कविता: भारतीय संस्कृति में नारी | bharatiya sanskriti me naari

February 17, 2023 ・0 comments

 भावनानी के भाव

कविता:भारतीय संस्कृति में नारी 

भारतीय संस्कृति में नारी | bharatiya sanskriti me naari
भारतीय संस्कृति में नारी 
लक्ष्मी सरस्वती पार्वती की रूप होती है
समय आने पर मां रणचंडी दुर्गा, 
काली का स्वरूप होती है

नारी ऐसी होती है जो सभी 
रिश्तो को एक धागे में पिरोती है
मां बहन पत्नी बेटी बन
हर रिश्ते को संजयोती है

मत समझ अब अबला
नारी सबला होकर जीती है
हर क्षेत्र में नारी आगे
भारत कि अब यह नीति है

सम्मान करो नारी का वो 
ममता प्यार वात्सल्य का स्वरूप होती है
अपमान न करना नारी का 
आज की नारी सबला होती है

कौन कहता है इस युग में
नारी अबला होती है
आज की दुनिया में 
नारी सबला होती है

करुणा दया नम्रता ममता से
उसकी परख होती है
इसका मतलब यह ना समझना
वह कमजोर होती है

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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

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