shayari in hindi
जिंदा है दिल की बस्ती भरना है इसे
जिंदा है दिल की बस्ती भरना है इसे
माना के मरना है पर लड़ना है इसे
सुर्ख़ लहू टपका है उसकी शाख़ से
सुर्ख़ लहू टपका है उसकी शाख़ से
ख़्वाब ये देखा था जिसने भी आँख से
तानाशाही से डरना उसका काम नहीं है
तानाशाही से डरना उसका काम नहीं है
सबके दिल का मालिक होना आसान नहीं है
यूँ मोहब्बत में निखरता है कहाँ दीवाना
यूँ मोहब्बत में निखरता है कहाँ दीवाना
शख़्स हर कोई वफ़ा पाकर बिखर जाता है.
तुम आवाज़ हो मेरी इक संसार हो मेरा
तुम आवाज़ हो मेरी इक संसार हो मेरा
मैं भटका परिंदा हूँ तुम हंजार हो मेरा
दिल हमारा आपका जब हो गया
दिल हमारा आपका जब हो गया
कोना-कोना बाग सा तब हो गया
पंछियों से दोस्ती होने लगी
सोचते हैं, मन गगन कब हो गया
ख़्वाब को साथ मिलकर सजाने लगे
ख़्वाब को साथ मिलकर सजाने लगे
घर कहीं इस तरह हम बसाने लगे
कर दिया है ख़फ़ा इस तरह से हमें
मान हम थे गए फिर मनाने लगे
कमी खलती है तिरी हर इक कमी के बाद
कमी खलती है तिरी हर इक कमी के बाद
हमीं तुझको याद करते हैं हमीं के बाद
About author
नाम – मुहम्मद आसिफ अली
From – Kashipur, Uttarakhand, India
DOB – 13 March 2001
Website – https://authorasifkhan.blogspot.com/
