अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 15 मई 2023 भारत में शिद्दत और सम्मान से मनाया गया
विश्व में भारतीय परिवार जितनी पवित्रता, स्थाईपन अन्य किसी समाज में नहींआओ स्थाई फैमिली कल्चर को फॉलो करने का संकल्प लेकर इस भारतीय संस्कृति, परंपरा और सभ्यता की ख़ुशबू पीढ़ियों तक फैलाएं - एडवोकेट किशन भावनानीगोंदिया - वैश्विक स्तरपर दुनियां के देश अच्छे से जानते हैं कि भारत में परिवार और रिश्तो को बहुत सम्मान और महत्व दिया जाता है,जिसका अस्तित्व सैकड़ों देशों में रह रहे मूल भारतीयों की रग रग में भी समाया है, जो सात समंदर पार रहकर भी परिवार और रिश्तो के महत्व को निभाते हैं। यही कारण है कि 15 मई 2023 को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस भारत में शिद्दत और सम्मान के साथ मनाया गया और दुनिया के कोने कोने से वर्तमान डिजिटल युग में अपने परिवार वालों से वीडियो कॉलिंग से बात कर परिवार को एकजुटता की बधाई दी और भारत में रहने वालों ने भी रविवार होने से परिवार दिवस का लुत्फ़ बड़ी शिद्दत के साथ उठाया और परिवार के साथ घूमकर,वार्तालाप कर, घर में पारिवारिक फंक्शन कर एक दूसरे की खुशियों में शरीक हुए तथा अन्य शहरों में जॉब करने वाले पारिवारिक सदस्य भी इस दिन अपने घर परिवार से मिलने फ्लाइट, ट्रेन या निजी साधनों से अपने शहर गांव आकर परिवार से मिलकर अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस को मना कर बहुत इंजॉय किए। इसलिए आज हम इस खुशियों के यादगार बीते दिन पर इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, परिवार के अभाव में मानव समाज के संचालन की कल्पना असंभव है।
साथियों बात अगर हम परिवार की करें तो, परिवार मानव समाज की एक बुनियादी तथा सार्वभौमिक इकाई हैपरिवार के अंतर्गत माता पिता, पति पत्नी और उनके बच्चों का समूह माना जाता है। परिवार सामाजिक जीवन की निरंतरता, एकता एवं विकास के लिए आवश्यक कार्य करता है। प्रत्येक समाज में परिवार ही शिशु के जन्म और भरण पोषण का दायित्व निभाता हैं। परिवार का प्रमुखउत्तरदायित्व है शिशु को संस्कार देना और समाज के आचार व्यवहार और नियमों में दीक्षित करना।परिवार से ही परिवार के सदस्यों की सामाजिक मर्यादा और सीमा निर्धारित होती है। परिवार चाहे पितृ सत्तात्मक हो या मातृ सत्तात्मक, एक परिवार में पति- पत्नी को अतिरिक्त सदस्यता प्रदान की जाती है। युगल या एकाकी परिवार में पति, पत्नी मिलकर अपनी अलग घर- गृहस्थी बसाते हैं। परंतु अधिकांशत: का समाज में परिवार वृहत्तर कौटुंबिक समूह का अंग ही माना जाता है। अमेरिका जैसे उद्योग प्रधान देश में युगल या एकल परिवार की बहुलता है। वहां संयुक्त एवं बड़े परिवार ना के बराबर है। संयुक्त परिवारों में पति, पत्नी के अतिरिक्त उनके विवाहित बच्चे और उनकी संतान, विवाहित भाई-बहन और उनके बच्चे एक साथ रह सकते हैं।
साथियों बात अगर हम भारतीय परिवार की करें तो भारतीय परिवार में परिवार की मर्यादा और आदर्श परंपरागत है। एक गृहस्थ जीवन की जितनीपवित्रता, स्थाईपन और पति-पत्नी पिता- पुत्र और भाई- बहन के जितने अधिक व स्थाई संबंधों का उदाहरण भारतीय परिवार में है, विश्व के अन्य किसी समाज में नहीं है। भारतीय परिवार में विभिन्न क्षेत्रों, धर्म, जातियों में संपत्ति के अधिकार, विवाह और विवाह-विच्छेद की प्रथा की दृष्टि से कई अंतर पाए जाते हैं लेकिन फिर भी संयुक्त परिवार का आदर्श भारत मेंसर्वमान्य है। साथियों बात अगर हमअंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 2023 की थीम की करें तो,यूएन की थीम परिवार और जनसांख्यिकी परिवर्तन, जिसका मकसद जनसंख्या में होने वाले महत्वपूर्ण बदलाव और परिवारों पर उनके प्रभाव को लेकर ध्यान केंद्रित करना है।अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस का मकसद परिवार के महत्व पर जोर देना है। आज की दुनिया में अधिकतर लोग अपने घर और परिवार से दूर रहते हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है। परिवारों के महत्व को याद दिलाने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाता है। ये परिवार ही हैं, जो समाज की नींव होते हैं।आज की दुनिया मेंअधिकतर लोग अपने घर और परिवार से दूर रहते हैं। ऐसे लोगों से जब उनके जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिनों के बारे में पूछा जाता है, तो वे अपने जीवन के शुरुआती सालों के सबसे अच्छा बताते हैं, जब वे अपने परिवारों के साथ रहा करते थे। ये हमारा परिवार ही है, जो हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होना चाहिए और इसलिए उनके महत्व को निरंतर याद रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाना चाहिए।
साथियों बात अगर हम परिवार दिवस को रोज़, साप्ताहिक, मासिक मनाने की करें तो, माता-पिता के रूप में, हम अपने बच्चों को जीवन में सबकुछ सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं और निरंतर इसी कोशिश में जुटे रहते हैं। वहीं कई अध्ययनों से पता चलता है कि परिवारिक माहौल का बच्चे की सफलता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। एक पारिवार में जितना सकारात्मक और स्थिर वातावरण होता है,बच्चों केमानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस को मनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम उन सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय मुद्दों के बारे में जानें, जो दुनिया भर के परिवारों को प्रभावित करते हैं और हम खुद को किस तरह से इन परिस्थितियों में मजबूत बना सकते हैं। इस दिवस पर, हमको और हमारे परिवार को अपनी सभी परंपराओं का जश्न मनाना चाहिए, जिन्हें सालों से हम अपने पूर्वजों को करते हुए देखते आए हैं। ऐसी कई कहानियां, यादें और अनुभव साझा करें, जिन्हें आप अपने परिवारों के साथ बिताते आए हैं जो इस वर्ष कई लोगों ने किए। कुछ लोग जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण पहलू यानी परिवार को ही सबसे ज्यादा हल्के में लेते हैं। इसलिए इस दिन का उपयोग अपने माता-पिता, भाई-बहनों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उनकी प्रशंसा करके मनाएं। क्योंकि ये हमारा परिवार ही है, जिन्होंने समय-समय पर हमको ढेर सारा स्नेह और समर्थन दिया है। 2023 का अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस परिवारोंपरजनसांख्यिकीय रुझानों के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया गया।परिवारों पर जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों का प्रभाव पर पृष्ठभूमि पत्र का विमोचन हुआ। वर्ल्ड सोशल रिपोर्ट 2023 की प्रस्तुति लीविंग नो वन बिहाइंड इन ए एजिंग वर्ल्ड,इंटरजेनरेशनल इक्विटी और एकजुटता पर प्रस्तुति हुई, जनसांख्यिकी प्रवृत्तियों के जवाब में नीतियों की सिफारिशों का अवलोकन आईटवाईएफ+30 के लिए नागरिक समाज की पहल की प्रस्तुति हुई।दर्शकों की भागीदारी के साथ इंटरएक्टिव चर्चा हुई।
साथियों बात अगर हम परिवार के महत्व की करें तो, एक व्यक्ति के जीवन में परिवार का अपना अलग महत्व होता है। भारत समेत दुनिया में ऐसे कई देश मौजूद हैं, जहां आज भी फैमिली कल्चर फॉलो किया जाता है। दुख-सुख हो या जीवन का कोई कठिन पड़ाव परिवार का साथ एक व्यक्ति को आगे बढ़ने की हिम्मत देता है। जीवन में परिवार की इसी अहमियत के प्रति लोगों को जागरूक करने से मकसद से हर साल मई में परिवार दिवस मनाया जाता है।यह दिन समाज के लिए परिवार के महत्व पर जोर देता है। अगर हमारा परिवार मजबूत होगा तो हमारी संस्थाएं और समुदाय भी मजबूत होंगे। एक खुशहाल परिवार एक वास्तविक दुनिया का उदाहरण भी प्रदान करता है कि कैसे मानव परिवार दुनिया को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम कर सकता है। परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है। मानव समाज के संचालन की कल्पना परिवार के अभाव में असंभव है। एक समाज में प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी परिवार का सदस्य होता है। परिवार से अलग एक व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं होता। परिवार समाज की मौलिक इकाई है। हमारी सभ्यताएं, संस्कृति में चाहे जितने भी परिवर्तन हो, लेकिन परिवार एक ऐसी संस्था है जिसके अस्तित्व पर कभी कोई आंच नहीं आई। परिवार के स्वरूप और उसके मूल्य में भले ही परिवर्तन हुआ हो, भले ही परिवार बनकर टूट गए हो लेकिन परिवार के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है। आज हम आधुनिक विचारधारा से चाहे जितने भी प्रभावित हो लेकिन आज भी अपने संबंधों को विवाह संस्था से जोड़कर परिवार बनाने में ही संतोष का अनुभव करते हैं। साथियों बात अगर मैं अपने खुद के संयुक्त परिवार की करूं तो, परिवार से बड़ा कोई धन नहीं इस बात की पुष्टि होती है मेरा मानना है कि इसका ताजा उदाहरण अभी कोविड-19 त्रासदी में पीड़ित परिवारों, जिनके परिवार के सदस्यों को महामारी ने निगल लिया उनसे बात करेंगे और जिनके परिवार इस त्रासदी में मृत्यु के कारण टूटे वो हमें दिल से बताएंगे कि परिवार क्या होता है! उसका सुख क्या होता है!क्योंकि इसका एक उदाहरण मैं भी हूं हमारा आज भी संयुक्त परिवार है परंतु मेरे माता-पिता और छोटी बहन की मृत्यु के कारण हमारे संयुक्त परिवार में हर पल उनकी कमी महसूस होती है, उनकी कमी दिल को छू गई है जीवन नीरस लगने लगा है। यह है संयुक्त परिवार का सिदक जहां एक परिवार के एक मेंबर की कमी दिल को छू जाती है।
साथियों बात अगर हम, परिवार की खूबसूरती और उसके गुणों की करें तो, परिवार एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है और जिसके समस्त सदस्य आपस में मिलकर अपना जीवन प्रेम,स्नेह एवं भाईचारा पूर्वक निर्वाह करते हैं। संस्कार, मर्यादा, सम्मान, समर्पण,आदर, अनुशासन आदि किसी भी सुखी संपन्न एवं खुशहाल परिवार के गुण होते हैं।कोई भी व्यक्ति परिवार में ही जन्म लेता है, उसी से उसकी पहचान होती है और परिवार से ही अच्छे-बुरे लक्षण सीखता है। परिवार सभी लोगों को जोड़े रखता है और दुःख-सुख में सभी एक-दूसरे का साथ देते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे वर्मा का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 15 मई 2023 भारत में शिद्दत और सम्मान से मनाया गया विश्व में भारतीय परिवार जितनी पवित्रता, स्थाईपन अन्य किसी समाज में नहीं।आओ स्थाई फैमिली कल्चर को फॉलो करने का संकल्प लेकर इस भारतीय संस्कृति, परंपरा और सभ्यता की ख़ुशबू पीढ़ियों तक फैलाएं।
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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट
किशन सनमुख़दास भावनानी
गोंदिया महाराष्ट्र
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