Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

काला सागर अनाज समझौता टूटने से वैश्विक खाद्य संकट

मानवीय दृष्टिकोण से काला सागर अनाज़ समझौता जारी रखने की ज़रूरी काला सागर अनाज़ समझौता टूटने से दुनियां में खाद्यान्नों …


मानवीय दृष्टिकोण से काला सागर अनाज़ समझौता जारी रखने की ज़रूरी

काला सागर अनाज समझौता टूटने से वैश्विक खाद्य संकट

काला सागर अनाज़ समझौता टूटने से दुनियां में खाद्यान्नों की कीमतों में उछाल की संभावनां

काला सागर अनाज समझौता टूटने से वैश्विक खाद्य संकट उत्पन्न होने की संभावनां – भारत की खाद्यान्न स्थिति मज़बूत है – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर यह सर्वविदित है कि जब-जब दो महाशक्तियों की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लड़ाई होती है तो वह दोनों महाशक्तियां तो पिस्तीही है परंतु उसके दूरगामी परिणाम आम नागरिकों आम जनता मानवीय जीवो सहित अनेक गरीब, विकासशील देशों पर भी पढ़ते हैं, क्योंकि हर देश एक दूसरे से किसी न किसी वस्तु और सेवाओं से जुड़ा होता है, जिसके बिना जीवन अधूरा होता है।इसलिए वैश्विक अशांति को रोकने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र सहित अनेक क्षेत्रीय संगठनों जैसे यूरोपीय स्टेट जी-20 जी-7 सहित अनेक संघ बने हैं जो मिलजुलकर समस्या का समाधान निकालते हैं, परंतु फिरभी ऐसा कुछ ना कुछ रह ही जाता है कि प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से बाचा-बाची से युद्ध और फिर महायुद्ध की संभावना आन पड़ती है जिसका वर्तमान में एक हम रूस-यूक्रेन युद्ध के रूप में देख रहे हैं जो 24 फ़रवरी 2022 से शुरू हुआ था और अबतक 21 महीनों से जारी है, जो रूस सहित किसी भी देश ने नहीं सोचा होगा कि इतना लंबा खींचेगा। स्वाभाविक रूप से इसमें अंदरूनी और फिर अब खुले रूप से अन्य देशों का हस्तक्षेप शुरू हो गया है और दुनियां तीन खेमों में बढ़ गई है पक्ष-विपक्ष और निष्पक्ष जिसमें अनेक प्रकार की पाबंदियां यूएन ईयू सहित रूस-यूक्रेन एक दूसरे पर लगाई है जिसका नतीजा महंगाई के रूप में सारे देशों की जनता भुगत रही है। अब तो आम जनता के भूखा रहने की नौबत आने की संभावना हैक्योंकि रूस ने काला सागर अनाज़ समझौता तोड़ दिया है जिसका नवीनीकरण कई बार किया गया था और 17 जुलाई 2023 को समाप्त हुआ था। अब रूस ने इसे नवीनीकरण करनें से इंकार करने से काला सागर से गुजरने वाले अनाज के टैंकरों पर हमलों के लिए रूस स्वतंत्र होगा। चूंकि काला सागर अनाज समझौता टूट चुका है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, काला सागर अनाज समझौता टूटने से खाद्य संकट उत्पन्न होने की संभावना-भारत की खाद्यान्न स्थिति मज़बूत है।
साथियों बात अगर हम काला सागर अनाज समझौता की करें तो, पिछले साल 24 फरवरी 2022 को रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के कुछ महीनों बाद, तुर्की और संयुक्त राष्ट्र ने जुलाई में रूस और यूक्रेन के बीच एक ऐतिहासिक समझौता करवाया था।यह समझौता 17 जुलाई को खत्म हो रहा था, जिसका कई बार नवीनीकरण हो चुका है।रूस ने सोमवार, 17 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र कीमध्यस्थता वाले वर्षों पुराने काला सागर अनाज समझौते को खत्म कर दिया। यह समझौता यूक्रेन को काला सागर के जरिए अनाज निर्यात करने की अनुमति देता था। दुनियां के कई हिस्सों में भूख से जूझ रहे लोगों के लिए यूक्रेन काला सागर के रास्ते अनाज भेजने में सक्षम था। रूस के इस फैसले की वजह से गरीब देशों में चिंता पैदा हो गई कि कीमतें बढ़ने से भोजन उनकी पहुंच से बाहर हो जाएगा। यूएन महासचिव ने चिंता जताई है कि यह जरूरतमंद लोगों पर एक चोट है। गौर करने वाली बात ये है कि यूक्रेन दुनियां में गेहूं और मक्का जैसे खाद्यान्न के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस वजह से जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और यूक्रेनी बंदरगाहों को पर एक्टिविटीज बंद होने लगीं, तो दुनियां के कुछ हिस्सों में खाद्यान्न की कीमतें बढ़ गईं।संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले समझौते मेंओडेसा , चोर्नोमोर्स्क और पिवडेनी (युजनी) के तीन यूक्रेनी बंदरगाहों से मालवाहक जहाजों को हथियारों के निरीक्षण के बाद 310 मील (समुद्री) लंबे और तीन मील चौड़े काले सागर के सुरक्षित मार्ग से गुजरने की अनुमति दी गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस समझौते पर औपचारिक निलंबन रूस के राष्ट्रपति द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि, समझौते को लागू करने के लिए मॉस्को की एक भी शर्त पूरी नहीं की गई है। मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि शर्त के मुताबिक कुछ भी नहीं किया गया, यह सब एकतरफा है।
साथियों बात अगर हम इस समझौते के टूटने के कारणों की करें तो,रूस का यह फैसला क्रीमिया ब्रिज पर हुए हमले के कुछ घंटों बाद आया है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद क्रीमिया ब्रिज पर यह दूसरा हमला है।प्रिंट मीडिया कीरिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में दो लोगों की मौत हुई थी। यहब्रिज रूसी मुख्य भूमि और मॉस्को-एनेक्स्ड क्रीमिया प्रायद्वीप के बीच एक बहुत ही अहम और एकमात्र सीधा लिंक है। यह पुल क्रीमिया को ईंधन, भोजन और हथियारों की आपूर्ति के लिए भी अहम है, जिस पर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था।
साथियों बात अगर हम तुर्की और संयुक्तराष्ट्र द्वारा समझौता कराने की करें तो, यूक्रेन को आमतौर पर यूरोप की रोटी की टोकरी कहा जाता है, इसकी 55 प्रतिशत से ज्यादा जमीन खेती के काबिल है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद 2022-23 के दौरान यह मकई का आठवां सबसे बड़ा उत्पादक और गेहूं का नौवां सबसे बड़ा उत्पादक था।वैश्विक खाद्य संकट को देखते हुए तुर्किये और संयुक्त राष्ट्र ने मिलकर जुलाई 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच काला सागर अनाज समझौता कराया था जिसके तहत अनाज ले जाने वाले जहाजों को सुरक्षित ले जाना था। लेकिन रूस अब काला सागर अनाज समझौते से पीछे हट गया है। जिसका असर पूरी दुनियां में देखने को मिल सकता है। अब तक जारी इस युद्ध में दोनों देशों के बीच हार-जीत का खेल चल रहा है। वहीं दुनियाभर के देश भी तीन गुटों में बंटे हुए हैं.l। एक गुट में यूक्रेन समर्थित देश हैं, जिसमें अमेरिका समेत यूरोपियन यूनियन के देश शामिल हैं, तो दूसरे गुट में रूस समर्थित देश हैं, वहीं तीसरे गुट में काफी देश हैं, जो तटस्थ बनने की जुगत में हैं। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन, दोनों ही देशों ने युद्ध में अपनी जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दिया है, जिसमें दोनों ही देश कई तरह के हथियारों का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं इस युद्ध ने दुनियाभर में आर्थिक मोर्चे पर भी बड़ा प्रभाव डाला है। युद्ध से पहले यूरोपीय संघ के देश प्राकृतिक गैस का आधा हिस्सा और पेट्रोलियम का एक तिहाई हिस्सा रूस से ही आयात कर रहे थे, वहीं युद्ध ने स्थिति को एकदम बदल दिया है। पश्चिमी देश अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए नए विकल्प तलाश रहे हैं
इसके अलावा रूस काला सागर अनाज समझौते से पीछे हट गया है, जिसका असर पूरी दुनिया में देखने को मिल सकता है।
साथियों बात अगर हम काला सागर अनाज समझौते को समझने की करें तो, यूक्रेन और रूस दुनियाभर के सबसे बड़े अनाज निर्यातकों देशों में से एक है। वहीं रूस से युद्ध के कारण यूक्रेन के बंदरगाह पूरी तरह से अवरुद्ध हो गए हैं। इससे खाद्यान्नों की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है, नतीजतन दुनियां भर के गरीब देशों में खाद्य सुरक्षा की आशंका बढ़ गई है। पाकिस्तान समेत कई देशों में गेहूं की कीमतें आसमान छू रही हैं, वहीं रूस के इस फैसले का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल सकता है। समझौते से पीछे हटने के दो कारण हैं. पहला- अपने स्वयं के खाद्य और फर्टिलाइजर एक्सपोर्ट में सुधार की मांगें पूरी नहीं की गईं और दूसरा- यूक्रेन का पर्याप्त अनाज गरीब देशों तक नहीं पहुंच पाया है।
साथियों बात अगर हम समझौता ख़त्म होने के परिणामों की करें तो, क्या काला सागर अनाज समझौता खत्म होने से क्या अब भुखमरी फैलेगी?दरअसल, एशिया के ज्यादातर गरीब देश यूक्रेन से अनाज आयात करते हैं। इसी को लेकर अब संयुक्त राष्ट्र के सहायता प्रमुख ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि काला सागर अनाज समझौता खत्म होने से अनाज की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और संभावित रूप से लाखों लोगों के लिए भुखमरी पैदा कर सकती है, इससे बदतर स्थिति का खतरा पैदा हो सकता है। मालूम हो कि इस सप्ताह शिकागो में अमेरिकी गेहूं वायदा 6 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है.।वहीं संयुक्त राष्ट्र की मानवीय मामलों की एजेंसी प्रमुख ने 15-सदस्यीय निकाय को बताया, विकासशील देशों में ऊंची कीमतों का सबसे ज्यादा असर देखन को मिला है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 69 देशों में लगभग 362 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है। रूस के इन फैसलों के परिणाम स्वरूप कुछ लोग भूखे रह जाएंगे, कुछ भूख से मर जाएंगे और कई लोग मर सकते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे व विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि रूस-यूक्रेन युद्ध बनाम काला सागर अनाज़ समझौता।काला सागर अनाज़ समझौता टूटने से दुनियां में खाद्यान्नों की कीमतों में उछाल की संभावनां।काला सागर अनाज समझौता टूटने से वैश्विक खाद्य संकट उत्पन्न होने की संभावनां – भारत की खाद्यान्न स्थिति मज़बूत है।

About author

kishan bhavnani

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 

किशन सनमुख़दास भावनानी 

Related Posts

जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की 31 बेंचों के लिए अधिसूचना जारी

September 18, 2023

जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की 31 बेंचों के लिए अधिसूचना जारी – विवाद सुलझाने में तेजी आएगी व्यापारियों जीएसटी करदाताओं के

विनम्र होकर भारतीय संस्कृति और परंपरा का परिचय दें

September 16, 2023

आओ विनम्र होकर भारतीय संस्कृति और परंपरा का परिचय दें जीवन में कुछ बनने के लिए विनम्र होना ज़रूरी- बीज

शहीदों की कुर्बानी | shaheedon par kavita

September 16, 2023

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में  दिनांक 13 सितंबर 2023 को आतंकियों ने भारतीय सेना के उच्च अधिकारी जवानों पर हमला कर

पत्रकारिता ज़बरदस्त राजनीतिक मुद्दा बना

September 16, 2023

पत्रकारिता ज़बरदस्त राजनीतिक मुद्दा बना ! राजनीतिक रीत सदा चली आई – जिसकी लाठी उसी ने भैंस पाई ए बाबू

ज़न्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम 2023 1 अक्टूबर 2023 से लागू

September 16, 2023

ज़न्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम 2023 1 अक्टूबर 2023 से लागू – भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी सुनिए

India-Middle-East-Europe Economic Corridor

September 13, 2023

भारत अमेरिका की यारी – व्यापार का भूगोल बदलकर इतिहास रचने की बारी इंडिया-मिडल-ईस्ट-यूरोप इकोनामिक कॉरिडोर से भारत की भागीदारी

PreviousNext

Leave a Comment