बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाए!!!!

 बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाए!!!! अनिता शर्मा #बोया वृक्ष बबूल का तो आम कहाँ से होए आम तौर पर जीवन में सुनने मिल जाता है मेरे साथ फलां ने ऐसा किया,वैसा किया। कभी गौर फरमाया है —सब कर्मो का प्रतिफल है।जो लौटकर जरूर वापस आता है ,चाहे इस जन्म में या … Read more

माँ

 माँ अनिता शर्मा एक शब्द में संसार समाहित, जग जननी है माँ। कितनी भोली, कितनी प्यारी, मुझे प्यारी है माँ । सबकी बातें सुनती है पर… कभी न बदले माँ। त्याग-तपस्या की साक्षात मूरत, धैर्यवान है माँ। सबका ध्यान बराबर रखती , अन्नपूर्णा है माँ। घर को सुव्यवस्थित रखती , श्री महालक्ष्मी है माँ। हम … Read more

तन्हा सी!!!!

 तन्हा सी!!!! अनिता शर्मा भीड़ में तन्हा-तन्हा सी, कुछ सकुचाई कुछ शरमाई। कह न सकी दिल की बातें, मन ही मन सब बोल दिया। नजरों ने सब जज्बात पढ़े, आंखो से जुड़े बातों के तार। लब फिर भी खामोश रहे, कुछ सकुचाई कुछ शरमाई। नजरें उठती गिरती प्रतिक्षण, शीश झुका लौटी प्रति क्षण। इक प्रीत … Read more

रक्त की बूँद!!!!

 रक्त की बूँद!!!! अनिता शर्मा रक्त की हर बूंद कीमती,रक्तदान जरूरी है।कीमती हर जान रक्त से,रक्त दान जरूरी है। समय-समय पर शिविर में,रक्त दान जरूरी है।सेहत के लिए जरूरी है,संतुलित आहार लेना। रक्त से बड़ा नहीं कोई दान,दान करें हम सब रक्त।जीवन में परोपकार की भावना,और रक्तदान जरूरी है। किसी के जीवन रक्षा हेतु,आगे बढ़ … Read more

अपेक्षा और हम- अनिता शर्मा झाँसी

अपेक्षा और हम हर रिश्ता सुन्दर प्यारा सा है।हमारे अपने दिल के करीब रहते हैं।सभी प्यारी भावनाओं से जुड़े रहते हैं।पर….कभी-कभी हम उनको समय ही नहीं देते कि वे अपने निर्णय लेकर अपनी जिंदगी जियें।आज के दौर में अगर बात करे परिवार की तो माता पिता अपने बच्चों पर अपनी आशाओ और अपेक्षाओ को जाने … Read more

पहले जैसा नहीं रहा- अनिता शर्मा झाँसी

पहले जैसा नहीं रहा क्यों हर रिश्ता पहले जैसा नहीं रहा ?हाँ सोचती हूँ मैं अक्सर ही कि-क्यों हर रिश्ता पहले जैसा नहीं रहा।कितने सिमटकर रह गये हैं रिश्ते किअब!पहले वाली बात रही नहीं उनमें।सोचती हूँ मैं अक्सर ही कि पहले जैसाकुछ बचा नहीं इस दौर में ।कितने उलझ कर रह गये हम सभीकि पहले … Read more

रिश्ते कितने अपने कितने पराये!-अनिता शर्मा झाँसी

रिश्ते कितने अपने कितने पराये! हम सब समाज और परिवार से जुड़े होते हैं।बहुत खूब प्यारे से परिवार के सदस्यों से भावनात्मक रूप से प्यार अपनापन और सहयोग मिलता रहता है।रिश्तों में दरार तभी पड़ती है जब स्वार्थ पनपने लगता है।वहाँ से एक खिंचाव उत्पन्न हो जाता है।एक सदस्य जब प्रगति करने लगता है और … Read more

प्यारा बचपन-अनिता शर्मा

प्यारा बचपन परिवार में बड़ी शक्ति है मन प्रसन्नता से भर जाता बच्चों का खिलता चेहरा तो सराबोर हो हर क्षण जीवन के।महके तन मन माँ का जब बच्चों के चहके स्वर। सुखमय जीवन हो जाता है हृदय पुलकित आनंदित हो जाता।बच्चों के साथ सुखमय वक्त गुजरता है मेरा ।साथ जब उनके होती चमकता चेहरा … Read more

होलिका दहन-अनिता शर्मा

होलिका दहन जला कर राख कर दो अपनी सभी दुर्भावनाएॅ।चलो मनों में भरे सद्भावनामिटाये बैर दिलों से अपने।दहन कर दे सभी दुष्कामनाभरें रंग नये रंगीन सपनों के।रंगों संग खुशहाली होहंसी खुशी सौहार्द में बीते जीवन।चलो जला कर राख करेंहम अपनी दुश्चिन्ताओ को।चलो गढ़े नव हिन्दुस्तां कोमिटा दे आज सब चिंताओ को।चलो कुरीतियों कुप्रथाओं कोदहन होलिका … Read more

आशा- अनिता शर्मा

आशा उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा,कौन हो तुम?हौले से पूछा।उसने आंखो में चमक भर कहा,मैं तो हूँ,तुम्हारी ही आशा ।एक विश्वास सहज ही आया,आत्म सम्मान सहज ही छाया।आशान्वित हो उठी तत्क्षण,नव-जागृति मनोबल बढ़ाया।मैने उस आशा को अपनाया,जीवन में अवसर को पाया।समय का सदुपयोग किया तब,सकारात्मक ऊर्जा से भरा मन।आशान्वित क्षण नव उत्साहित,आभासित दीपक की ज्योति।सहचर … Read more