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कविता-खास

खास ! जब तक तुझ में सांस है, सफलता की आस है,खुशनुमा सा एहसास है,पूरा जोश और साहस है,मानो तो …


खास !

कविता-खास

जब तक तुझ में सांस है,

सफलता की आस है,
खुशनुमा सा एहसास है,
पूरा जोश और साहस है,
मानो तो कुछ भी नहीं,
मान लो तो बहुत कुछ खास है!

कभी जन्नत तो कभी वनवास है,
खुशियों का आगाज है,
मंजिल तेरे पास है,
दहाड़ की आवाज है,
मानो तो कुछ भी नहीं,
मान लो बहुत कुछ खास है!

किस बात का एतराज है,
क्यों खुद से तू नाराज है,
दो वक्त का अनाज है,
किसकी तुझे तलाश है,
मानो तो कुछ भी नहीं,
मान लो तो बहुत कुछ खास है!

ऊपर श्वेत आकाश है,
नीचे सुंदर कैलाश है,
तेरा अलग अंदाज हे,
हर मुमकिन प्रयास है,
मानो तो कुछ भी नहीं,
मान लो तो बहुत कुछ खास है!!

डॉ. माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)


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