कविता- उस दिन ” दशरथ केदारी ” भी मरा था !
उस दिन बहुत गहमागहमी थी
जब एक हास्य कलाकार मरा था हमारे
देश में l
संवेदना व्यक्त करने वालों का जैसे
ताँता सा लग गया था !
आदमी राष्ट्रीय स्तर का था !
लेकिन , एक और आदमी मरा
था , उस दिन हमारे देश में
उसकी खबर कहीं नहीं थी
ना किसी , अखबार में ना ही किसी टी. वी.
चैनल पर
पेशे से वो एक किसान था
नाम था उसका ” दशरथ केदारी ”
उम्र थी कोई चालीस एक साल
मरने वाले हास्य अभिनेता से कुछ – एक
बीस साल छोटा रहा होगा !
कहते हैं , उसने देश के प्रधान को
एक पत्र लिखा था , जिसमें देश के
प्रधान को उसके जन्मदिन पर बधाई
भी दी थी
और , अपने आत्महत्या की बाबत उसने
अपने ” सुसाइड़ ” नोट में लिखा था
कि वो , देश में बनने वाली कृषि नीतियों
से कतई खुश नहीं है !
उस दिन वो , शायद पहली बार
नहीं मरा था ..
वो तो बहुत पहले मर गया था
जब बीज और खाद के लिये
उसने कर्ज लिया था !
जिसको चुकाने के लिये
वो तरह- तरह के रास्ते ढूँढ़ता रहा था
लेकिन , वो फँस चुका था
खेती-किसानी के चक्र-व्यूह
में .. !
सहकारी – समितियों से लिये
कर्ज के चक्कर में ..!
वो , किस्तों में मरा होगा
जब
पत्नी ने अपने लिये कुछ कपड़े
खरीदने को कहा होगा ..!
कर्ज जब चढ़ जाता है
तब मजबूर आदमी कपड़ा भी कहाँ खरीद पाता है .. !
फिर , किसी दिन अपने बूढ़े
बाप की दवाई के लिये मरा होगा !
फिर .. बच्चों की फीस के लिये
कई- कई बार मरा होगा !
एक आहत बाप जो समय
से अपने बच्चों की फीस भी
नहीं भर पाता है !
अगर , वो किसान नहीं होता
तो कहीं मजदूर होता..
लेकिन , ये तय है कि ,
वो तब भी मारा जाता ..!
कभी , सूखे- बुड़े से !
कभी ओले – पाले से !
कभी किसी , टावर से गिर कर
मर जाता
या किसी कारखाने में कटकर
मर जाता !
अगर , ऐसे नहीं मरता तो किसी
पुरानी इमारत के मलबे के नीचे
दबकर मर जाता ..!
मरने से पहले ” दशरथ केदारी ”
कुछ , इस तरह इत्मीनान
हुआ , पहले उसने कीटनाशक पीया
फिर ,
अपने ही तालाब में कूदकर छलाँग लगा दी
ताकि बचने , की कोई गुँजाइश शेष बची
ना रह जाये ..!
आखिर , क्या मुँह दिखाता
वो जिंदा रहकर !
ऐसा उसने इसलिये किया होगा
ताकि , वो अपने बीबी – बच्चों
से कभी आँख ना मिला पाये !
कीटनाशक से बच भी जाये
तो कम- से – कम डूबने से ना बचे !
वो , अपने ही लोगों की नजरों में
पहले ही इतना
गिर गया था कि एक बार
सामने से मरकर फिर उसे जीना गवारा नहीं था !
मरना जैसे उसकी नियति हो
वो किसान होता तब भी मरता
मजदूर होता तब भी मरता !
दिलचस्प बात ये है कि इनके
मरने जीने का कहीं लेखा-जोखा नहीं होता
ना ही होती है कभी ” दशरथ केदारी ” के मर जाने पर
उसके
” मन की बात ” !
सर्वाधिकार सुरक्षित
email-keshrimahesh322@gmail
About author
परिचय –
नाम – महेश कुमार केशरी
जन्म -6 -11 -1982 ( बलिया, उ. प्र.)
शिक्षा – 1-विकास में श्रमिक में प्रमाण पत्र (सी. एल. डी. , इग्नू से)
2- इतिहास में स्नातक ( इग्नू से)
3- दर्शन शास्त्र में स्नातक ( विनोबा भावे वि. वि. से)
अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन – सेतु आनलाईन पत्रिका (पिटसबर्ग अमेरिका से प्रकाशित) .
राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन- वागर्थ , पाखी , कथाक्रम, कथाबिंब , विभोम – स्वर , परिंदे , गाँव के लोग , हिमप्रस्थ , किस्सा , पुरवाई, अभिदेशक, , हस्ताक्षर , मुक्तांचल , शब्दिता , संकल्य , मुद्राराक्षस उवाच , पुष्पगंधा ,
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चयन – (1 )प्रतिलिपि कथा – प्रतियोगिता 2020 में टाॅप 10 में कहानी ” गिरफ्त ” का चयन
(2 ) पच्छिम दिशा का लंबा इंतजार ( कविता संकलन )
जब जँगल नहीं बचेंगे ( कविता संकलन ), मुआवजा ( कहानी संकलन )
(3)संपादन – प्रभुदयाल बंजारे के कविता संकलन ” उनका जुर्म ” का संपादन..
(4)-( www.boltizindgi.com) वेबसाइट पर कविताओं का प्रकाशन
(5) शब्द संयोजन पत्रिका में कविता ” पिता के हाथ की रेखाएँ “
का हिंदी से नेपाली भाषा में अनुवाद सुमी लोहानी जी द्वारा और ” शब्द संयोजन ” पत्रिका में प्रकाशन आसार-2021 अंक में.
(6) चयन – साझा काव्य संकलन ” इक्कीस अलबेले कवियों की कविताएँ ” में इक्कीस कविताएँ चयनित
(7) श्री सुधीर शर्मा जी द्वारा संपादित ” हम बीस ” लघुकथाओं के साझा लघुकथा संकलन में तीन लघुकथाएँ प्रकाशित
(8) सृजनलोक प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित और संतोष श्रेयंस द्वारा संपादित साझा कविता संकलन ” मेरे पिता” में कविता प्रकाशित
(9) डेली मिलाप समाचार पत्र ( हैदराबाद से प्रकाशित) दीपावली प्रतियोगिता -2021 में ” आओ मिलकर दीप जलायें ” कविता पुरस्कृत
(10) शहर परिक्रमा – पत्रिका फरवरी 2022- लघुकथा प्रतियोगिता में लघुकथा – ” रावण” को प्रथम पुरस्कार
(11) कथारंग – वार्षिकी -2022-23 में कहानी ” अंतिम बार ”
प्रकाशित
(12)व्यंग्य वार्षिकी -2022 में व्यंग्य प्रकाशित
(13) कुछ लघुकथाओं और व्यंग्य का पंजाबी , उड़िया भाषा में अनुवाद और प्रकाशन
(14)17-07-2022 – वर्ल्ड पंजाबी टाइम्स चैनल द्वारा लिया गया साक्षात्कार
(15) पुरस्कार – सम्मान – नव साहित्य त्रिवेणी के द्वारा – अंर्तराष्ट्रीय हिंदी दिवस सम्मान -2021
संप्रति – स्वतंत्र लेखन एवं व्यवसाय
संपर्क- श्री बालाजी स्पोर्ट्स सेंटर, मेघदूत मार्केट फुसरो, बोकारो झारखंड -829144