उड़ान
हम पंछी है धरा अंबर के
सपनों की हम भरे उड़ान
स्वच्छंद हो विचरण करूं
है हमें परिधि का ज्ञान
जुड़ी रही सदा जमीं से
आसमां है छत समान
मुँडेरों पर बैठ कलरव
गाती रहूं सदा जयगान
शिखर पताका फहराऊँ:
उर्वरा वसुन्धरा सी लहराऊँ
समता के संदेश पहुचाऊँ
जन मन करे प्रेम का ज्ञान
समरसता मानव जीवन में
निरीह जीवों पर दया दान
शिकार ना कर ऐ नादान
स्वतंत्रता का गाऊँ गान
हौसलों में आ जाए जान
सपनों की हम भरे उड़ान।





