Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

ख़ुद के साथ समय बिताने में जीवन के गहरे संकेत छिपे हैं

ख़ुद के साथ समय बिताने में जीवन के गहरे संकेत छिपे हैं मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक ऊर्जा और तनाव मुक्त जीवन …


ख़ुद के साथ समय बिताने में जीवन के गहरे संकेत छिपे हैं

ख़ुद के साथ समय बिताने में जीवन के गहरे संकेत छिपे हैं

मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक ऊर्जा और तनाव मुक्त जीवन के लिए खुद के साथ समय बिताना बेहद फायदेमंद है

– व्यवसायिक और व्यवहारिक जीवन में खुद के लिए समय निकालना जरूरी – एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया – वर्तमान चकाचौंध और डिजिटल दुनिया में हर आदमी अपने व्यवसायिक, व्यवहारिक, सामाजिक, पारिवारिक, आध्यात्मिक और सेवा कार्यों में इस तरह व्यस्त हो गया है कि उसे अपने लिए समय निकालने की चेष्टा ही नहीं रहती, या यूं कहें कि इन सब व्यवहारों से दूर अपने परिवार तक सीमित व्यक्ति भी अपने खुद के लिए समय नहीं निकाल सकता!! या फिर वर्तमान आपाधापी की जिंदगी में वह खुद को भूल सा गया है और सिर्फ अपने परिवार बच्चों समाज आध्यात्मिक तक सीमित हो गया है याफिर कुछ कहावतें जैसे खुद के लिए तो सब जीते हैं दूसरों के लिए जीना मनुष्य जीवन का धर्म है,खुद की छोड़ो दूसरे की भलाई देखो, खुद को चोट लगा कर भी दूसरों की भलाई करना जैसे अनेक कहावतों के भावार्थ ऊपर जीवन जीना भी बुरा नहीं है परंतु खुद अपने अनमोल शरीर के मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक ऊर्जा और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए ख़ुद के साथ समय बिताना बेहद फायदेमंद है जिसे आजकल की नई परिभाषा में, मी-टाइम भी कहा जाता है जो कोविड महामारी के बाद तो खुद के साथ समय बिताना में जीवन में गहरे संकेत देते हैं इसलिए व्यवहारिक व्यवसायिक जीवन में रोज़ खुद के लिए एक-दो घंटे समय निकालना चाहे वह व्यायाम, अपना शौक पूरा करना, संगीत या फिर किसी भी प्रकार का काम जिससे मानसिक शारीरिक संतुष्टि हो करना बेहद फायदेमंद है।इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से मी-टाइम पर चर्चा करेंगे।

साथियों बात अगर हम खुद के लिए समय निकालने के भावार्थ की करें तो, इसका अर्थ है अपने अत्यधिक व्यस्त रूटीन से विश्राम के लिए या अपने लिए कुछ समय निकालना। यह महज कुछ मिनट या घंटों के लिए भी हो सकता है। मी-टाइम का मतलब उस समय का आनंद लेना है, जहां हम शांति से कॉफी का आनंद लेते हैं, अपने नाखून ठीक करतें हैं या जिम जाते हैं। वह समय जो व्यस्त कार्यक्रम से हम खुद को रिचार्ज करने के लिए निकालते हैं। यदि हम मी ​​टाइम शब्द के लिए नए हैं तो घबराएं नहीं, बस इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें।
साथियों बात अगर हम इसके फायदों की करें तोअगर हम खुद के ल‍िए समय न‍िकालते हैं तो इससे हमारे शरीर की थकान दूर होती है और हम बेहतर महसूस करते हैं। अगर हम र‍िलैक्‍स रहेंगे और मन शांत रहेगा तो हम बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे। मन और शरीर को र‍िलैक्‍स करने के ल‍िए हम खुद के ल‍िए समय जरूर न‍िकालें, जिससे बेहतर मेंटल हेल्थ, एनर्जी और स्ट्रेस फ्री होने के लिए मी-टाइम यानी खुद के साथ समय बिताना बेहद फायदेमंद है। एक मीडिया के एक शोध के मुताबिक युवा भारतीय महिलाएं हर दिन अपने स्मार्टफोन पर करीब 145 मिनट बिताती हैं। यह वक्त उनके खुद के लिए होता है। मनोवैज्ञानिक भी मी टाइम को मानसिक स्वास्थ्य और रिश्तों के लिए लाभदायक मानते हैं। इससे न सिर्फ हम खुद को लेकर किसी उधेड़बुन से अपने आप को मुक्त रखते हैं, बल्कि यह हमारे दिमाग को तरोताजा भी करता है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इससे एकाग्रता बढ़ती है। हम अधिक तार्किक बनते हैं। घर-बाहर बेहतर तरीके से समायोजित हो पाते हैं, हम खुश रहते हैं और मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
साथियों बात अगर हम खुद के लिए समय बिताने के तरीकों की करें तो, अगर हम माता-प‍िता हैं और खुद के ल‍िए समय न‍िकालना चाहते हैं तो हम ये आसान तरीके अपना सकते हैं- हॉबी शुरू करें, हम खुद के साथ समय बि‍ताएं और इसके ल‍िए हम कोई हॉबी फॉलो कर सकते हैं जैसे स्‍व‍िम‍िंंग, डांस करना आदि‍। आज के समय में खुद के साथ समय ब‍िताने का सबसे अच्‍छा तरीका है ऑड‍ियोबुक्‍स या ऑनलाइन पॉडकास्‍ट या रेड‍ियो सुनना वैसे मैं खुद की बात करूं तो मैं रेडियो सुनना पसंद करता हूं। खुद के साथ समय ब‍िताने के ल‍िए हम डायरी ल‍िख सकते हैं या अपने बचपन की कोई हैबि‍ट फॉलो कर सकते हैं। हर दि‍न हम बच्‍चों को देते हैं तो एक द‍िन ब्रेक लेकर हम घूमने जा सकते हैं या फ‍ि‍र शॉप‍िंंग कर सकते हैं। हम क‍िसी फ‍िजि‍कल एक्‍टि‍व‍िटी को भी समय दे सकते हैं, इंडोर वर्कआउट या जॉग‍िंंग, रन‍िंंग आद‍ि एक्‍ट‍िव‍िटी आप अपना सकते हैं।
साथियों खुद के साथ समय बि‍ताकर हम फ्रेश महसूस करेंगे बच्‍चों के ल‍िए फायदेमंद होता है मी टाइम-अगर हम खुद को समय दे रहे हैं तो उसका फायदा हमारे बच्‍चों को ही म‍िलेगा। ज‍िस समय हम खुद को समय देना चाहते हैं उस समय बच्‍चों के साथ खेलें और उनके साथ समय ब‍िताएं। बच्‍चों के साथ समय बि‍ताकर हम बेहतर महसूस करेंगे और हमारा मूड भी फ्रेश हो जाएगा। अगर हम खुद के ल‍िए समय न‍िकालेंगे तो अपने मूड को बेहतर कर सकते हैं। माता-प‍िता बनने के बाद कई बार काम और ज‍िम्‍मेदारी के दबाव में मूड खराब होता है ज‍िससे हमारा व्‍यवहार आपस में और बच्‍चों के साथ बदल सकता है, पर हम खुद को समय देंगे तो हम अपने मूड को बेहतर कर सकते हैं।

साथियों बात अगर हम व्यसायिक और व्यावहारिक जीवन के तनावों की करें तो, डेडलाइन, टारगेट, एचीवमेंट, घर की व्यवस्था, बच्चों की परीक्षाएं, उनका कॅरियर, पेरेंट्स की हेल्थ इत्यादि इन सबके बीच कहीं कुछ छूट तो नहीं रहा है हमारा? कभी एकांत के पलों में हम पूछे अपने दिल से कि इन पलों में क्या है, जो केवल ह मारा है याने हमारा मी टाइम। जवाब में ईमानदारी झलके इसलिए हम कुछ पलों के लिए समर्पण का चश्मा जरूर उतार लें।अपने लिए खुशी के पल जुटाने की चाह सभी की होती है, वो चाहे पुरुष हो या फिर महिला। लेकिन कई बार महिलाओं को घर परिवार, करियर की तमाम जिम्मेदारियों के चलते खुद के लिए फुर्सत नहीं मिल पाती। हो सकता है कि हम शायद इसकी अहमियत न समझतें हों। पर विज्ञान भी मानता है कि अगर हम खुद के लिए वक्त नहीं निकालते हैं, तो निगेटिव सोच बढ़ती जाती है।
साथियों हम अपने व्यवसायिक जीवन से थोड़ा वक्त निकालें, कुछ ऐसा काम करने के लिए जिससे हमको सुकुन मिले। हमारे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार हो। वक्त को इस तरह बांटिए कि हमारे हिस्से में भी थोड़ा सा समय जरूर रहे। अभी लोग अपना पूरा समय दूसरों के लिए रखते हैं। यहां तक कि भोजन और श्रंगार तक हम दूसरों के लिए ही कर रहे हैं, जबकि यह नितांत निजी मामला। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हमारे शौक ही हमारा व्यवसाय बन जाता है। फिर हमको खुद को समय देना जरूरी नहीं होता लेकिन अमूमन ऐसा ही होता है कि हमारे शौक कुछ और होते हैं और काम कुछ और। काम का दबाव दिमाग पर होता है और शौक का दबाव दिल पर। जब हम काम छोड़कर शौक पूरा करने जाएंगे तो दिमाग इजाजत नहीं देगा और अगर शौक को छोड़कर काम करेंगे तो दिल झंझोड़ता रहेगा। आज कई लोग यह भूल गए हैं कि खुद के लिए जीया कैसे जाए। हम जब परिवार में होते हैं, बच्चों के साथ होते या मित्रों के साथ, लेकिन दरअसल हम कभी खुद के साथ नहीं होते। अपने कुछ कर्मों अपनी ओर मोड़ लें। कर्म से खुद को भी जोड़ें। हर काम का आर्थिक लाभ देखना ठीक नहीं है। सच पूछिए तो खुद के लिए समय निकालना सैल्फिशनेस का कोई साइन नहीं है। खुद को खुश रखकर ही हम अपनों में खुशी बिखेर सकते।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ख़ुद के साथ समय बिताने में जीवन के गहरे संकेत छिपे हैं। मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक ऊर्जा और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए ख़ुद के साथ समय बिताना बेहद फायदेमंद है। ख़ुद के साथ समय बिताने में जीवन के गहरे संकेत छिपे हैं व्यवसायिक और व्यावहारिक जीवन में ख़ुद लिए समय निकालना जरूरी है।

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 

किशन सनमुख़दास भावनानी 
 गोंदिया महाराष्ट्र

Related Posts

Aaj ka kramveer by Jay shree birmi

October 12, 2021

 आज का कर्मवीर जैसे हम बरसों से जानते हैं फिल्मी दुनियां में सब कुछ अजीब सा होता आ रहा हैं।सभी

Chalo bulava aaya hai by Sudhir Srivastava

October 12, 2021

 संस्मरणचलो बुलावा आया है       वर्ष 2013 की बात है ,उस समय मैं हरिद्वार में लियान ग्लोबल कं. में

Online gaming by Jay shree birmi

October 12, 2021

 ऑनलाइन गेमिंग करोना  के जमाने में बहुत ही मुश्किलों में मोबाइल ने साथ दिया हैं छोटी से छोटी चीज ऑन

Humsafar by Akanksha Tripathi

October 8, 2021

हमसफ़र  👫💞 ये नायाब रिश्ता वास्तविक रूप से जबसे बनता है जिंदगी के अंतिम पड़ाव तक निभाया जाने वाला रिश्ता

Saundarya sthali kalakankar by vimal kumar Prabhakar

October 8, 2021

 सौन्दर्यस्थली कालाकाँकर  प्राकृतिक सौन्दर्य की सुरम्यस्थली कालाकाँकर में मैंनें अपने जीवन के सुखद दो वर्ष बिताएँ हैं । मैं बी.एच.यू

Shakahar kyon? by Jayshree birmi

October 7, 2021

 शाकाहार क्यों? कुछ लोग के मन में हमेशा एक द्वंद होता रहता हैं कि क्या खाया जाए,शाकाहार या मांसाहर इनका

Leave a Comment