मेला तोना , मेला बाबू | kavita- mela tona, mela babu
December 12, 2022 ・0 comments ・Topic: poem Veena_advani
मेला तोना , मेला बाबू
देखो-देखो ये क्या हो रहा हैमेला तोना , मेला बाबू तलन
(चलन)में युवा खो रहा है।।
मेला मीत्था(मीठा) , मेला थथ्था
(खट्टा) शब्द उपयोग हो रहा है।।
देखो-देखो ये क्या हो रहा है।।२।।
तुतलाती भाषा में बोल युवा आज
एक-दूजे में कितना खो रहा है
भूले सालों का प्यार , मां-बाप का
आज अपने सोना-बाबू के लिए
दर्द दे मां-बाप को छोड़ रहा है।।
देखो-देखो ये क्या हो रहा है।।२।।
भूल जात-धर्म संस्कार अपने युवा
भरी जवानी में , संग भी सो रहा है
अवैधरिश्ते कि सूली पर चढ़ा नवजात
आवारा कुत्तों का निवाला हो रहा है।।
देखो-देखो ये क्या हो रहा है।।२।।
कितने अवैध रिश्तों से पनपे बीज
दुनिया से दुत्कार पाकर रो रहा है
दुत्कार पा सभी से , गलत राह चल
अपराध का बीज नफरत से बो रहा है।।
देखो-देखो ये क्या हो रहा है।।२।।
मानव अधिकार दिवस के दिन आज
अवैध बीज हक के लिए रो रहा है।।
उसे सम्मान से जीने दो दुनिया वालों
युवाओं कि खता में चिराग खो रहा है।।
देखो-देखो ये क्या हो रहा है।।२।।
देखो मेला तोना मेला बाबू शब्दों से
भविष्य अंधकारमय हो रहा है।।
युवाओं पहचानों मां बाप के एहसास
वो पल-पल तेरे भविष्य के कितने
सुनहरे सपने संजोंय खो रहा है।।
देखो-देखो ये क्या हो रहा है।।२।।
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दर्द - ए शायरा
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