Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Ankur_Singh, story

पंच से पक्षकार | story panch se pakshkar

पंच से पक्षकार हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे। उम्र के आखिरी पड़ाव तक दोनों के रिश्ते ठीक-ठाक थे। …


पंच से पक्षकार

हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे। उम्र के आखिरी पड़ाव तक दोनों के रिश्ते ठीक-ठाक थे। दोनों ने आपसी सहमति से रामनगर चौराहे के पैतृक जमीन पर दुकान बनाने का सोचा, ताकि उससे उनको जो आय हो उससे उनका जीवन सुचारू रूप से चल सके।
दुकान का काम चल ही रहा था तभी हरिप्रसाद और रामप्रसाद के बीच कुछ बातों को लेकर विवाद हो गया और उनमें बातचीत होना बंद हो गया। जिससे उनकी दुकान का काम भी रुक गया। दोनों एक दूसरे पर खूब आरोप-प्रत्यारोप भी लगाने लगे। बढ़ते विवाद को देख उसे सुलझाने के लिए उनके पड़ोसियों ने मोहल्ले के कुछ लोगों को जुटाकर एक पंचायत बुलाई, परन्तु पंचायत के सामने भी दोनों आपसी विवाद को खत्म करने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। बल्कि एक दूसरे पर एक से बढ़कर एक आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे थे। पंचायत ने भी मामले को बढ़ते देख उन्हें कुछ दिनों के लिए एक-दूसरे से दूर रहने की कड़ी हिदायत दी जिससे उनका विवाद हिंसा का रूप धारण न कर सके। इसके साथ ही पंचायत ने दुकान के बचे आधे-अधूरे काम को पूरा करने की जिम्मेदारी गांव के एक पढ़े-लिखे व्यक्ति विनोद को दे दिया ताकि दोनों भाईयों के विवाद से उनके धन का नुकसान ना हो। हरिप्रसाद और रामप्रसाद ने भी विनोद को पंच परमेश्वर का दर्जा देते हुए दुकान के बचे हुए काम को पूरा करने के लिए विनोद के नाम पर सहमत हो गए।
प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर की तरह यहाँ भी समाज में हरिप्रसाद का सम्मान उनके धन से तो रामप्रसाद का सम्मान उनके अच्छे व्यवहार की वजह से लोगों में था। परंतु, शास्त्रों में कहा गया है कि कलयुग में मूर्ख, चोर और बेईमान आदमी अपने पद और धन के कारण समाज में श्रेष्ठ होगा और उसके प्रति लोगों का झुकाव जल्दी होगा। ठीक वैसे ही विनोद का झुकाव हरिप्रसाद की तरफ जल्दी हो गया। विनोद हरिप्रसाद के हर बातों का अमल दुकान के कार्यों में करता और यदि रामप्रसाद इसका विरोध करना चाहता तो उसकी बातों को अनसुना कर देता या रामप्रसाद को तीन-पांच पढ़ा उसकी बात टाल देता। कुछ दिन तक ऐसे ही चलता रहा और धीरे-धीरे रामप्रसाद को भी इस बात का एहसास होने लगा की वह ठगा जा रहा है और उसके साथ अन्याय हो रहा है। उसने इसके संदर्भ में विनोद से सीधा बात करना ही उचित समझा।
अगली सुबह खेत और घर के जरूरी काम निपटा रामप्रसाद विनोद के घर जा पहुंचा और कहने लगा- ” विनोद भाई, पंचायत की सहमति पर मैंने आपको पंच परमेश्वर माना है और इसलिए एक पंच के नाते आपसे निष्पक्ष न्याय करने की गुहार लगाने आया हूँ।”
इतना सुनते ही विनोद गुस्से में रामप्रसाद को भला बुरा कहते हुए हरिप्रसाद के सामने उसकी तुच्छ औकात की बात करने लगा और हरिप्रसाद के तारीफों की पुल बांधने लगा। विनोद के इस स्वभाव और एक पक्षीय नजरिया को देखते हुए रामप्रसाद ने कहा- ” विनोद जी, भले ही आज मेरी आर्थिक औकात हरिप्रसाद से छोटी है, परन्तु हरिप्रसाद के चंद रुपयों के लालच में आपने अपनी जमीर बेचकर अपनी औकात पंच परमेश्वर जैसे ऊँचे दर्जे से गिराकर पक्षकार के स्तर की बना ली।”
इतना सुनते ही विनोद के चेहरे का रंग उड़ गया और रामप्रसाद अपने कंधे पर गमछा रखते हुए घर की तरफ चल पड़ा।

About author 

Ankur Singh
अंकुर सिंह
हरदासीपुर, चंदवक
जौनपुर, उ. प्र.

Related Posts

कहानी: दुपट्टे की गाँठ

कहानी: दुपट्टे की गाँठ

July 28, 2025

कभी-कभी ज़िंदगी के सबसे बड़े सबक किसी स्कूल या किताब से नहीं, बल्कि एक साधारण से घर में, एक सादी-सी

कहानी-कहाँ लौटती हैं स्त्रियाँ

कहानी-कहाँ लौटती हैं स्त्रियाँ

July 24, 2025

कामकाजी स्त्रियाँ सिर्फ ऑफिस से नहीं लौटतीं, बल्कि हर रोज़ एक भूमिका से दूसरी में प्रवेश करती हैं—कर्मचारी से माँ,

कहानी – ठहर गया बसन्त

कहानी – ठहर गया बसन्त

July 6, 2025

सरबतिया …. ओ ..बिटिया सरबतिया…….अपनी झोपड़ी के दरवाज़े  के बाहर ,बड़ी हवेली हवेली वाले  राजा ठाकुर के यहाँ काम करने

दीपक का उजाला

दीपक का उजाला

June 10, 2025

गाँव के किनारे एक छोटा-सा स्कूल था। इस स्कूल के शिक्षक, नाम था आचार्य देवदत्त, अपने समय के सबसे विद्वान

Story parakh | परख

Story parakh | परख

December 31, 2023

 Story parakh | परख “क्या हुआ दीपू बेटा? तुम तैयार नहीं हुई? आज तो तुम्हें विवेक से मिलने जाना है।”

लघुकथा -बेड टाइम स्टोरी | bad time story

लघुकथा -बेड टाइम स्टोरी | bad time story

December 30, 2023

लघुकथा -बेड टाइम स्टोरी “मैं पूरे दिन नौकरी और घर को कुशलता से संभाल सकती हूं तो क्या अपने बच्चे

Next

Leave a Comment