वक्त संग कारवां

October 11, 2022 ・0 comments

वक्त संग कारवां

वक्त संग दर्द-ए कारवां मेरा गुज़रता जा रहा था
दिल तेरे लौटने कि उम्मीद आज भी लगा रहा था।।

जानती हूं तुम मुझे छोड़ कर पराई बांहों में समाए
तोड़ मुझको बता कैसे तेरा दिल मुस्कुरा रहा था।।

सात फेरों के बंधन हमारे बीच बंधे हैं रिश्ते में
इन बंधनों से छल किया तू यही दर्द सता रहा था।।

मेरी हर ख्वाहिशों का क़ातिल आज तू ही तो
अपनी ख्वाहिशों को दबा दिल आंसू बहा रहा था।।

जानती हूं बेवफा लौट ना अब पाएगा कभी
फिर भी मेरा जख़्मी दिल लिख तुझे सजा रहा था।।

चाहती थी जाने ये जमाना मेरी भी दर्द-ए दास्तां
जमाना वीणा दर्द-ए शायरा नाम दे मुझे बुला रहा था।।

दर्द देकर आंसूओं से भिगोया हे तूने ही मेरा दामन
तेरे सलामती के लिए दामन उठाया ना जा रहा था।।

वक्त संग दर्द-ए कारवां मेरा गुज़रता जा रहा था
दिल तेरे लौटने कि उम्मीद आज भी लगा रहा था।

About author 

Veena advani
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र

Post a Comment

boltizindagi@gmail.com

If you can't commemt, try using Chrome instead.