Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

आओ जाने ईडी क्या है

आओ जाने ईडी क्या है ईडी का पीएमएलए कानून के तहत भ्रष्टाचारियों के खिलाफ़ कसता शिकंजा भ्रष्टाचारियों पर कसता शिकंजा …


आओ जाने ईडी क्या है

ईडी का पीएमएलए कानून के तहत भ्रष्टाचारियों के खिलाफ़ कसता शिकंजा

भ्रष्टाचारियों पर कसता शिकंजा – आज ईडी का नाम सुनते ही पावरफुल लोगों के भी पसीने छूट जाते हैं – एडवोकेट किशन भावनानी 

– एक ज़माना था जब हम छोटे थे तो सीबीआई का नाम बुलंदियों पर चलता था, इसका ऐसा डर समया रहता था कि सीबीआई की रेड के नाम से बड़ी-बड़ी हस्तियों के पसीने छूट जाते थे!! यह नाम इतना प्रसिद्ध और खौफ पैदा करता था कि हम बच्चे अपने बचपन के चोर सिपाही खेल में भी सीबीआई के नाम का उपयोग करते थे तो हम आज अंदाज लगा सकते हैं कि यह नाम कितना प्रसिद्ध होगा!! परंतु समय के बदलते चक्र में सब के दिन स्थिर नहीं होते आज के वर्तमान परिपेक्ष में सीबीआई का नाम ईडी के रूप में परिलक्षित हो गया है, क्योंकि आज ईडी का नाम सुनते ही भ्रष्टाचार में लिप्त बड़े बड़े अधिकारियों, नेताओं, व्यापारियों, व्यवसायियों सहित नशे मानव तस्करी ब्याज खोरी इत्यादि का काम करने वाले दो नंबरी दस नंबरी सभी पावरफुल लोगों के पसीने छूट जाते हैं क्योंकि हम आज देख रहे हैं कि बड़े-बड़े नेताओं पर ईडी का शिकंजा कस रहा है जो स्पष्टतः संकेत है कि भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने में अधिक समय नहीं लगेगा!! पिछले कुछ वर्षों से हम मीडिया के माध्यम से देख सुन रहे हैं कि संसद व विधायिका में बैठकर कानून बनाने वाले कुछ सदस्यों पर ही इसका शिकंजा अधिक कस रहा है इसलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस आर्टिकल के माध्यम से ईडी पर चर्चा करेंगे।आओ जाने ईडी क्या है।
साथियों बात अगर हम ईडी की करें तो, यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में रेवेन्यू डिपार्टमेंट के तहत आने वाली एक स्पेशल जांच एजेंसी है, जो वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़े मामलों की जांच करती है। ईडी का गठन 1 मई 1956 को किया गया था। पहले इसका नाम एन्फोर्समेंट यूनिट था। हालांकि, 1957 में इसका नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर दिया गया, प्रवर्तन निदेशालय मुख्य रूप से फेरा, फेमा और पीएमएलए कानूनों के तहत काम करता है। इन कानूनों में आर्थिक धोखाधड़ी को रोकने के लिए जो प्रावधान किये गये हैं उन्हीं के तहत यह आरोपितों पर कार्रवाई करता है। इस एजेंसी का मुख्यालय दिल्ली में है लेकिन इसके आफिस देशभर में है। दिल्ली के अलावा मुंबई, चेन्नई, कोलकाता में इसके रीजनल आफिस हैं। इसके अलावा लगभग हर राज्य में ईडी के जोनल और सब जोनल आफिस हैं। इस समय ईडी के तहत लगभग दो हजार आफिसर कार्यरत हैं जो विभिन्न सेवाओं से ईडी में डेपुटेशन पर आते हैं। इसमें आईआरएस, आईएएस और आईपीएस सेवाओं से आनेवाले अधिकारी होते हैं।
मालूम हो कि ईडी विदेश में प्रॉपर्टी खरीदने, विदेशी मुद्रा का गैरकानूनी कारोबार करने और मनी लॉन्ड्रिंग (पैसों का हेरफेर) के मामलों की जांच करती है।
साथियों बात अगरहमपीएमएलए कानून की करें तो,पीएमएलए यानें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का मतलब है दो नंबर के पैसे को हेरफेर कर ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ कानून। इस कानून को 2002 में एनडीए सरकार ने बनाया था, जिसे 2005 में यूपीए सरकार में वित्त मंत्री ने लागू किया था। उन्होंने ही इसमें पहली बार बदलाव करके इसके प्रावधानों को और सख्त कर दिया था। पीएमएलए के तहत ईडी के पास आरोपी को अरेस्ट करने, संपत्ति कुर्क करने, गिरफ्तारी के बाद जमानत की सख्त शर्तें और जांच अधिकारीके सामने रिकॉर्ड बयान को अदालत में सबूत के रूप में मान्य होने जैसे प्रवाधान उसे ताकतवर मानते हैं। 2012 में किए गए संसोधन के तहत सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर भी ये कानून लागू होता है, 2019 में किए गए ये बदलाव जुलाई 2019 में, सरकार ने वित्त विधेयक, 2019 में संशोधन के रूप में इस कानून में कुछ बदलाव किया था, जिसके तहत ईडी उन व्यक्तियों या संस्थाओं पर मुकदमा चला सकता है जिनका अपराध पीएमएलए के तहत न हो।(1) पीएमएलए एक्ट जांच एजेंसी ईडी को कई अधिकार देता है। इस कानून के तहत एजेंसी भ्रष्टाचार के आरोपी, पैसों का हेर-फेर करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने की ताकत देता है। (2)इसके अलावा पीएमएलए एक्ट करप्शन के आरोपियों के घर छापा मारने और उनकी प्रॉपर्टी को जब्त करने का भी अधिकार देता है। (3)मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ईडी को करप्शन के आरोपी नेताओं और अफसरों को तलब करने या उन पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है।
साथियों बात अगर हम ईडी के विस्तार की करें तो,1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद जैसे जैसे शेयर बाजार का महत्व बढा है वैसे वैसे ईडी के कार्यक्षेत्र में भी विस्तार हुआ है। विदेशी पूंजी निवेश के नाम पर की जाने वाली आर्थिक धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए ईडी एक महत्वपूर्ण विभाग है। इसके अलावा मनी लॉड्रिंग के मामले में भी ईडी कार्रवाई करता है। 2018 में केन्द्र सरकार ने मनी लॉड्रिंग के मामलों में पीएमएलए कानून में संशोधन करके ईडी को प्रापर्टी अटैच करने, आरोपी की गिरफ्तारी करने आदि के विशेष अधिकार भी दे दिये गये थे। फेरा, फेमा और पीएमएलए एक्ट के तहत ईडी को इतने असीमित अधिकार हैं कि वह आरोपी को तीन साल तक जमानत देने से रोक सकता है।
साथियों स्वाभाविक है जब इतने राजनीतिक लोगोंपर ईडी कार्रवाई करेगा तो उसके खिलाफ विपक्ष भी इकट्ठा होकर इसे बदले की कार्रवाई ही बतायेगा। सुप्रीम कोर्ट में ईडी की कार्रवाई को लेकर अनेक अधिक याचिकाएं दाखिल हुई थीं जिसपर एक साथ सुनवाई करते हुए 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले में ईडी द्वारा की जाने वाली गिरफ्तारियां और अन्य कानूनी कार्रवाई बिल्कुल सही हैं।
साथियों बात अगर हम ईडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं की करें तो इस कानून में कुछ प्रावधान ऐसे सख्त हैं, जिसके लगने से ज्यादा विकल्प नहीं रह पाता। यही वजह है कि 242 लोगों की याचिका इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगी थी, उसमें ईडी द्वारा गिरफ्तारी, जमानत और संपति जब्त जैसे अधिकारों पर सवाल उठाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं के संबंध में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ईडी जो कार्रवाई कर रहा है वह वर्ष 2019 में मिले कानूनी अधिकारों के तहत कर रहा है। इन संशोधनों के बाद अब पीएमएलए एक्ट की धारा-24 के तहत अभियुक्त को ही यह साबित करना होता है कि जो उसके पास से जो धन मिला है वह कानूनी रूप से वैध है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट में इसी बात को चुनौती दी गयी थी कि जांच एजेंसी के सामनें आरोपी द्वारा कबूल की गयी किसी बात को प्रमाण कैसे माना जा सकता है? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि ईडी द्वारा की गयी कार्रवाई और दर्ज किये गये बयान कोर्ट में सबूत के रुप में स्वीकार्य है। स्मरण हो कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 545 पन्नों के आदेश में ये निर्देश जारी किए थे।
साथियों बात अगर हम मनी लांड्रिंग की करें तो, यह कैसे की क जा सकती है? सबसे पहले, अवैध धन को वित्तीय प्रणाली में पेश किया जाता है जिसे प्लेसमेंट का टर्म दिया जाता है, इसके बाद इन पैसों की लेयरिंग की जाती है, जिसमें काले धन को सफेद धन में बदलने के लिए पैसे का अलग तरह से लेन-देन किया जाता है, तीसरे और अंतिम चरण में, धन वित्तीय प्रणाली में इस तरह प्रवेश किया जाता है कि अपराध का पता ना चले यानी अपराधी या इसे प्राप्त करने वाला शख्स धन का इस्तेमाल स्वच्छ धन के रूप में कर सके।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ जाने ईडी क्या है।ईडी का पीएमएलए कानून के तहत भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कसता शिकंजा,आज ईडी का नाम सुनते ही पावरफुल लोगों के भी पसीने छूट जाते हैं।

About author

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


Related Posts

Jeevan aur samay chalte rahenge aalekh by Sudhir Srivastava

September 12, 2021

 आलेख        जीवन और समय चलते रहेंगें              कहते हैं समय और जीवन

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav

September 9, 2021

बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व हमारा परिवेश बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश

Jungle, vastavikta he jiski khoobsurati hai

September 9, 2021

 Jungle, vastavikta he jiski khoobsurati hai जंगल स्वतंत्रता का एक अद्वितीय उदाहरण है, जहां कोई नियम नहीं , जिसकी पहली

covid 19 ek vaishvik mahamaari

September 9, 2021

 Covid 19 एक वैश्विक महामारी  आज हम एक ऐसी वैश्विक आपदा की बात कर रहे है जिसने पूरे विश्व में

avsaad se kaise bahar aaye ?

September 9, 2021

avsaad se kaise bahar aaye ?|अवसाद से बाहर कैसे निकले? अवसाद आज के समय की एक गंभीर समस्या है, जिससे

Slow Zindagi

September 9, 2021

Slow Zindagi दोस्तों आज हम आपके लिए लाए है एक खूबसूरत लेख Slow Zindagi . तो पढिए इस खूबसूरत लेख Slow

Leave a Comment