कविता – चुप है मेरा एहसास
October 30, 2023 ・0 comments ・Topic: poem Santosh rao
चुप है मेरा एहसास
चुप है मेरा हर एहसास
क्यों किया किसी ने विश्वासघात?
हो गया मेरा हर लफ्ज़ खामोश
आज मेरा हर शब्द है खामोश
छोड़ बीच सफर में मुझको
कर गया अकेला वो मुझको
मेरे स्वाभिमान को पैरो तले रौंदकर
आगे बढ गया सफर में वो
पर किस्मत का खेल तो देखो
साथ पाकर भी रह गया अकेला
आज देखो उसको, है वो खामोश
अब समझा वो दुनिया का मेला
बढ़ कर भी आगे वो बढ़ न पाया
पाकर किसी को अपना न पाया
किसी के प्रेम को कभी समझ न पाया
उसने सच्चे प्रेमी को कभी न पाया
पाया तो क्या पाया उसने
दिखावे का साथ पाया उसने
जो दिया दर्द दूसरो को उसने
उसी दर्द को पाया है आज उसने
चुप है मेरा हर एहसास
क्यों किया किसी ने विश्वासघात?
मिला उसे भी विश्वासघात
चुप है मेरा हर एहसास
क्यों किया किसी ने विश्वासघात?
हो गया मेरा हर लफ्ज़ खामोश
आज मेरा हर शब्द है खामोश
छोड़ बीच सफर में मुझको
कर गया अकेला वो मुझको
मेरे स्वाभिमान को पैरो तले रौंदकर
आगे बढ गया सफर में वो
पर किस्मत का खेल तो देखो
साथ पाकर भी रह गया अकेला
आज देखो उसको, है वो खामोश
अब समझा वो दुनिया का मेला
बढ़ कर भी आगे वो बढ़ न पाया
पाकर किसी को अपना न पाया
किसी के प्रेम को कभी समझ न पाया
उसने सच्चे प्रेमी को कभी न पाया
पाया तो क्या पाया उसने
दिखावे का साथ पाया उसने
जो दिया दर्द दूसरो को उसने
उसी दर्द को पाया है आज उसने
चुप है मेरा हर एहसास
क्यों किया किसी ने विश्वासघात?
मिला उसे भी विश्वासघात
चुप है मेरा हर एहसास
About author
संतोष कुंवर राव
प्रतापगढ (राजस्थान)
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