झूठ की आकुलता | jhooth ki aakulta
May 26, 2024 ・0 comments ・Topic: poem Surya kumar
झूठ की आकुलता
ज़ुबानलड़खडाने लगी
झूठ
बड़बडाने लगा
बहुत दिया
तुम्हारा साथ
अब तो छोडो
मेरा हाथ
आजिज़
आ गया हूँ
थू-थू
हो रही है
चहूँ ओर
मेरी भी
तुम्हारे साथ
अब छोड़ दो
मेरा हाथ
छोड़ दो
मेरा हाथ
तुम्हारी
हो न हो पर
मेरी तो सीमा है
करने की
बर्दाश्त
तुम्हारी
तो जायेगी
किन्तु
मेरी तो
ख़त्म
हो जायेगी साख
अब छोड़
दो मेरा हाथ
अब छोड़ दो
मेरा साथ
नही छोड़ोगे
तो मैं छोड़ दूँगा
चला जाऊँगा
साथ सच के
खोल दूँगा
तुम्हारी सारी
पोल-पट्टी
बचा लूँगा
अपनी साख
तुम्हारी
हो न हो
किन्तु
मेरी तो
कुछ इज़्ज़त है
मेरी सच्चाई तो
जानते हैं सब
करेंगे यक़ीन
मुझ पर
और मेरी
हर बात पर
यह धमकी
मत समझना
बख़्श दो
मेरी गरिमा
और
छोड़ दो
मेरा हाथ
छोड़ दो
मेरा साथ
अब
बहुत हो चुका
बस
बहुत हो चुका
अब छोड दो
मेरा हाथ !
About author
सूर्य कुमार,देवग्राम,पयागपुर, बहराइच, उत्तर प्रदेश
(लेखक भारत यात्रा ट्रस्ट के ट्रस्टी, गांधी निष्ठ समाजवादी हैं)
मोबाइल नंबर- 8299835852.
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