गुलाब!
करते है हम, परमेश्वर के चरणो में अर्जित,
चलो महका दे जहां, गुलाब के फूल के जैसे,
सुंदरता और कोमलता मैं प्रसिद्ध हो ऐसे!
स्वयं की रक्षा करने के लिए, हम में कांटे भी हो चंद,
सजावट हो या भोजन, इसके उपयोग है कहीं,
देखो इसकी आकृति, कुछ हमसे हे कह रही!
इसे देखते ही, हमारे चेहरे पर आए मुस्कान,
इससे बढ़कर क्या हो, किसी का सम्मान,
हमें देख कर भी, कहीं चेहरे मुस्कुराए,
चलो सभी को, नम्र हृदय से अपनाएं!
छोटा सा पौधा, हर एक अपने घर में लगाना चाहता है,
क्योंकि हर बगीचे की, यह एक रौनक कहलाता है,
कितना लाभदायक और उपयोगी है यह,
हमें जीने का, सलीका सिखाता है!





