Imandari par lekh
February 01, 2023 ・0 comments ・Topic: kishan bhavnani lekh
आओ ईमानदारी को व्यक्तित्व रूपी आभूषण बनाएं
भ्रष्टाचार, फरेब, अन्याय, धोखे सहित गलत स्त्रोतों से कमाया गया धन, बीमारी दुखों क्लेश के माध्यमों से ब्याज सहित परिवार कुल का नाश करते हुए निकल जाता है - एडवोकेट किशन भावनानीगोंदिया - सृष्टि रचनाकर्ता ने सृष्टि में मानवीय जीव की रचना कर उसके मस्तिष्क में बौद्धिक क्षमता रूपी खान का ऐसा अणखुट खजाना भर दियाहै जिसमें अन्य 84 लाख़ योनियों को अलग रखा और यह जीव मानवीय योनि में जन्म लेकर अपने परिवार मोहल्ले समाज शहर के खूबसूरत माहौल में अपना बचपन बिताता है तो उसे हमारे बड़े बुजुर्ग ईश्वर अल्लाह का रूप मानतेहैं।मेरा मानना है और यह सर्वविदित भी है कि बच्चे झूठ, फरेब, बेईमानी इत्यादि अवगुणों से दूर स्वच्छ, स्वस्थ वातावरण में अपना बालपन जीवन व्यतीत करते हैं जब बचपन से निकलकर बौद्धिक समझदारी में आते हैं उन्हें आकर्षित करने वाली अनेक चीजों में से एक धन है। जिसकी चाहना बल्यपन से निकलने पर ही आने लगती है और यहीं से कुदरत द्वारा दी गई अद्भुत अनमोल बौद्धिक क्षमता पर भ्रष्टाचार और लालच की नकारात्मक सोच हमला करती है जिसनें उसे ईमानदार और आत्म सम्मान रूपी अस्त्र से इनअवगुणों को काट दिया उसका संपूर्ण जीवन सफ़ल हो जाता है और जो इसके घेरे में आ गया वह परिवार कुल सहित दुखों का भागीदारी बन जाता है जिसका मूल कारण गलत स्त्रोतों से कमाया गया धन है। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से भ्रष्टाचार फरेब अन्याय धोखे सहित गलत स्त्रोतों से कमाए गए धन के दुखद परिणामों और ईमानदारी आत्म सम्मान से लाभकारी परिवारों की चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम गलत स्त्रोतों से कमाए गए धन की करें तो श्लोकों में आया है। अन्यायोपार्जितं वित्तं दस वर्षाणि तिष्ठति।प्राप्ते चैकादशेवर्षे समूलं तद् विनश्यति।।
अर्थ- अन्याय या गलत तरीके से कमाया हुआ धन दस वर्षों तक रहता है। लेकिन ग्यारहवें वर्ष वह मूलधन सहित नष्ट हो जाता है।...अन्यायोपार्जितं वित्तं दस वर्षाणि तिष्ठति।
प्राप्ते चैकादशेवर्षे समूलं तद् विनश्यति।।...आचार्य चाणक्य अपने इस श्लोक में कहते हैं कि ऐसे गलत तरीकोंसे कमाया गया पैसा बमुश्किल 10 साल तक ही रहता है, इसके बाद 11वें वर्ष से ही ऐसा पैसा धीरे-धीरे नष्ट होने लगता है, इसलिए व्यक्ति को कभी भी अनैतिक तरीके से पैसा नहीं कमाना चाहिए क्योंकि उसे बुरे कर्मों का फल भी झेलना पड़ता है और कुछ समय बाद ऐसे धन नष्ट भी हो जाता है, फिर चाहे वजह कोई दुर्घटना, बीमारी, नुकसान या अन्य कारण हो। बेहतर होगा कि ईमानदारी से पैसा कमाएं और उसका एक हिस्सा दान में दें, इससे आपके घर में हमेशा बरकत रहेगी और आप दिन-दूनीरात-चौगुनीतरक्की करेंगें।
साथियों बात अगर हम चाणक्य नीति की करें तो, उसके अनुसार पापकर्म द्वारा या किसी को कष्ट और क्लेश पहुंचाकर कमाया पैसा अभीशापित होकर मनुष्य का नाश कर देता है। इस धन के प्रभाव से सज्जन पुरुष भी पाप की और बढ़ने लगते हैं। इसलिए ऐसे पैसाें से बचना चाहिए, वरना जल्दी ही कुल सहित उस इंसान का नाश हो जाता है। आचार्य चाणक्य बताते हैं कि ऐसा धन दस साल से ज्यादा नहीं टिक पाता। उसके बाद दुगना खर्चा बीमारी या नुकसान होकर ऐसा पैसा चला जाता है।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार जैसे गलत स्त्रोतों से कमाए गए धन के परिणामों की करें तो हम इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में भ्रष्टाचारियों के अनेक दुखद नकारात्मक परिणामों के बारे में पढ़ते सुनते रहते हैं परंतु मेरा यह निजी और व्यक्तिगत रूप से अपने साथियों दोस्त अफसरों के अनुभव की जानकारी रेखांकित किया हूं कि जो भ्रष्टाचार करता है वह अपने जीवन में कभी सुखी नहीं रहता उसके परिवार, बच्चे कुल में संकटों का पहाड़ किसी न किसी रूप में गिरता ही रहता है और सबसे बड़ी बात, कि मां लक्ष्मी चंचल होती हैं, यदि गलत तरीकों से धन कमाया गया तो मां लक्ष्मी नाराज होकर चली जाती हैं,अनैतिक तरीकों से चोरी, धोखे, अन्याय, जुआ आदि के जरिए कमाया गया धन हमेशा साथ नहीं रहता है।
साथियो हमने देखे होंगे कि भ्रष्टाचारियों के पास धन अधिक समय तक नहीं रहता वह निकल जाता है सुबह नहीं तो शाम निकलता जरूर है जिसकी परिणति हम बड़े बड़े ऑफिसरों नेताओं ऊपर ईडी, आईटी, सीबीआई की रेड से करोड़ों रुपए के धन की बरामदगी के रूप में किससे मीडिया में देखते सुनते रहते हैं।
साथियों बात अगर हम धन को बचाने की करें तो, धन कमाने से कई ज्यादा मुश्किल काम होता है धन को बचाकर रखना। कुछ लोग कम पैसे कमाने के बाद भी अपने लिए अच्छा खासा धन जोड़कर रख लेते हैं वहीं कुछ लोग बहुत पैसा कमाने के बाद भी ऐसा नहीं कर पाते।आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में धन से जुड़ी कई बातें बताई हैं। जिन्हें अपनाकर हम अपने धन को नष्ट होने से बचा सकते हैं। इन नीतियों से धन को इस्तेमाल करने का सही तरीका जाना जा सकता है। साथ ही इस बात की भी जानकारी मिल जाती है कि हम कैसे पैसों की बचत कर सकते हैं।
साथियों बात अगर हम धन को लेकर 10 बातों की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दी गई चाणक्य नीति के अनुसार (1)धन की बचत करना (2) धन का सकारात्मक सम्मान (3) समृद्धि के साथ रहवास (4) धन जीवन की परीक्षा बोधक है (5) धन का मोह नहीं करना चाहिए (6) धन का सम्मान करना चाहिए (7) बेवजह धन खर्च ना करनाचाहिए (8) धन के सम्मान संबंधी लक्ष्मी मां की परीक्षा (9) धन कादिखावा रोकना नवा सकारात्मक कौशल से धन का उपयोग स्वस्थ (10) स्वस्थ स्त्रोतों को से धन आगमन सूचक शैली अपनाना।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ ईमानदारी को व्यक्तित्व रूपी आभूषण बनाएं।।ईमानदारी और आत्म सम्मान मानवीय जीवन के दो अनमोल हीरे मोती हैं। भ्रष्टाचार फरेब अन्याय धोखे सहित गलत स्त्रोतों से कमाया गया धन बीमारी दुख कलेश के माध्यमों से ब्याज सहित परिवार कुल का नाश करते हुए निकल जाता है।
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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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