जीवन जीने की कला| jeevan jeene ki kala

जीवन जीने की कला।

जीवन जीने की कला,
जिसने सीखी, वही आगे चला,
उत्कृष्ट व्यवहार एवं विनम्रता,
रखने वाला ही जीवन को सही मायने में समझता।

जीने का तरीका,
साथ रहने का सलीका,
हर पड़ाव को पार कर,
संयम से जिए जिंदगी भर।

मन में हो सकारात्मकता,
हो स्वयं में पूर्ण रूप से सहजता,
खुशियों से भरा हो हर महीना,
आज मैं पूरी तरह से आजाए जीना।

ह्रदय में ना हो मनमुटाव,
सोच सोच कर ना बढ़ाए कोई घाव,
ना करे किसी की निंदा और आलोचना,
अपने जीवन को सही कर्मों से सँजोना।

कौन क्या करता है वह उसका व्यवहार,
ना भूले हम स्वयं के संस्कार,
हमारी अमूल्य जीवन को अपने हाथों से ऐसा लिखें,
कि हमारी जीवनी से हर कोई अच्छी सीख ले ।।

About author 

डॉ. माधवी बोरसे अंतरराष्ट्रीय वक्ता
डॉ. माधवी बोरसे
अंतरराष्ट्रीय वक्ता
स्वरचित मौलिक रचना
राजस्थान (रावतभाटा)

Comments