रामराज्य लाते हैं | ramrajya laate hai
January 22, 2024 ・0 comments ・Topic: poem Sonal Manju
रामराज्य लाते हैं
आओ सनातनियों हम सब मिल-जुल कर,एक बार फिर से भारत में रामराज्य लाते हैं।
ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी, जात-पात का,
भेद मिटाकर चलो सबको गले लगाते हैं।
नफरत और द्वेष को मन से दूर भगाकर
आपसी अनुराग का गीत गुनगुनाते हैं।
अपनी जिह्वा और वाणी में मिठास घोल,
श्री राम के अवध लौटने का उत्सव मनाते हैं।
हर घर, हर आंगन हो खुशियों में डूबा,
पुष्प और दीपों से अवध को ऐसे सजाते हैं।
करके मानवता की सेवा सारी दुनिया में,
अपने आराध्य राम-नाम का ध्वज फहराते हैं।
कितनी भी विकट हो स्थिति, या बिगड़े काम,
उनके स्मरण से अटके हर काम बन जाते हैं।
पूरे ब्रह्मांड में हम सब भारतवासी मिलके,
'जय श्री राम' के जयकारों की गूंज फैलाते हैं।
पाठ्यक्रम में छोड़कर अकबर-बाबर को,
बच्चों को रामायण-गीता के पाठ पढ़ाते हैं।
आओ सनातनियों हम सब मिल-जुल कर,
एक-बार फिर से भारत में रामराज्य लाते हैं।
- सोनल मंजू श्री ओमर
राजकोट, गुजरात
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