सिखाया जिंदगी ने बिन किताब
April 19, 2023 ・0 comments ・Topic: poem Veena_advani
सिखाया जिंदगी ने बिन किताब
खुद से अधिक किसी ओर को चाहनाहोता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
खुद को हर पल नज़र अंदाज़ कर जाना
दूजों के आगे हर पल बेगुनाह
होकर भी झुक जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
खुद कि तमन्नाओं का गला
हर वक्त घोंट जाना
दूजे के लिए खुद को ही
बदल जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
दर्द ए खामोशी को भीतर ही
दबाते चले जाना
दूजों कि दहाड़ों को सुन बस
डर दुबक जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
पापी है जानते हुए भी पाप के
लिए मुंह ना खोल पाना
पापी के पाप में होता भागीरथी
ये भी था समझाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
जिंदगी सिखाए इतना अधिक
कलम तुझे ये तराना
तेरी पहचान हैं हसीं इसे देख
भी ना खुश हो जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
वक्त आएगा तेरा दिल को ये
कह बस तसल्ली दिलाना
जितनी चोट दी , दुगनी उसे एक
दिन जरूर मिलेगी ये सोच जाना।।
होता है खुद कि नज़र मे खुद
के ही गुनहगार कहलाना।।
About author
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.