(राजस्थानी भाषा री मान्यता सारू म्हारी जिद है मान्यता मिळ सकै राजस्थानी अकेडमी रै गठन ताईं एक कविता रोजानां
राजस्थानी कविता
मीठी बोली रा मतवाळा अब तो जागो रे।
भाषा री मान्यता सारू बिगुल बजाओ रे।।
एक हबीड़ों जोरां सूं मारो रे……1
बहरी-गूंगी सरकार नैं,सगळा मिल हिलाओ रे ।
पन्द्रह करोड़ लोगां री भाषा नै मान्यता दिलाओ रे ।।
एक हबीड़ों जोरां सूं मारो रे…….2
खाली बातां अर दिलासां सूं , पेट नीं भरणों रे।
कोच्छा टांगलो सगळा भायां, अबै दिल्ली घेरो घालो रे ।।
एक हबीड़ो जोरां सूं मारो रे…..3
सांसद – विधायकां सूं कीं नीं होणो- जाणो रे ।
कवि – लेखकां अर लिखारां सगळा एक हबीड़ो मारो रे ।।
एक हबीड़ो जोरां सूं मारो रे …..4
पंच-सरपंच सगळा भेळा होय अलख जगाओ रे ।
ठेठ गांव – ढाणी सूं आपां भाषा री अलख जगाओ रे ।।
एक हबीड़ो जोरां सूं मारो रे…..5
स्कूल – कॉलेजां में मान्यता सारू छोरां धुणों धुखाओ रे ।
मोटयारां नैं भेळा कर सांसदा रो अबै घेरो घालण चालो रे।।
एक हबीड़ो जोरां सूं मारो रे ……6
मायड़ भाषा सारू तन-मन-धन सूं सगळा लागो रे ।
“नाचीज”रो कैवणो आरपार री लड़ाई अबकी मांडो रे ।।
एक हबीड़ो जोरां सूं मारो रे ……..7





