श्री कृष्ण जन्मोत्सव
अनाथ तेरे बिन
आधी रात को जन्म भये
कारावास का खुले वज्र कपाट
दैत्य प्रहरी सो गए ऐसे
रह गए शून्य सपाट
भादौ की कालिमा रातों में
सूझै न हाथों को हाथ
मूसलाधार बरस रहे ऐसे
खुशियों की आयी सौगात
बिजली चमक रही चमचम
मेघा गरज रहे है डमडम
हो गए प्रिय का आगमन
प्रकृति कर रहे हैं स्वागत
झुूमती है चारो दिशाएं
भक्तों की जगी आशाएं
यमुना जी उमड़ पडी़ है
कब आएंगे नाथ हमारे
शेषनाग छतरी बनने को
आकुल-व्याकुल हो रहे
सबके नैनों के तारे कान्हा
बि खे रे मंद -मंद मुस्कान
बेफिक्र हो जाओ प्यारे
कर जोड़ करें गुणगान
सब पर होगी प्रेम बारिश
हम अनाथ हैं तेरे बिन
स्व रचित
डॉ.इन्दु कुमारी
हिन्दी विभाग
मधेपुरा बिहार






