Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

poem, Varun Singh Gautam

कविता – फिर रात | kavita -Phir rat

 कविता – फिर रात | kavita -Phir rat सत्य एक, बीती दो रात हैये दो चांदनी, फिर कहे कोई बात …


 कविता – फिर रात | kavita -Phir rat

कविता - फिर रात | kavita -Phir rat

सत्य एक, बीती दो रात है
ये दो चांदनी, फिर कहे कोई बात है
रूको नहीं, झुकों नहीं
दिन भी है, फिर रात है।

दिशा प्रशस्त हो चुकी
कदम – कदम पे कलम धार है
जो रूके नहीं चलते चले हम
फिर वही एक दिन बादशाह है।

घिस – घिस के तेग तेज धार है
रथ पे बैठा रण समर को तैयार हैं
जय हो या दंश फिर भी पुष्प मेघ को हार है
तुम दिव्य किरणें हो देखों आक तार – तार है।

सत्य कहो तुम दीप हो या तमस !
फिर क्यों देह शृंगार है या संस्कार
फूल खिलाओं कंटीली कीचड़ों में अब
वर्तमान भी नव्य सृजन को अतीत से खड़ा है।

सत्य एक, बीती दो रात है
ये दो चांदनी, फिर कहे कोई बात है
रूको नहीं, झुकों नहीं
दिन भी है, फिर रात है।

About author 

Varun Singh Gautam
varun singh gautam
वरुण सिंह गौतम

विधा :- कविता, कहानी, संस्मरण, उपन्यास, नाटक एवं अन्य विधाएं
सम्प्रति :- साधारण और कमजोर विद्यार्थी
शिक्षा :-सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, फतेहा, बेगूसराय, बिहार ( अरूण से पञ्चम वर्ग तक — 2005-2012 )
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार ( षष्ठम से द्वादश मानविकी तक — 2015-2022 )
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ( हिन्दी स्नातक के लिए अध्ययनरत — 2023-2025 )
प्रकाशित पुस्तक:- मँझधार ( अक्टूबर 2020 में प्रकाशित )

विशेष परिचय :-जाने स्वयं के अर्थ और साथ में प्रकृति के तत्वों के साथ स्वयं के…… राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के भूमि बेगूसराय से नवोदित लेखक वरुण सिंह गौतम के रचना आपको नवीन अनुभूतियों एवं नवऊर्जा से परिपूर्ण करेगा ।

” कवि कवित्त के तत्वों के अस्तित्व में
अस्तित्व ही पहचान का उसूल है “

वरुण सिंह गौतम बिहार के रतनपुर, बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं। सोशल मीडिया पर वरुण सिंह गौतम के नाम से मशहूर अपने हिन्दी तथा अंग्रेजी के मार्मिक कविताओं और कहानियों जैसे अन्य विधाओं के लिए जाने जाते हैं। ये नए उभरते हुए भारतीय कवियों और लेखकों में से एक है। इनका पहली पुस्तक मँझधार ( काव्य संग्रह ) है, जिसको इन्होंने कोरोना काल के दौरान लिखें हैं।

वरुण सिंह गौतम का जन्म १५ मार्च २००३ को बिहार के बेगूसराय जिले के फतेहा गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के डॉक्टर देव नारायण चौधरी सरस्वती शिशु विद्या मन्दिर से की हैं। उसके बाद की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार में की हैं तथा वर्तमान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से हिन्दी स्नातक के लिए अध्ययनरत हैं।

इनके पिता का नाम धीरेन्द्र सिंह उर्फ दीपक कुमार और माता का नाम रूबी देवी हैं। वरुण सिंह गौतम अपने माता – पिता के इकलौते सन्तान हैं।

इनके बहुत सारे रचनाएँ, जो प्रकृतिवादी और रहस्यवादी भावों आदि का संचलन लोगों को जाग्रत करने का अनवरत ही प्रयत्न करती रहती है। इनका एक ही उद्देश्य है भारत का ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनना तथा राष्ट्र की सेवा करना । इनके जीवन संघर्ष के प्रणेता भारत के इतिहासों में स्वर्णिम अक्षरों में विद्यमान सम्राट महान अशोक हैं। जीवन के शुरुआती समय में ही लेखक साहित्य के प्रेम रूपी बन्धन में बँध चुके हैं। उन्हें यह विश्वास है कि इनकी लेखनी अबाध गति से निरन्तर चलती रहेगी, चलती रहेगी, चलती रहेगी…….
वरुण सिंह गौतम


Related Posts

kavita chhijta vimarsh by ajay kumar jha

June 1, 2021

 छीजता विमर्श. दुखद- शर्मनाक जीवन पथ पर निरपेक्षता नामित शस्त्र से वर्तमान के अतार्किक भय में रिस रहा लहू इतिहास

kavita tahreer me pita by mahesh kumar .

June 1, 2021

 कविता.. तहरीर में पिता.. ये कैसे लोग हैं ..??  जो एक दूधमुंही नवजात बच्ची के मौत को नाटक कह रहें हैं…!! 

कविता-हार और जीत जितेन्द्र कबीर

June 1, 2021

हार और जीत ‘हार’ भले ही कर ले इंसान कोकुछ समय के लिए ‘निराश’लेकिन वो मुहैया करवाती है उसकोअपने अंतर्मन

kavita barkha shweta tiwari Mp.

June 1, 2021

बरखा बरखा रानी आओ ना  बूंद बूंद बरसाओ ना तपती धरती का व्याकुल अंतर्मन  क्षुब्ध दुखी सबका जीवन  शीतल स्पर्श

kavita vaqt by anita sharma jhasi

June 1, 2021

वक्त जुबां से आह निकली थी,लबों पे उदासी थी।क्या सोचा था,क्या पाया है,मन में उदासी थी। कभी ईश्वर से नाराजगी

kavita Bebasi by Namita Joshi

May 31, 2021

  बेबसी हर सूं पसरा है सन्नाटा, हर निगाह परेशान क्यूँ है। गुलजा़र था जो मैदान कभी कहकहों से, आज

Leave a Comment