक बदलावों को सामने रखते हैं, केवल “लाइलाज बीमार और घातक रूप से घायल” कुत्तों को ही मारने की इजाजत देते हैं, और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को अपने इलाके के में आवारा जानवरों को खिलाने का जिम्मेदार मानते हैं। पीसीए और एबीसी के नियम यह स्वीकार करते हैं कि अनियंत्रित आवारा कुत्तों को रोका जाना चाहिए, हालांकि यह समस्या की भयावहता के लिहाज से मायने नहीं रखता क्योंकि प्रत्येक 100 भारतीयों पर लगभग एक आवारा पशु है। लगभग 21,000 पर, रेबीज से होने वाली सभी मौतों में से एक तिहाई से अधिक भारत में होती है। पिछले पांच वर्षों से, 300 से अधिक लोग – ज्यादातर गरीब और ग्रामीण परिवारों के बच्चे – कुत्तों द्वारा मारे गए हैं। 2017 के एक अध्ययन से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेघर कुत्ते भी वन्यजीवों के लिए विनाशकारी हो सकते हैं। 80 से अधिक प्रजातियां, जिनमें से 30 से अधिक लुप्तप्राय सूची में हैं, जंगल क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा लक्षित की गई थीं। कुत्ते जो अकेले बाहर हैं वे सड़क पर दौड़ते समय दुर्घटना का कारण बन सकते हैं, जिससे उन्हें और अन्य लोगों को चोट भी लग सकती है।

आवारा कुत्ते कचरा बैग खोलने का आनंद लेते हैं और वे कचरे को बिखरेने का कारन हो सकते हैं और पर्यावरण और सड़क के चारों ओर बिखरा हुआ कचरा दूर दूर तक फैला सकते हैं। आवारा कुत्ते भोजन के लिए पड़ोस को मैला करेंगे और खुले कचरे के डिब्बे तोड़ सकते हैं और बगीचों को नुकसान कर सकते हैं। जो लोग आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं, उन्हें उनके टीकाकरण के लिए जिम्मेदार बनाया जा सकता है और अगर किसी पर जानवर का हमला होता है तो वह लागत वहन कर सकता है। प्रत्येक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को पुलिस डॉग स्क्वायड के परामर्श से “गार्ड एंड डॉग पार्टनरशिप” बनाना चाहिए। ताकि कुत्तों को प्रशिक्षित किया जा सके और फिर भी वे कॉलोनी के निवासियों के अनुकूल हों। नगर निगम, निवासी कल्याण संघ और स्थानीय कुत्ते समूहों को पशुओं का टीकाकरण और बंध्याकरण करना चाहिए। बीमार जानवरों, आक्रामक जानवरों को मौत के घाट उतारना होगा। एकमात्र दीर्घकालिक समाधान सख्त पालतू स्वामित्व कानूनों को लागू करना है, लोगों को हर जगह लापरवाही से कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित करना और घरेलू कुत्तों के लिए सुविधाएं स्थापित करना है।

अधिक स्टाफ और फंड की सख्त जरूरत है। नसबंदी के अलावा गोद लेने पर भी ध्यान देना चाहिए। और हमें इस संकट को मानवीय रूप से हल करने में मदद करने के लिए कुछ करुणा ढूंढनी चाहिए। जब तक सड़कों पर कुत्ते बेघर हैं, लोगों और कुत्तों के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ रेबीज मुक्त भारत का विचार एक यूटोपियन सपना होगा। कुत्तों को बेघर रखना कुत्तों के लिए बुरा है, लोगों के लिए बुरा है और वन्यजीवों के लिए बुरा है। कमजोर (गरीब और उनके बच्चे) आदमी की उपचार तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिहाज से भारत में बुनियादी ढांचे और तंत्र की कमी है। ऐसे मे, नसबंदी और टीकाकरण के साथ कुत्तों की संख्या कम होने की उम्मीद करना एक कोरी कल्पना है। भारत ने 2030 तक रेबीज को खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन आवारा कुत्तों से खतरे को सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में जब तक सबसे पहले मान्यता नहीं दे दी जाती तब तक भारत के निर्धनतम लोग सुस्त नारेबाजी की बलिवेदी पर सुरक्षित सार्वजनिक स्थानों पर अपने अधिकार से महरूम होते रहेंगे।

About author 

Priyanka saurabh

प्रियंका सौरभ

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार
facebook – https://www.facebook.com/PriyankaSaurabh20/
twitter- https://twitter.com/pari_saurabh

Related Posts

Haar Dubara (cricket) by Jayshree birmi

November 7, 2021

 हार दुबारा(क्रिकेट )? क्रिकेट एक खेल हैं और इसे खेलदिली से ही खेलना चाहिए।वैसे तो सभी खेलों को ही खेलदिली

कुदरत और हम – जयश्री बिरमी

November 7, 2021

 कुदरत और हम  दुनियां में विकास और पर्यावरण में संतुलन अति आवश्यक हैं।किंतु विकास के लिए पर्यावरण के महत्व  को

khyaati by Jayshree birmi

November 7, 2021

 ख्याति देश भक्ति या राष्ट्र के विरुद्ध बयान बाजी या प्रवृत्ति करके मिलती हैं ख्याति! आए दिन कोई बड़ा आदमी

Aaj ke dhritrastra by Jayshree birmi

November 7, 2021

 आज के धृतराष्ट्र  हमारे देश ने बहुत ही उन्नति की हैं,दिन ब दिन दुनियां की रेटिंग मेगाजिंस में हमारे करोड़पतियों

Vikas aur paryavaran me santulan by Jay shree virami

November 7, 2021

विकास और पर्यावरण में सन्तुलन दुनियां में विकास और पर्यावरण में संतुलन अति आवश्यक हैं।किंतु विकास के लिए पर्यावरण के

एलर्जिक क्यों?

October 23, 2021

 एलर्जिक क्यों कई प्राकृतिक और कई अप्राकृतिक परिबलों का शरीर द्वारा प्रतिकार होने की प्रक्रिया हैं।ये प्रक्रिया सभी मानव शरीर

Leave a Comment