Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Jitendra_Kabir, poem

कैलेण्डर बदल जाएगा- जितेन्द्र ‘कबीर’

कैलेण्डर बदल जाएगा बदलता आ रहा है जैसेसैंकड़ों सालों सेवैसे ही यह साल भी बदल जाएगा,कुछ यादें खट्टी – मीठीदर्ज …


कैलेण्डर बदल जाएगा

कैलेण्डर बदल जाएगा- जितेन्द्र 'कबीर'
बदलता आ रहा है जैसे
सैंकड़ों सालों से
वैसे ही यह साल भी बदल जाएगा,
कुछ यादें खट्टी – मीठी
दर्ज हो जाएंगी पटल पर मन के
नये अनुभव देने नया साल आएगा।

उत्साह – उत्साह में लिए जाएंगे
बहुत से नववर्ष के संकल्प
जिनमें से ज्यादातर का जलवा
हफ्ता दस दिन ही चल पाएगा,
जरूरत और दृढ़ इच्छाशक्ति
मिल जाएगी जिसके पास
केवल उसका संकल्प ही हासिल
लक्ष्य अपना कर पाएगा।

नये अनुभवों, सत्य एवं जिज्ञासा
के लिए बंद कर लिए हैं जिसने
अपने मन के कपाट सारे,
यह बदलता साल उसको नहीं
बदल पाएगा,
रूढ़ हो चुका उसका ज्ञान
ठहरे पानी की तरह सड़कर
जमाने भर में अपनी दुर्गंध फैलाएगा।

अच्छे के लिए खुद में बदलाव करेंगे
तो आने वाला साल भी हमारे लिए
अच्छी स्मृति बन जाएगा,
वरना हर बार की तरह इस बार भी
सिर्फ कैलेण्डर ही बदल पाएगा।

जितेन्द्र ‘कबीर’
साहित्यिक नाम – जितेन्द्र ‘कबीर’
संप्रति – अध्यापक
पता – जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र – 7018558314


Related Posts

सफलता सांझी है | safalta saanjhi hai

March 28, 2024

सफलता सांझी है मत भूल सफलता सांझी है,कुछ तेरी है, कुछ मेरी है ।मां -बाप और बच्चे सांझे है,कुछ रिश्ते

जीवन को सफल बनाना है | jeevan ko safal banana hai

March 28, 2024

जीवन को सफल बनाना है निंदा, चुगली का ज़हर,ना जीवन में घोलो,यही तो है रिश्तों में दीमक,इन से बस तौबा

होली के रंग | Holi ke rang

March 24, 2024

होली के रंग लाल गुलाबी नीले पीले,कई रंगों से रंगी हुई होली आई होली आई, धरती लग रही सजी धजीरंग

कविता –अभिलाषा| kavita -Abhilasha

March 24, 2024

अभिलाषा अपने ही नभ में उड़ना मुझको,अपना संसार बनाना है। कोमल मन की अभिलाषा है,अंबर से ऊपर जाना है।कुरीतियों की

Kavita : सपने | sapne

March 24, 2024

सपने सपने देखो, और फिर अपने सपने साकार करो। इन सपनों को पाने के लिए, मेहनत तुम लगातार करो।नहीं थकना

Kavita : सबला नारी | sabla naari

March 24, 2024

सबला नारी किसने कहा अबला है नारी, नारी तो सब पर भारी है।मां,बहन, बेटी या सखी, सब के रूपों में

Leave a Comment