मतदाता
साथियों बात अगर हम मतदाता की ताकत, मतदान की करें तो पिछले कई दशकों से हम देख रहे हैं कि मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत बहुत कम होता है किसी राज्य में 50 फ़ीसदी से भी कभी-कभी कम होता है। यूपी जैसे बड़े राज्य में भी 50 से 60 फ़ीसदी के आस पास होता है। मेरा मानना है कि इस बार उपरोक्त तीनों चुनाव में 90 फ़ीसदी से अधिक मतदान कर अपनी ताकत को स्थानांतरित करना है जो हम चाहते हैं उसे मतदान के माध्यम से करके दिखाना है क्योंकि हमारे मतदान का प्रतिशत जितना अधिक होगा उसी अनुरूप में हम जिस पार्टी की सरकार चाहते हैं वह हमारी चाहत पूरी होगी इसलिए हम सबको इस उत्सव में सहभागी होकर देखना है कि कोई भी मतदाता पीछे न छूटे हमें इस उत्सव रूपी यज्ञ में अपने मतदान रूपी आहुति जरूर देना है।
साथियों बात अगर हम चुनाव आयोग की करें तो भारतीय चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा का वैश्विक स्तरपर डंका है, जो हम देख चुके हैं कि वैश्विक मंचों पर चुनाव आयोग के सुझाव मार्गदर्शन हाथों हाथ लिए जाते हैं इसका उदाहरण दिया जाता है और आयोग की अनेक राज्यों में अलग-अलग स्तर पर अपने मतदान जनजागृती उत्सव, मतदान पंजीकरण - लोकतंत्र का पहला कदम जैसे अनेक कार्यक्रम चलाता है ताकि मतदाता जागरूक होकर अपनी ताकत को पहचाने।
साथियों बात अगर हम दिनांक 9 नवंबर 2022 को मुख्य चुनाव आयुक्त सहित अन्य चुनाव आयुक्त द्वारा एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंनेकहा भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जिसकी जनसांख्यिकी पूरे यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका से भी बड़ी है। लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब सभी पात्र मतदाता पंजीकृत हों, मतदाता निर्भय होकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें और चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हो। उन्होंने बताया कि आजादी के समय देश में केवल 16 प्रतिशत साक्षरता थी, फिर भी लोग मतदान करने गए। हमारे पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि देश के लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करना जानते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार वाला सबसे मजबूत लोकतंत्र है, जहां कई जगहों पर वोट डालने में महिलाओं की संख्या पुरुषों से भी ज्यादा है। भारत में युवा आबादी का प्रतिशत अधिक है, लोकतंत्र को केवल ज्यादा संख्या में युवा पात्र मतदाताओं के पंजीकरण के साथ ही मजबूत किया जा सकता है। इसलिए आयोग का लक्ष्य यह देखना है कि कोई भी युवा मतदाता पीछे न छूटे। देश के युवाओं के लिए अपने संदेश में उनसे मतदाता बनने का आग्रह किया क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, इस देश की जनसांख्यिकी को देखें। इस विशाल देश को देखें जिसमें हम साथ मिलकर रहने में यकीन रखते हैं, चर्चा में यकीन रखते हैं, और हम अपने सभी मुद्दों को सहभागी चुनावों के माध्यम से हल करने में विश्वास रखते हैं। और यह तभी संभव है जब हम मतदान करें। ताकत जो है वो मतपत्र के जबरदस्त बल के माध्यम से निर्बाध रूप से स्थानांतरित होती है। चुनाव हमें व्यवस्था की निरंतरता देता है और युवाओं और समाज में मौजूद लचीलेपन को बरकरार रखता है।सीबीसी की अतिरिक्त महानिदेशक ने कहा कि सीबीसी व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी कार्यक्रमों के तहत अपनी क्षेत्रीय और जमीनी गतिविधियों के माध्यम से भारत के चुनाव आयोग के संचार और आउटरीच अभियानों का एक अभिन्न अंग रहा है। देश भर में लगभग 150 स्थानों पर अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ, सीबीसी ने देश में विभिन्न संचार अभियानों के लिए ईसीआई के साथ मिलकर काम किया है। उन्होंने कहा कि इस संदेश को अंतिम मील तक पहुंचाने के लिए सीबीसी ने अपनी सभी संसाधनों का उपयोग किया है जिसमें देश के नागरिकों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करने के लिए दूरदराज के गांवों में लोक कलाकार मंडलियों और फील्डअधिकारियों द्वारा डेरा जमाना, युवाओं तक पहुंचने के लिए उन्नत तकनीकी घटकों का उपयोग करकेअभियान चलाना आदि शामिल है।
साथियों बात अगर हम दिल्ली में एमसीडी के चुनाव की करें तो दिल्ली में 2017 के नगर निगम चुनाव तीन नगर निगमों के लिए कराए गए थे। लेकिन केंद्र सरकार ने इस साल मई में तीनों नगर निगमों का एकीकरण कर दिया था। इसके बाद कराए गए परिसीमन में दिल्ली में वार्डों की संख्या 250 हो गई है। इनमें से 42 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मतदाता, आओ देखें कोई भी मतदाता पीछे न छूटे, मतपत्र के जबरदस्त बल के माध्यम से ताकत निर्बाध रूप से स्थानांतरित होती है सराहनीय विचार है।
आओ देखें कोई भी मतदाता पीछे न छूटे
मतपत्र के जबरदस्त बल के माध्यम से ताकत निर्बाध रूप से स्थानांतरित होती है, सराहनीय विचार - एडवोकेट किशन भावनानीगोंदिया - विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव को एक पर्व उत्सवसे लेकर त्यौहार के रूप में मनाया जाता है क्योंकि जहां चुनाव होता है वहां की चहल पहल और माहौल ऐसा होता है, मानो कोई उत्सव हो रहा है यही एक पल होता है जो मतदाता के रूप में चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के महत्व को रेखांकित करता है, क्योंकि मतदाता एक मालिक के रूप में होता है तथा सारे नेता मंत्री से लेकर पीएम तक भी जनता के सामने नतमस्तक होते हैं जो अभी निरंतर कुछ दिनों से हम टीवी चैनलों पर ग्राउंड रिपोर्टिंग देख रहे हैं। बता दें हिमाचल प्रदेश में एक चरण में 68 विधानसभा सीटों का चुनाव 12 नवंबर 2022 को, गुजरात में 1 और 5 दिसंबर 2022 को 182 सीटों और दिल्ली प्रदेश में एकीकृत एमसीडी का चुनाव 4 दिसंबर 2022 को 250 सीटों पर हो रहा है जहां की सरकारों को हम मतदाता ही बना या उलटफेर कर सकते हैं, इसीलिए हम सभी को बाहर निकल कर मतदान जरूर करना है क्योंकि मतपत्र के जबरदस्त बल के माध्यम से हम ताकत को निर्बाध रूप से स्थानांतरित कर सकतेहैं।इसीलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, आओ देखें कोई भी मतदाता पीछे ना छूटे।
साथियों बात अगर हम मतदाता की ताकत, मतदान की करें तो पिछले कई दशकों से हम देख रहे हैं कि मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत बहुत कम होता है किसी राज्य में 50 फ़ीसदी से भी कभी-कभी कम होता है। यूपी जैसे बड़े राज्य में भी 50 से 60 फ़ीसदी के आस पास होता है। मेरा मानना है कि इस बार उपरोक्त तीनों चुनाव में 90 फ़ीसदी से अधिक मतदान कर अपनी ताकत को स्थानांतरित करना है जो हम चाहते हैं उसे मतदान के माध्यम से करके दिखाना है क्योंकि हमारे मतदान का प्रतिशत जितना अधिक होगा उसी अनुरूप में हम जिस पार्टी की सरकार चाहते हैं वह हमारी चाहत पूरी होगी इसलिए हम सबको इस उत्सव में सहभागी होकर देखना है कि कोई भी मतदाता पीछे न छूटे हमें इस उत्सव रूपी यज्ञ में अपने मतदान रूपी आहुति जरूर देना है।
साथियों बात अगर हम चुनाव आयोग की करें तो भारतीय चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा का वैश्विक स्तरपर डंका है, जो हम देख चुके हैं कि वैश्विक मंचों पर चुनाव आयोग के सुझाव मार्गदर्शन हाथों हाथ लिए जाते हैं इसका उदाहरण दिया जाता है और आयोग की अनेक राज्यों में अलग-अलग स्तर पर अपने मतदान जनजागृती उत्सव, मतदान पंजीकरण - लोकतंत्र का पहला कदम जैसे अनेक कार्यक्रम चलाता है ताकि मतदाता जागरूक होकर अपनी ताकत को पहचाने।
साथियों बात अगर हम दिनांक 9 नवंबर 2022 को मुख्य चुनाव आयुक्त सहित अन्य चुनाव आयुक्त द्वारा एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंनेकहा भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जिसकी जनसांख्यिकी पूरे यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका से भी बड़ी है। लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब सभी पात्र मतदाता पंजीकृत हों, मतदाता निर्भय होकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें और चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हो। उन्होंने बताया कि आजादी के समय देश में केवल 16 प्रतिशत साक्षरता थी, फिर भी लोग मतदान करने गए। हमारे पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि देश के लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करना जानते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार वाला सबसे मजबूत लोकतंत्र है, जहां कई जगहों पर वोट डालने में महिलाओं की संख्या पुरुषों से भी ज्यादा है। भारत में युवा आबादी का प्रतिशत अधिक है, लोकतंत्र को केवल ज्यादा संख्या में युवा पात्र मतदाताओं के पंजीकरण के साथ ही मजबूत किया जा सकता है। इसलिए आयोग का लक्ष्य यह देखना है कि कोई भी युवा मतदाता पीछे न छूटे। देश के युवाओं के लिए अपने संदेश में उनसे मतदाता बनने का आग्रह किया क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, इस देश की जनसांख्यिकी को देखें। इस विशाल देश को देखें जिसमें हम साथ मिलकर रहने में यकीन रखते हैं, चर्चा में यकीन रखते हैं, और हम अपने सभी मुद्दों को सहभागी चुनावों के माध्यम से हल करने में विश्वास रखते हैं। और यह तभी संभव है जब हम मतदान करें। ताकत जो है वो मतपत्र के जबरदस्त बल के माध्यम से निर्बाध रूप से स्थानांतरित होती है। चुनाव हमें व्यवस्था की निरंतरता देता है और युवाओं और समाज में मौजूद लचीलेपन को बरकरार रखता है।सीबीसी की अतिरिक्त महानिदेशक ने कहा कि सीबीसी व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी कार्यक्रमों के तहत अपनी क्षेत्रीय और जमीनी गतिविधियों के माध्यम से भारत के चुनाव आयोग के संचार और आउटरीच अभियानों का एक अभिन्न अंग रहा है। देश भर में लगभग 150 स्थानों पर अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ, सीबीसी ने देश में विभिन्न संचार अभियानों के लिए ईसीआई के साथ मिलकर काम किया है। उन्होंने कहा कि इस संदेश को अंतिम मील तक पहुंचाने के लिए सीबीसी ने अपनी सभी संसाधनों का उपयोग किया है जिसमें देश के नागरिकों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करने के लिए दूरदराज के गांवों में लोक कलाकार मंडलियों और फील्डअधिकारियों द्वारा डेरा जमाना, युवाओं तक पहुंचने के लिए उन्नत तकनीकी घटकों का उपयोग करकेअभियान चलाना आदि शामिल है।
साथियों बात अगर हम दिल्ली में एमसीडी के चुनाव की करें तो दिल्ली में 2017 के नगर निगम चुनाव तीन नगर निगमों के लिए कराए गए थे। लेकिन केंद्र सरकार ने इस साल मई में तीनों नगर निगमों का एकीकरण कर दिया था। इसके बाद कराए गए परिसीमन में दिल्ली में वार्डों की संख्या 250 हो गई है। इनमें से 42 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मतदाता, आओ देखें कोई भी मतदाता पीछे न छूटे, मतपत्र के जबरदस्त बल के माध्यम से ताकत निर्बाध रूप से स्थानांतरित होती है सराहनीय विचार है।
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com