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poem, Prem Thakker

Kavita :बेशुमार इश्क | Beshumar ishq

बेशुमार इश्क सुनो दिकु…… मेरी यह बेकरारी, मेरा ये जुनूनवो मेरी तड़पन, बन्द आखों में  तुम्हारी गोद में सर रखने …


बेशुमार इश्क

Kavita :बेशुमार इश्क | Beshumar ishq

सुनो दिकु……

मेरी यह बेकरारी, मेरा ये जुनून
वो मेरी तड़पन, बन्द आखों में 

तुम्हारी गोद में सर रखने का सुकून
यह इश्क नहीं तो क्या है
बेशुमार इश्क ही मतलब है इसका
मेरा तुम्हारे मिलन को तरसना
तुम से दूरी का दर्द आँखों से यूँ बरसना
यह इश्क नहीं तो क्या है
बेशुमार इश्क ही मतलब है इसका
तुम्हारे इंतज़ार में बिखर गया
कटरा सा प्रेम तुम से पाकर में निखर गया
यह इश्क नही तो क्या है
बेशुमार इश्क ही मतलब है इसका
कागज़, हथेली, आखों पर लिखता हूँ
में अक्सर हर दिन तुम पर मर मिटता हूँ
यह इश्क नहीं तो क्या है
बेशुमार इश्क ही मतलब है इसका

प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए

About author

प्रेम ठक्कर | prem thakker

प्रेम ठक्कर
सूरत ,गुजरात 

ऐमेज़ॉन में मैनेजर के पद पर कार्यरत 

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