नववर्ष मंगल भावना
नव वर्ष में कुछ यूं जहां में प्रेम का विस्तार हो,
ना कोई भूखा हो शहर में बीमार ना लाचार हो !!
भला कब तलक चांद में रोटी देखता रहेगा वो,
खत्म हर बच्चे की सूनी आंखों की इंतजार हो !
ना रहे संसार में वैमनस्य और घृणा कहीं कोई,
हिंदू मुस्लिम ईसाई सिक्ख का आपस में प्यार हो!
कराह चीख औ पुकार सहे कब तलक ये ज़मीं ,
रोग हो ना कोई रगों में स्वस्थ सारा संसार हो !
सुकून और खुशी हर किसी के दिल में हो, गोया
हरेक दिन जगत में मन रहा ये प्रेम का त्योहार हो !
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| Veerendra Jain, Nagpur |
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