मिलावट पर कविता | milawat par kavita
February 01, 2023 ・0 comments ・Topic: Nandini_laheja poem
मिलावट
महंगाई ने जन्म दिया मुझको,जमाखोरी ने दी पहचान।
भ्रष्टाचार की हूँ लाड़ली मैं,
मिलावट है मेरा नाम।
खरे को खरा न रहने दूँ मैं,
गर पास जो उसके आ जाऊं।
शुद्धता से हैं बैर जो मेरा,
बस उसको मैं मिटाना चाहूँ।
व्यापारियों से गोद लिया प्रेम से मुझे,
पलकों पर अपनी बिठाया।
मुनाफा जो स्वप्न बन गया था,
मेरे पास होने से खूब कमाया
कहीं अनाज में कंकड़,
कहीं दूध में पानी।
मिर्च में चूरा ईंट का तो,
प्लास्टिक मिले चावल की,
सभी जानते हैं कहानी।
मेरा वर्चस्व केवल, यहाँ तक न सिमित,
मैं मिलावट तो मानव, तुझमें भी हूँ भरमाई।
कभी व्यक्तित्व में मैं, बनती आवरण तेरा,
कभी हृदय में बन, कुटिलता मैं समायी।
About author
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
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