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Jitendra_Kabir, poem

गणतंत्र मनाओ – गणतंत्र बचाओ-जितेन्द्र ‘कबीर’

गणतंत्र मनाओ – गणतंत्र बचाओ गौरवशाली दिन है यहबड़ी धूमधाम से इसे मनाओ,मायने इसके सही समझकरखत्म होने से इसे बचाओ।लूटतंत्र …


गणतंत्र मनाओ – गणतंत्र बचाओ

गणतंत्र मनाओ - गणतंत्र बचाओ-जितेन्द्र 'कबीर'

गौरवशाली दिन है यह
बड़ी धूमधाम से इसे मनाओ,
मायने इसके सही समझकर
खत्म होने से इसे बचाओ।
लूटतंत्र है फल-फूल रहा
फल-फूल रहा है आज बंदूक तंत्र,
झूठ तंत्र है फल-फूल रहा
फल-फूल रहा है आज ठग तंत्र,
बनाया गया था यह
आम जनता की भलाई के लिए,
इसका सही उद्देश्य मत भूल जाओ
मायने इसके सही समझकर
खत्म होने से इसे बचाओ।
कॉरपोरेट तंत्र यह बन रहा
बन रहा है यह आज माफिया तंत्र,
फूट तंत्र यह बन रहा
बन रहा है यह आज भीड़ तंत्र,
बनाया गया था यह
आम जनता की सुनवाई के लिए,
गूंगा-बहरा इसे मत बनाओ
मायने इसके सही समझकर
खत्म होने से इसे बचाओ।
साल में महज एक दो दिन
तिरंगे की डीपी लगाकर
अपनी दिखावटी देशभक्ति का परिचय
दुनियावालों को चाहे न कराओ,
गणतंत्र के सही मायनों को समझो
और अपने जीवन में उसके आदर्शों पर
अमल करके दिखाओ।
जितेन्द्र ‘कबीर’
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।

 नाम – जितेन्द्र ‘कबीर’
संप्रति – अध्यापक
पता – जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र – 7018558314


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