Mata-pita par kavita
January 19, 2023 ・0 comments ・Topic: kishan bhavnani poem
माता-पिता में ही ईश्वर अल समाया है
माता-पिता में ही ईश्वर अल् समाया हैहजारों पुण्य फल माता-पिता सेवा में समाया है
सारे एरोथ बार के समान
माता पिता की सेवा एक बार है
माता पिता मेरे ईश्वर अल्लाह
यही जमीन मेरी और आकाश हैं
वह स्वयं मेंरे और भगवान हैं
माता पिता के चरणों में सारा जहां है
माता-पिता हर घर की शान है
उनका सब कुछ क्षम्य है
माता पिता है तो समाज में नाम है
हमारे लिए वह मनुष्य नहीं ईश्वर अल्लाह है
माता-पिता से ही मेरी पहचान है
दुनिया में बस यह दोनों ही महान
को मुझे कुछ नहीं चाहिए यह मेरे सब कुछ है मैं वे मुझसे
बहुत खुश हैं
जानवर से भी बदतर है जिसने
माता-पिता की
अनदेखी करने वाले हैं जिनके ऊपर
अभी भी माता-पिता दृष्टि मान है
ईश्वर अल्ला से विनती मेरी है
माता पिता के साथ स्थिर रखना मेरे पल
समय का चक्र है पर दो अचल
माता पिता के चरणों में रखना ना निकलूं आज ना कल
लेखक के बारे में
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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