Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Mausam-Khan, poem

Mera gaon kavita by Mausam khan Alwar Rajasthan

 मेरा गांव |Mera gaon kavita by Mausam khan कितनी सादगी आज भी है मेरे गांव में ,चटनी के संग रोटी …


 मेरा गांव |Mera gaon kavita by Mausam khan

Mera gaon kavita by Mausam khan Alwar Rajasthan

कितनी सादगी आज भी है मेरे गांव में ,
चटनी के संग रोटी खाते बड़े चाव से गांव में।।

सूरज निकला सुबह हुई चिड़िया चहकी गांव में,
मंद मंद शुद्ध हवा चलती मेरे सीधे-साधे गांव मे।।

थे पन जाते सिर पर रखकर गोबर अब भी मेरे गांव में,
उपलो और लकड़ी से खाना बनाते आज भी मेरे गांव में।।

सुख दुख में सब शामिल होते खुशहाली मेरे गांव में,
राम रहीम सब मिलकर खेले मेरे सुन्दर गांव में।।

ईद दिवाली मिलकर मनती अभी मेरे गांव में,
रामू का हल अब्दुल जोते आज भी मेरे गांव।।

पणिहारी कुओं से पानी लाती आज भी मेरे गांव में,,
बैलों की रमझोल बजे हैं आज भी मेरे गांव में।।

स्वरचित मौसम खान
अलवर राजस्थान


Related Posts

रसेल और ओपेनहाइमर

रसेल और ओपेनहाइमर

October 14, 2025

यह कितना अद्भुत था और मेरे लिए अत्यंत सुखद— जब महान दार्शनिक और वैज्ञानिक रसेल और ओपेनहाइमर एक ही पथ

एक शोधार्थी की व्यथा

एक शोधार्थी की व्यथा

October 14, 2025

जैसे रेगिस्तान में प्यासे पानी की तलाश करते हैं वैसे ही पीएच.डी. में शोधार्थी छात्रवृत्ति की तलाश करते हैं। अब

खिड़की का खुला रुख

खिड़की का खुला रुख

September 12, 2025

मैं औरों जैसा नहीं हूँ आज भी खुला रखता हूँ अपने घर की खिड़की कि शायद कोई गोरैया आए यहाँ

सरकार का चरित्र

सरकार का चरित्र

September 8, 2025

एक ओर सरकार कहती है— स्वदेशी अपनाओ अपनेपन की राह पकड़ो पर दूसरी ओर कोर्ट की चौखट पर बैठी विदेशी

नम्रता और सुंदरता

नम्रता और सुंदरता

July 25, 2025

विषय- नम्रता और सुंदरता दो सखियाँ सुंदरता व नम्रता, बैठी इक दिन बाग़ में। सुंदरता को था अहम स्वयं पर,

कविता-जो अब भी साथ हैं

कविता-जो अब भी साथ हैं

July 13, 2025

परिवार के अन्य सदस्य या तो ‘बड़े आदमी’ बन गए हैं या फिर बन बैठे हैं स्वार्थ के पुजारी। तभी

Next

Leave a Comment