भारत अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी 2024 तक नए आयामों का इतिहास रचे
आओ भारत अमेरिका वैश्विक साझेदारी से मानव कल्याण का इतिहास रचेंभारत विश्व की महाशक्तियों के बीच शांति, सहयोग और विकास के मध्यस्तक की भूमिका वाली महाशक्ति के रूप में उभरने की ओर अग्रसर - एडवोकेट किशन भावनानीगोंदिया - वैश्विक स्तरपर पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी के भयंकर प्रकोप से वैश्विक राजनीतिक के सभी क्षेत्रों को नए आयामों की ओर ले गया है, क्योंकि इस महामारी ने हर देश को आर्थिक रूप से झकझोर दिया है तथा भारी तादाद में मानवीय हानि को भी रेखांकित किया गया है,जहांवैश्विक महाशक्तियों के तेवर थोड़े ढीले पड़े हैं वही भारत कीवैश्विक प्रतिष्ठा अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है। क्योंकि आज वैश्विक मंचों पर भारत बुलंद आवाज़ में अपनी बातें रख रहा है। या यूं कहें कि आज वैश्विक महाशक्तियों के बीच भारत भी एक महाशक्ति बनकर उभरा। जी-20 की अध्यक्षता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, यही कारण है तमाम विकसित देशों से वैश्विक मंचों का ध्यान भारत पर आकर्षित किया है और उनकी बॉडी लैंग्वेजेस से भारत के प्रति अति सम्मान और प्रतिष्ठा में उछाल आया है जिससे मूल भारतीयों की भी पूछ परख बड़ी है,जिसके परिणाम हम ब्रिटेन के पीएम अमेरिका की उपराष्ट्रपति या फिर अन्य देशों के मुख्य पदों पर मूल भारतीयों के रूप में देख सकते हैं। भारत के रूस के साथ हमेशा से प्रगाढ़ संबंध रहे हैं परंतु अभी रूस-यूक्रेन युद्ध में जिस प्रकार भारत की भूमिका निष्पक्षता से रही है, वैश्विक मंचों में भारत वोटिंग से अब्सेंट रहा है तथा मध्यस्थता की भूमिका में भारत का नाम आगे चल रहा है उसके लिए हमें अब अमेरिका के साथ भी, दो कदम आगे बढ़ा कर आगे आना होगा और 2024 तक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को प्रगाढ़य बनाकर मानव कल्याण के लिए काम करने को रेखांकित करना समय की मांग हो चली है। चूंकि कुछ समय से अमेरिका के साथ भारत की सकारात्मक पहल हो रही है इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से भारत अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को 2024 तक प्रगाढ़य करने पर चर्चा करेंगे ताकि मानव कल्याण का इतिहास रचा जा सके।
साथियों बात अगर हम भारत और अमेरिका की करें तो भारत विश्व का सबसे बड़ा और अमेरिका सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश है। अमेरिका में मूल निवासियों की काफी लंबी तादाद है पिछली बार भारतीय पीएम के अमेरिका दौरे पर हम ट्रंप और भारतीय पीएम की केमिस्ट्री, वहां के मूल भारतीयों का उत्साह जोश देख चुके हैं।वैसे वर्तमान राष्ट्रपति जो बिडेन का भी रुझान भारत के प्रति सकारात्मक रहा है। भारतीय पीम के प्रति उनकी बॉडी लैंग्वेजेस बताती है कि दोनों काफी अच्छी दोस्ती में सकारात्मक अंजाम की ओर बदलने में आतुर हैं, जिसे 2024 तक धरातल पर लाने की ज़रूरत है, जिससे दोनों देशों के साथ पूरे विश्व के लोक कल्याण का एक इतिहास रचा जा सकता है।
साथियों बात अगर हम भारत अमेरिका संबंधों और द्विपक्षीय वैश्विक राजनीतिक साजिदारी की करें तो, 21वीं सदी में विश्व व्यवस्था को आकार देने के लिए भारत और अमेरिका के बीच संबंध महत्वपूर्ण हैं। सहयोग की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए, दोनों सरकारों को अब अधूरे समझौतों को अंतिम रूप देने और व्यापक रणनीतिक वैश्विक साझेदारी के लिए पाठ्यक्रम निर्धारित करने के लिए काम करना चाहिए। इस संबंध को फलने-फूलने के लिए विभिन्न राजनयिक विकल्पों के साथ निरंतर पोषित किया जाना चाहिए भारत-यू.एस. साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हितों के बढ़ते अभिसरण के आधार पर द्विपक्षीय संबंध एक वैश्विक रणनीतिक साझेदारीके रूप में विकसित हुए हैं। ऐतिहासिक रूप से, यू.एस. ने भारत की शक्ति के विकास के लिए एक द्विपक्षीय दृष्टिकोण बनाया। एक ओर, इसने भारतीय स्थिरता को महत्व दिया और उन पहलुओं को बढ़ावा दिया जो इसके बड़े हितों की सेवा करते थे। यह उस समय अमेरिका की उदारता की व्याख्या करता है जब विकास कार्यक्रमों की बात आती है जब हमारे राजनीतिक संबंध अपने सबसे अच्छे रूप में नहीं थे। जब 1962 जैसी गंभीर चुनौतियां थीं, तो अमेरिकी नीति निर्माता वास्तव में हमारे भविष्य को लेकर चिंतित थे। लेकिन दूसरी ओर, उन्होंने हमारे क्षेत्रीय प्रभुत्व को बेअसर करने के लिए काम किया, विशेष रूप से पड़ोसी मुल्कके साथ कुछ समानता सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की। भारत-अमेरिका संबंध द्विपक्षीय सहयोग साझा करते हैं। यह व्यापक-आधारित औरबहु-क्षेत्रीय है, जिसमें व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, उच्च-प्रौद्योगिकी, असैनिक परमाणु ऊर्जा,अंतरिक्षप्रौद्योगिकी और अनुप्रयोग, स्वच्छ ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि और स्वास्थ्य शामिल हैं। अमेरिका भारत का सबसे व्यापक रणनीतिकसाझेदार है और दोनों के बीच सहयोग कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। वर्तमान परिदृश्य में, भारत-अमेरिका संबंध बहुत करीबी और अच्छे हैं। वास्तव में, भारत और अमेरिका एक साथ कई आयोजनों और सम्मेलनों में भाग लेते हैं और कई मुद्दों पर एक साथ खड़े होते हैं जैसे कि आतंकवाद का मुकाबला और दोनों आमतौर परपाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम के प्रति अविश्वास साझा करते हैं। भारत और अमेरिका अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक दूसरे के साथ अपने विश्वास और दोस्ती का प्रदर्शन करते रहते हैं।
साथियों भारत में नई सरकार द्वारा विकास और सुशासन पर जोर देने से द्विपक्षीय संबंधों को फिर से मजबूत करने और नए आदर्श वाक्य चलें साथ साथ: फॉरवर्ड टुगेदर वी गो के तहत सहयोग बढ़ाने का नया अवसर पैदा हुआ है, जिसे भारतीय पीएम के पहले शिखर सम्मेलन के बाद 30 सितंबर 2014 को वाशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ अपनाया गया था।उच्च स्तरीय राजनीतिक यात्राओं के नियमित आदान-प्रदान ने द्विपक्षीय सहयोग को निरंतर गति प्रदान की है, जबकि व्यापक और निरंतर विस्तारित संवाद वास्तुकला ने भारत-यू.एस. के लिए एक दीर्घकालिक ढांचा स्थापित किया है।आज भारत यू.एस.द्विपक्षीय सहयोग व्यापक आधारित और बहु-क्षेत्रीय है, जिसमें व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, उच्च-प्रौद्योगिकी, असैनिक परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोग, स्वच्छ ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि और स्वास्थ्य शामिल हैं।
साथियों बात अगर हम भारत अमेरिका संबंधों में चुनौतियों की करें तो ईरान और रूस से रियायती तेल आयात, अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकियों के बावजूद रूस निर्मित एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली का सौदा, कुछ हद तक पाकिस्तान अमेरिका संबंध हालांकि अभी थोड़ी तनखी आई है, अमेरिका ने भारत को सामान्यकृत वरीयता प्रणाली (जीएसपी) कार्यक्रम से हटाना, डब्ल्यूटीओ विवाद, भारत का अमेरिका की प्राथमिक निगरानी सूची (आईपीआर) में शामिल होना, भारत के आंतरिक मुद्दों में नकारात्मक दृष्टिकोण, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने भारत को विशेष चिंता वाले देश (सीपीएस) के रूप में वर्गीकृत करनेकी सिफारिश इत्यादि जिसेद्वपक्षीयय बातचीत में सुलझाना कोई बड़ी बात नहीं है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी 2024 तक नए आयामों का इतिहास रचे। आओ भारत अमेरिका वैश्विक साझेदारी से मानव कल्याण का नया इतिहास रचें। भारत विश्व की महाशक्तियों के बीच शांति, सहयोग और विकास के मध्यस्तक की भूमिका वाली महाशक्ति के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है।
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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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