Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Jitendra_Kabir, poem

आसान रास्ता- जितेन्द्र ‘कबीर’

आसान रास्ता वक्त ज्यादा लगता है,जुनून ज्यादा लगता है,प्रतिभा ज्यादा लगती है,साल दर साल मेहनत करकेएक नया एवं बेहतर इतिहास …


आसान रास्ता

आसान रास्ता- जितेन्द्र 'कबीर'

वक्त ज्यादा लगता है,
जुनून ज्यादा लगता है,
प्रतिभा ज्यादा लगती है,
साल दर साल मेहनत करके
एक नया एवं बेहतर इतिहास बनाने में,
एक आसान रास्ता अपनाते हैं
चलो बदल देते हैं इतिहास की किताबें,
सड़कों, भवनों, शहरों के नाम
और लिखा लेते हैं अपना नाम
इस देश में हुए अब तक के
सबसे महान इंसानों में।
हृदय बड़ा लगता है,
प्रयास बड़ा लगता है,
सहनशक्ति बड़ी लगती है,
अपनी समझदारी एवं दूरदर्शिता से
एक विशाल देश के हर नागरिक के लिए
तरक्की एवं खुशहाली के समान,
बेहतर अवसर उपलब्ध करवाने में,
एक आसान रास्ता अपनाते हैं
चलो फूट डालते हैं जनता में
धर्म, जाति, वर्ण, पिछड़ों-अगड़ों के नाम
और बचा लेते हैं अपनी सत्ता
ले-लेकर नाम भगवानों के।

जितेन्द्र ‘कबीर’
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम – जितेन्द्र ‘कबीर’
संप्रति-अध्यापक
पता – जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र – 7018558314


Related Posts

कुएँ की खामोशी

कुएँ की खामोशी

December 15, 2025

मन करता है मैं उसी कुएँ से नहाऊँ, पानी भरूँ जहाँ कभी परिवार के सभी लोग हँसी के छींटों में

रसेल और ओपेनहाइमर

रसेल और ओपेनहाइमर

October 14, 2025

यह कितना अद्भुत था और मेरे लिए अत्यंत सुखद— जब महान दार्शनिक और वैज्ञानिक रसेल और ओपेनहाइमर एक ही पथ

एक शोधार्थी की व्यथा

एक शोधार्थी की व्यथा

October 14, 2025

जैसे रेगिस्तान में प्यासे पानी की तलाश करते हैं वैसे ही पीएच.डी. में शोधार्थी छात्रवृत्ति की तलाश करते हैं। अब

खिड़की का खुला रुख

खिड़की का खुला रुख

September 12, 2025

मैं औरों जैसा नहीं हूँ आज भी खुला रखता हूँ अपने घर की खिड़की कि शायद कोई गोरैया आए यहाँ

सरकार का चरित्र

सरकार का चरित्र

September 8, 2025

एक ओर सरकार कहती है— स्वदेशी अपनाओ अपनेपन की राह पकड़ो पर दूसरी ओर कोर्ट की चौखट पर बैठी विदेशी

नम्रता और सुंदरता

नम्रता और सुंदरता

July 25, 2025

विषय- नम्रता और सुंदरता दो सखियाँ सुंदरता व नम्रता, बैठी इक दिन बाग़ में। सुंदरता को था अहम स्वयं पर,

Next

Leave a Comment