Stree | स्त्री पर कविता
स्त्री माँ , बहन,मित्र, प्रेमिका,सबमें मैंने देखी थोड़ी-थोड़ी स्त्री,किंतु विवाह के बाद पत्नी से मिल,मूड स्विंग जैसे नये टर्म सीखे,मैंने एक ही स्त्री में कई रूप देखे,पत्नी के साथ चौबीसों घंटे गुज़ार,मैंने स्त्री को सबसे ज़्यादा समझा, हम पुरुष तंज़ कसते रहे कि,स्त्रियों को ब्रह्म भी न समझ पायेंगे,तो यह सच हैं क्योंकि,ब्रह्मा भी पुरुष … Read more