भावनानी के भाव
हे परवरदिगार मेरे मालिक
मैंने कहा गुनहगार हूं मैं
उसने कहा बक्ष दूंगा
मैंने कहा परेशान हूं मैं
उसने कहा संभाल लूंगा
मैंने कहा अकेला हूं मैं
उसने कहा साथ हूं मैं
मैंने कहा उदास हूं मैं
उसने कहा हर वक्त तेरे पास हूं
मैंने कहा हरदम सुखी रहूं मैं
उसने कहा अच्छे कर्म कर साथ हूं मैं
मैंने कहा धन दौलत का धनी बनूं मैं
उसने कहा मेहनत कर विकार छोड़ तेरे साथ हूं मैं
मैनें कहा निरोगी काया मन मस्त रहूं मैं
उसने कहा भ्रष्टाचार कालीकमाई छोड़ साथ हूं मैं
मैंने कहा तेरे चरणों की सेवा करता रहूं मैं
उसनेकहा मातापिताआचार्य देवोभव:फिर तेरे साथ हूं मैं
मैंने कहा सबकुछ तेरा कुछना मेरा मेरे माधव जी
उसने कहा नेक काम में लगा तेरे साथ हूं मैं
मैंने कहा तेरे दर्शन दीदार कर तेरे चरणों में रहूं मैं
उसने कहा मन में झांक उसमे बैठा हूं मैं
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