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कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ।

शीर्षक:-कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ। किसकी छवि जंगल-जंगल ढूँढ़ रही हूँ, ख्वाब किसके खयालों में गढ़ रही हूँ। मृग समान दिग्भ्रमित पागल मन...

Bolti Zindagi 14 Oct, 2024

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कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ।

शीर्षक:-कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ। किसकी छवि जंगल-जंगल ढूँढ़ रही हूँ, ख्वाब किसके खयालों में गढ़ रही हूँ। मृग समान दिग्भ्रमित पागल मन...

Bolti Zindagi 14 Oct, 2024

आखिर तुम हो मेरे कौन?

आखिर तुम हो मेरे कौन? खिलते हो मुरझाते हो, आकर रोज सताते हो। सुन्दर गीत एक सुनाकर, मन बेचैन दर्पण बनाकर । सुधि आते हो बारम्बार, करते हो मुझप...

Bolti Zindagi 30 Sep, 2024

Samay ka anukulan | समय का अनुकूलन

समय का अनुकूलन: व्यस्त दुनिया में उत्पादकता बढ़ाना" आज के तेज़-तर्रार माहौल में, सफलता प्राप्त करने और तनाव को कम करने के लिए समय का प्...

Bolti Zindagi 28 Aug, 2024

Hey krishna aaoge na | हे कृष्ण आओगे न

जन्माष्टमी : हे कृष्ण आओगे न! हे किशन-कन्हैया, सारे जग के तुम हो खिवइयां, नाराज़ हूँ मैं तुमसे, कब तक ये बासुरी बजाओगे. छलनी हो रहा तन-मन और ...

Bolti Zindagi 28 Aug, 2024