Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh, Maa

ए मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी

ए मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, जिसको नहीं देखा हमने, तुझसे बड़ी संसार की दौलत …


ए मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, जिसको नहीं देखा हमने, तुझसे बड़ी संसार की दौलत क्या होगी

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

मां के आंचल में खुशी, नैनों में ममता, इसी दुनिया में उसके कदमों तले स्वर्ग है – समृद्ध जीवन के लिए इसे रेखांकित करना ज़रूरी – एड किशन भावनान

गोंदिया – भारतीय सभ्यता आदि -अनादि काल से बड़े बुजुर्गों,माता -पिता के सम्मान की सूचक रही है हमने धार्मिक ग्रंथों, पुराणों इतिहास में भगवान श्री राम, श्रवण कुमार जैसे अनेकों जीवंत प्रमाण हमने पड़े हैं कि मातापिता हमारे लिए ईश्वर अल्लाह के तुल्य हैं उन्हीं के चरणों में स्वर्ग है। चूंकि इस वर्ष मातृ दिवस 8 मई 2022 को मनाया जा रहा है इसीलिए हम आज मां की महिमा का वर्णन विस्तार से करेंगे
साथियों 1966 में फिल्म दादी मां का मज़रूह सुल्तानपुरी का लिखा एक गीत मन्ना डे, महेंद्र कपूर द्वारा मां की महिमा पर गाया गीत हैं, ऐ मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, जिसको नहीं देखा हमने, तुझसे बड़ी संसार की दौलत क्या होगी। इसे हमारे आधुनिक युवा साथियों को बड़ी शिद्दत के साथ जरूर सुनना चाहिए।
साथियों मातृ दिवस मनाने का भी एक इतिहास रहा है परंतु वर्तमान में उससे अधिक ज़रूरी आज मां की महिमा का विस्तार से बखान करेंगे। हमेशा प्रति वर्ष मातृ दिवस मई के दूसरे सप्ताह के प्रथम रविवार को मनाया जाता है जो इस वर्ष 8 मई 2022 को आया है।
साथियों ईश्वर अल्लाह हर जगह मौजूद नहीं रह सकता, इसलिए उसने मां को बनाया है। माँ का स्थान ईश्वर अल्लाह से ऊपर है। माँ की सेवा ही स्वर्ग है। माँ समझ मे आ जाये तो फिर कुछ भी शेष नही बचता समझने के लिए ये शब्द में सब कुछ समाहित है जिसकी रूप रेखा तैयार करना सहज ही नहीं असंभव है।
साथियों बात अगर हम मां की करें तो, कहते हैं कि दुनिया में सबसे खूबसूरत और प्यारा रिश्ता कोई होता है तो वह मां और बच्चे का रिश्ता होता है। मां और बच्चे का रिश्ता अटूट होता है। मां बच्चे को बिना किसी शर्त और स्वार्थ के प्यार करती है। वह हमें बिना किसी स्वार्थ के अपने कोख में नौ महीने तक रखती हैं। इसके बाद जब हम इस दुनिया में आते हैं तो वह हमें खूब सारा प्यार और दुलार वात्सल्य देती है। वह बच्चों का पालन पोषण करके उन्हें इस काबिल बनाती है जिससे वह इस दुनिया में जी सकें।
मां को आखिर वक्त में भी अपने बच्चों का ख्याल और परवाह रहती है। मां के त्याग और बलिदान को याद करने और उन्हें सम्मान देने के लिए मातृ दिवस मनाया जाता है। इस दिन हर कोई अपनी मां को सम्मान देता है और अपने प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए उन्हें स्पेशल गिफ्ट भी देता है।
साथियों बात अगर हम इस वर्ष मातृ दिवस मनाने की करें तो, चूंकि हमारे बहुततेक युवा साथी पाश्चात्य संस्कृति के साए में वशीभूत होकर अपने मां को छोटा बड़ा सा गिफ्ट देने तक सीमित रखते हैं, परंतु मेरा मानना है कि इस वर्ष से हमें अपनी मां का प्रेम वात्सल्य सारा दिन उनके चरणों में रहकर उनके द्वारा किए जाने वाले सभी छोटे बड़े कार्यों को खुद करके उनके आंचल की छांव, उनके नैनो से बरसती ममता का पूरा सुकून उठाने का प्रण लेना है और यह क्रम हमें साप्ताहिक, मासिक जैसा भी सुविधा हो ज़रूर जारी रखना है नकि वर्ष में सिर्फ एक ही बार!!!
साथियों सच पूछिएगा तो माता -पिता में ही हमारे ईश्वर अल्लाह समाए हुए हैं। हमने ईश्वर अल्लाह की तस्वीर ही देखी है, प्रत्यक्ष रूप से नहीं, इन्हीं सब बातों को ही पुरानी हिंदी फीचर फिल्म दादी मां के गाने द्वारा समझाया गया है।
साथियों बात अगर हम मां को पुकारने की करें तो, माँ के अलग-अलग नाम होते हैं, जैसे मम्मी, मॉम, मम्मा, माता, लेकिन हमारे जीवन में हर माँ की एक ही भूमिका होती है। वह हर परिवार की बुनियाद है। वह देख भाल करने वाली होती है और सभी को बिना शर्त प्यार देती है। माँ की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है, किसी के लिए वह एक देख भाल करने वाली हो सकती है, किसी के लिए वह सबसे अच्छी दोस्त हो सकती है और किसी के लिए वह सबसे अच्छी रसोइया हो सकती है। हम इस दुनिया में हर मां को कृतज्ञता और प्रशंसा देने के लिए मातृ दिवस मनाते हैं। एक माँ हम सब के लिए इतनी बड़ी प्रेरणा होती है कि माँ के प्रयासों की सराहना करने के लिए केवल एक दिन पर्याप्त नहीं होता है।इसलिए हमें इस दिवस को रोज़ बनाने का संकल्प लेने की ज़रूरत है।
साथियों बात अगर हम मातृ दिवस के महत्व की करें तो, वैसे तो हमारे जीवन में सब कुछ मां का दिया हुआ ही होता है, और उनके कर्ज को हम कभी चुका नहीं सकते, लेकिन फिर साल का एक दिन मातृत्व के महत्व को सौंप दिया जाता है, जिसे हम मातृ दिवस के रूप में मनाते हैं। एक मां का आंचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। मां का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि मां अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक मां का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, मां बिना ये दुनिया अधूरी है।
साथियों यह दिन महत्व रखता है क्योंकि यह माताओं के अस्तित्व का जश्न मनाता है और वे अपने बच्चों के लिए जो कुछ भी करते हैं उसकी सराहना करते हैं। यह माताओं, साथ ही मातृत्व, मातृ बंधन, और समाज में माताओं के प्रभाव का सम्मान करता है। यह दिन माताओं को विशेष और प्यार का एहसास कराने के लिए है। ये एक खास दिन मातृत्व के महत्व को सम्मान देने लिए सेलिब्रेट किया जाता है। एक मां का आंचल अपनी संतान के है।
साथियों मातृ दिवस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सभी माताओं के प्रति सम्मान, केयर और प्यार व्यक्त करने के लिए मनाया जाने वाला एक अवसर है। यह दिन हम हमारी जिंदगी में एक मां की भूमिका को सेलिब्रेट करने के लिए मनाते हैं। यह अवसर सभी को अपने आसपास की माताओं के लिए कुछ खास करने का मौका देता है। लेकिन इस बात का बेहद ध्यान रखें कि अपनी मां का शुक्रिया अदा करने के लिए केवल एक दिन काफी नहीं हो सकता। मां के लिए हर दिन खास बनाएं और उन्हें खास होने का एहसास दिलाएं। किसी मशहूर गीतकार ने सही लिखा है।
कहते हैं तेरी शान मे जो कोई उँचे बोल नही
भगवान के पास भी माता तेरे प्यार का मोल नही
हम तो यही जाने तुझसे बड़ी, हो
हम तो यही जाने तुझसे बड़ी
संसार की दौलत क्या होगी
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी
उसको नही देखा हमने कभी
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मातृ दिवस 8 मई 2022 खास दिवस है। ए मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, जिसको नहीं देखा हमने, तुझसे बड़ी संसार की दौलत क्या होगी!! मां के आंचल में खुशी, नैनों में ममता, इसी दुनिया में उसके कदमों तले स्वर्ग है। समृद्ध जीवन के लिए इसे रेखांकित करना ज़रूरी है।

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


Related Posts

शरद पूर्णिमा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

October 28, 2023

शरद पूर्णिमा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण हिंदू कैलेंडर में सभी व्रत त्यौहार चंद्रमा की कलाओं के अनुसार निर्धारित तिथियों पर मनाए

दशानन: एक वैचारिक अध्ययन | Dashanan: A Conceptual Study

October 23, 2023

दशानन: एक वैचारिक अध्ययन नवरात्रों के अवसर पर माता के पंडालों के दर्शन हेतु बाहर जाना होता था तो बाजार

बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का

October 23, 2023

बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का जब आस्था में अश्लीलता का तड़का लगा दिया जाता है तो वह न

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

October 22, 2023

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों

अंतरिक्ष की उड़ान भरने भारत का पहला ह्यूमन मिशन गगनयान

October 22, 2023

अंतरिक्ष की उड़ान – गगनयान ने बढ़ाया भारत का मान – भारत की मुट्ठी में होगा आसमान अंतरिक्ष की उड़ान

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते

October 20, 2023

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे

PreviousNext

Leave a Comment