Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Health, lekh, sneha Singh

गर्मी: आया मौसम हिट स्ट्रोक का

गर्मी: आया मौसम हिट स्ट्रोक का  गर्मी के मौसम में सामान्य रूप से गर्मी बढ़ जाती है। जिसके कारण आदमी …


गर्मी: आया मौसम हिट स्ट्रोक का 

Summer: The season of hit stroke has come|गर्मी: आया मौसम हिट स्ट्रोक का

गर्मी के मौसम में सामान्य रूप से गर्मी बढ़ जाती है। जिसके कारण आदमी के शरीर का तापमान बढ़ जाने की संभावना बढ़ जाती है। इसी तरह गर्मी की धूप के कारण या किसी बाहरी वजह से अगर आदमी के शरीर का तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट अथवा 40 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो जाता है तो इसे हिट स्ट्रोक अथवा लू लगना कहा जाता है।

कारण

हिट स्ट्रोक के कारणों में मुख्य रूप से वातावरण में गर्मी बढ़ जाना महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पर इसके अलावा भी एक कारण यह भी है कि अगर आदमी क्षमता से अधिक श्रम करता है या व्यायाम करता है तो भी लू लग सकती है।

 लक्षण

अगर आदमी को हिट स्ट्रोक होता है तो इसमें मुख्य रूप से

  1. सिर में दर्द
  2.  चक्कर आना
  3. आंखों के आगे अंधेरा छाना
  4. होश खो देना
  5. दौरा आना
  6. बेहोश हो जाने जैसे दिमागी लक्षण भी देखने को मिलते हैं
  7. इसके अलावा भी कुछ लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे कि
  8. स्नायुओं में दर्द
  9. थकान का अनुभव
  10. शरीर में कमजोरी का अनुभव
  11. पेशाब कम होना
  12. मुंह सूखना
  13. टट्टी-उलटी होने जैसे लक्षण सामान्य रूप से देखने को मिलते हैं।

काॅम्पलीकेशन

हिट स्ट्रोक में दिखाई देने वाले काॅम्पलीकेशंस में अक्सर रोगी को दौरा आना, बेहोश हो जाना और कोमा में चले जाने जैसे लक्षणों से ले कर ब्लडप्रेशर घट जाना, किडनी डैमेज हो जाना या फेल हो जाना तथा मल्टीआर्गन फ्लेयर की भी संभावना रहती है।

निदान

हिट स्ट्रोक का निदान सामान्य रूप से रोगी के लक्षणों और रोगी की हिस्ट्री पर क्लिनिकल एग्जामिनेशन के दौरान किया जाता है। इसके अलावा रोगी के शरीर में डिहाइड्रेशन बताने वाले लक्षण और रोगी का ब्लडप्रेशर घट जाना। रोगी के होंठ, जीभ, गला आदि सूख जाना जैसे लक्षणों पर भी फिजीशियन डाक्टर सही निदान करते हैं। जरूरत पड़ने पर डाक्टर लेबोरेटरी टेस्ट भी कराते हैं जैसे कि लीवर, किडनी की रिपोर्ट तथा क्षार की रिपोर्ट द्वारा भी हिट स्ट्रोक का निदान किया जाता है।

 इलाज

  1.  हिट स्ट्रोक होने का कारण अधिक देर तक धूप या गर्मी के संपर्क में आना होता है। इसलिए इस रोग का निदान शुरू हो उस व्यक्ति को धूप वाली जगह से तत्काल छाया वाली जगह में चले जाना चाहिए।
  2.  अगर रोगी ने अधिक फिटिंग वाले कपड़े पहने हैं तो उन्हें निकाल कर ढीले और सूती कपड़े पहना देना चाहिए।
  3.  रोगी के शरीर पर ठंडे पानी के छींटे मारना चाहिए।
  4.  जरूरत के अनुसार आइस बैग या ठंडे पानी में भीगे कपड़े से स्पंजिंग करना चाहिए।
  5.  अगर व्यक्ति होश में है तो उसे मुंह से अधिक से अधिक मात्रा में तरल देना चाहिए। जिसमें खाली पानी देने के बजाय क्षार वाला पानी देना चाहिए। जैसे कि ओआरएस, इलेक्ट्राल पाउडर वाला पानी या विविध प्रकार के खट्टे फलों का जूस देना अधिक फायदेमंद है।
  6.  अगर रोगी होश में नहीं है तो उसे तत्काल अस्पताल ले जाना चाहिए।
  7.  रोगी क्यों बेहोश है, इसके सभी कारणों की जांच जरूरी है। लेबोरेटरी टेस्ट के अलावा जरूरत हो तो सीटी स्कैन या एमआरआई करवा लेना चाहिए।
  8.  हिट स्ट्रोक के कारण रोगी मल्टीआर्गन फ्लेयर न हो जाए इसके लिए जरूरत के अनुसार इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में रख कर रोगी का उचित इलाज करना चाहिए।
  9.  अगर रोगी पर हिट स्ट्रोक का अधिक असर है और इसकी वजह से रोगी के शरीर में अति तीव्र डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) हो गई है तो इस परिस्थिति में रोगी का ब्लडप्रेशर काफी कम हो जाता है। जिसका असर तुरंत रोगी की किडनी पर होता है। किडनी जिसका काम शरीर का कचरा पेशाब द्वारा बाहर निकालना है, यह काम वह कर नहीं सकती, जिसके कारण शरीर में टॉक्सिक प्रोडक्ट (जहरीले तत्व) की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से किडनी फेल हो सकती है। ऐसी परिस्थिति में जरूरत पड़ने पर डायलिसिस कर के रोगी की किडनी को बचाने की कोशिश की जाती है।

 इस तरह बचें हिट स्ट्रोक से

  1. कुछ व्यवसाय ऐसे होते हैं, जिनमें बाहर निकलना जरूरी होता है। ऐसे व्यक्ति को बाहर निकलते समय जितना संभव हो ढ़ीला और सूती कपड़ा पहनना चाहिए।
  2. पानी की बोतल हमेशा साथ रखनी चाहिए। थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहना चाहिए।
  3.  दिन के दौरान यूरीन की फिक्वेंसी पर नजर रखनी चाहिए। अगर दिन में यूरिन (पेशाब) कम मात्रा में हो रहा है तो तरल लेना बढ़ा दें।
  4. गर्मी में ज्यादा व्यायाम न करें।
  5.  धूप में बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन लोशन का उपयोग फायदेमंद है। पर सनस्क्रीन जरूरत के अनुसार और डाक्टर की सलाह के अनुसार ही लगाएं। अलग-अलग सनस्क्रीन लोशन में (सन प्रोटेक्टिंग फैक्टर) विविध मात्रा में होता है। व्यक्ति की त्वचा के अनुरूप अलग-अलग प्रतिशत का एसपीएफ वाले सनस्क्रीन लोशन का उपयोग फायदेमंद है।
  6. तमाम लोग अतिशय गरम वाले वातावरण में से ठंडे वातावरण में आ कर आंखों या मुंह पर एकदम ठंडा पानी के छींटे मारने की आदत होती है। यह करने के पहले सामान्य पानी से मुंह धोना चाहिए। उसके बाद ठंडे पानी से मुंह धोना या नहाना चाहिए। इसके बाद ठंडा पानी या जूस पीना चाहिए।
  7. कभी अगर एकदम गरम से एकदम ठंड का अनुभव हो तो यह ओवर रिएक्ट करता है तो ऐसे में लू लग सकती है या एलर्जी हो सकती है।

About author

Sneha Singh
स्नेहा सिंह

जेड-436ए, सेक्टर-12

नोएडा-201301 (उ.प्र.) 


Related Posts

maa ko chhod dhaye kyo lekh by jayshree birmi

September 13, 2021

 मां को छोड़ धाय क्यों? मातृ भाषा में व्यक्ति अभिव्यक्ति खुल के कर सकता हैं।जिस भाषा सुन बोलना सीखा वही

Hindi maathe ki bindi lekh by Satya Prakash

September 13, 2021

हिंदी माथे की बिंदी कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, साक्षर से लेकर निरीक्षर तक भारत का प्रत्येक व्यक्ति हिंदी को

Jeevan aur samay chalte rahenge aalekh by Sudhir Srivastava

September 12, 2021

 आलेख        जीवन और समय चलते रहेंगें              कहते हैं समय और जीवन

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav

September 9, 2021

बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व हमारा परिवेश बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश

Jungle, vastavikta he jiski khoobsurati hai

September 9, 2021

 Jungle, vastavikta he jiski khoobsurati hai जंगल स्वतंत्रता का एक अद्वितीय उदाहरण है, जहां कोई नियम नहीं , जिसकी पहली

covid 19 ek vaishvik mahamaari

September 9, 2021

 Covid 19 एक वैश्विक महामारी  आज हम एक ऐसी वैश्विक आपदा की बात कर रहे है जिसने पूरे विश्व में

Leave a Comment