गीत
तन्हा आज कल हूँ मैं
कभी किसी के सुबह कभी किसी के शाम थे
घंटों घाटों मस्ती के नगर में घूमे खुलेआम थे
सब झांक चले जाते हैं ज़िन्दा ताजमहल हूँ मैं
भीग भीग कर सावन में साथ बिताए शाम है
तोड़ तोड़ कर बारिश में उनको खिलाएं आम है
इन यादों के सागर में करता हलचल हूँ मैं
प्यार तुम्हारा साथ हमारा साथ तुम्हारा प्यार थे हम
प्यार के राही एक डगर थी दो दिल एक जान थे हम
लोहे जैसा ठोस रह गई खुद रखा तरल हूँ मैं
सुबह तुम्ही से शाम तुम्हें से
कवि ह्रदय अंजाम तुम्हीं से
खुद को उलझन में तुम डाली
बहता नीर सरल हूँ मैं
वो थी मेरे दिल की रानी
साथ अधूरा बनी कहानी
प्यार में उनके लिखता पड़ता
प्यार में उनके गजल हूँ मैं
कवि सी.पी. गौतम






