अब कहां मरने पर शोक
December 17, 2022 ・0 comments ・Topic: poem Veena_advani
अब कहां मरने पर शोक
अपनों कि मौत का अब कहां
लोग पहले सा शोक मनातेतेरहवी तक भी रूक ना पाते
प्रतिष्ठान बंद किये शोक मे दो दिन
ये भी नुकसान हुआ दो दिन आय
का , यह कह जतलाते।।
अपनों कि मौत का अब कहां
लोग पहले सा शोक मनाते।।2।।
होते दो दिन ही की सिर मुंडवाई
रस्म निभा दर्द ए जज्बात बताते
अंदर से तड़प रहे , शोक बंधन से
बस जल्द से जल्द मिलना चाहते
दिखावा सिर्फ दुख का कर जाते
हुई रस्म कि तुरंत काम पर जाते।।
अपनों कि मौत का अब कहां
लोग पहले सा शोक मनाते।।2।।
देखो रिश्तों के बंधन खोखले बताते
छल अपनों को ही पापी पाप कमाते
खाता लिख रहा भग्वान आज सबका
सुनो पाप , पुण्य इसी धरा पर सब पाते
देखो मरने वाले तुम्हें बहुत थे चाहते
किसी के जनक तो किसी के सगै
भाई बहन इस दुनिया से हैं जाते
फर्क ना पड़े उनको जो मतलब से
रिश्ते सिर्फ निभाते ।।2।।
अपनों कि मौत का अब कहां
लोग पहले सा शोक मनाते।।2।।
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दर्द - ए शायरा
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