सरकारी लाइसेंस तो हम बीवियों के पास

October 11, 2022 ・0 comments

व्यंग्य

सरकारी लाइसेंस तो हम बीवियों के पास 

आज के कलयुगी दुनिया में न जाने किस-किस तरह कि घटनाएं नित सामने आती हैं , बलात्कार , चोरी , लूट , हत्या और एक ओर बड़ी घटना जिसे हम कहते हैं घरेलू हिंसा या कह लो घरेलू कलह , सभी घटनाओं के पहलुओं पर अपने ही अंतर्मन के भीतर विचार विमर्श कर खुद से ही द्वंद कर एक तरफ रखते हुए । मन में एक घटना पर ध्यान अधिक खिंचा चला गया , बहुत ही सोच विचार विमर्श के बाद उसी घटना के पहलुओं पर अधिक ध्यान देते हुए कारणों को सोचा , वो विशेष और सामान्य घटना है घरेलू कलह जिसका कारण अपने ही कलम से बतियाते हुए अंजांम तक पहुंच कर उत्तर भी खुद से ही पाई । सौ प्रतिशत घरेलू कलह पर जब विचार किया तो पिच्चहत्तर प्रतिशत एक जैसा कारण कलह का सामने आया , ओर वो कारण था यारों *बाहर वाली* जी हां बाहर वाली के चलते पति-पत्नी में कितना कलह का आंकड़ा अधिक है ये जान कर हैरानी होगी आप सभी को । अधिकतर पुरुष वर्ग में यही बुराई होती है कि घर वाली कितना भी अच्छा घर में ध्यान रखें , एक साईड में बाहर वाली चाहिए ही चाहिए । अरे भाई क्या बताऊं , इनकी दस बोटियों पर मुंह मारने की आदत जो होती है । इसलिए तो कहा जाता है कि *मर्द जात होती ही एसी है* और ये कोई आज से नहीं युगों से यही तो चला आ रहा है , अरे इतिहास के पन्नों को पलट कर जरा अध्ययन करके तो देखना जरा , सब साफ-साफ नज़र आएगा कि ये मर्द वर्ग कभी ना बदा है ओर ना ही कभी ये बदलेगा , भाई मन मार के रहना पड़ेगा तो , वो तो पत्नियों को ही र हम ना पड़ेगा , अरे हां तो मैं कहा थी , घरेलू हिंसा के अंतर्गत बाहर वाली जैसे कचरे का समावेश जिसके चलते पत्नियां उदास रहती कुछ , तो कुछ कलह करती अपने ही हक के लिए। परंतु नतीजा ये होता कि घर बनने के बजाय ओर भी अधिक बिगड़ जाता । अरे पत्नियों ये तो जरा सोचो कि सरकारी लाइसेंस सिर्फ सात फेरे लेने वालियों को ही मिला है , मतलब शादी के बाद पति के हर एक चीज पर पत्नी का ही हक होता है , घुमा फिरा के ये मर्द कहीं से भी किसी भी बोटी पर मुंह मारके आ जाए पर वो बाहर वाली को मालकिन तो नहीं बना सकते । अरे बाहर वाली तो बाहर वाली ही है , वो बाजारू ही है और बाजारू ही रहेगी , चाहे फिर वो पति के आफीस की सहपाठी हो , या व्यापार जगत में ग्राहक हो पति की या कोई भी । मर्द भी चालाक होते हैं वैसे देखा जाए तो , बाहर वाली को बाहर वाली ही समझते वो भी जानते हैं कि घर की शोभा तो उसकी पत्नी और उसके बच्चों से ही है , बाहर वाली को घर में लाके अपने घर में वो भी गंदगी नहीं करना चाहते हैं । बहुत गहन अध्ययन के बाद ये नतीजा पाया कि कुछ भी कहो सरकारी लाइसेंस तो हम पत्नियों के पास ही है जिसके चलते हम पति पर कभी भी अवैधानिक कृत्य के कारण मुकदमा भी कर सकते हैं , और हां जहां घरेलू हिंसा का शिकार होती पत्नियां वहां अपने लाइसेंस का बेझिझक इस्तेमाल करें । तो बताइये है ना सौ टके की एक बात , लाइसेंस तो है सिर्फ पत्नियों के पास । तो ना हो उदास हक जताओ ओर कहो पति को आओगे तो घुमा फिरा के तुम मेरे और अपने ही बच्चों के पास और ये भी ऊपर से तड़का लगा के शब्द कह दो एसी आज तुम्हारा है जब झड़ जाओगे तुम तो कल हमारा होगा । हाहाहाहाहा ।।

About author 

Veena advani
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र

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