परमात्मा | Paramatma

January 24, 2023 ・0 comments

परमात्मा 

तुम, जो सदा संग रहते हो मेरे,
भले नहीं दिखते हो प्रत्यक्ष।
पर फिर भी सदा ,
साथ रहने का अहसास कराते हो।
जीवन में अनेक मोड़ आये,
कभी सुख तो कभी दुःख आये।
उस हर इक मोड़ पर, 
तुम सिर्फ तुम मेरे साथी बन जाते हो।
मानव हूँ मैं, करता हूँ सदैव कुछ गलतियां।
वह गलतियां गुनाह न बने,
बनकर मेरे अंतर्मन की आवाज़ 
तुम सिर्फ तुम मुझे सही राह दिखाते हो।
कर्म करते करते थक सा जाता हूँ मैं।
अपनों पर फिर कभी, झल्ला जाता हूँ मैं।
चाहता हूँ जब कुछ सुकून के पल,
तुम सिर्फ तुम मुझे शांत कर जाते हो।
तुम सिर्फ तुम हो वो परम पिता "परमात्मा"
जो हम सब को कभी अकेला नहीं छोड़ते,
कभी माता पिता तो कभी मित्र बन जाते हो।

About author

नंदिनी लहेजा | Nandini laheja
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

Post a Comment

boltizindagi@gmail.com

If you can't commemt, try using Chrome instead.