शीर्षक - कॉकरोच(cockroach)
डियर कोकरोच, तुम इतना क्यों सताते हो ?
मालिकाना हक है क्या तुम्हारा ? जो इतराते हो? बताओ कब जाओगे वापस, हम अभी ....
आवारो के जैसे, बस पूरे घर में घूमते हो ।
पता नही क्यों, हर चीज टटोलते हो ।
क्या मिलता है उससे, तसल्ली या सुकून?
क्या तुम्हारी जाति का, यहीं है कानून ?
हमारा सुकून छीन के,तुम्हे क्या मिलता है।
खो जाओ तुम रास्ते में, क्या ऐसा हो सकता है ?
कितना सफाई करें, कितना छिड़के लाल हिट।
खा जाते मिठाई मेरी, बिना करे खिट पिट।
बताओ कब जाओगे वापस, हम अभी ....
काले काले एंटीना निकाले, सीना तान निकलते है ।
ऐसा लगता है डीएम है कहीं के, जब झुंड में चलते है।
किताबें, कपड़े, मिठाईयां खा ली, अब शरीर ही बचा है।
वापस करो सुख चैन हमारा, ये सब हमारे लिए सजा है।
कभी पर्दे में लटकते, ट्रॉली बैग के अंदर घुस जाते हो।
छाता खोलो तो उसमे भी, इक दो मिल ही जाते हो ।
कभी तो रास्ता भूलो घर, बस इतनी दया खाओ।
जाओ काम धंधा करो, और अपना घर बसाओ।
बताओ कब जाओगे वापस, हम अभी.....
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